रविवारीय प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है।
शब्द-सृजन-१३ का विषय था 'साँसें'.
इस विषय पर सृजित रचनाएँ लेकर मैं हाज़िर हूँ।
साँसों का गतिमान रहना ही जीवन है।
जीवन का सुरम्य संगीत है साँसें।
जीवन में साँसों का महत्त्व हम सभी जानते हैं।
साँसों में दुनिया के सुख-दुख समाये रहते हैं।
जीव की साँसें हैं तो जीवन है।
-अनीता सैनी
आइए पढ़ते हैं साँसों का रचनाओं के रूप में स्पंदन-
शब्द-सृजन-१३ का विषय था 'साँसें'.
इस विषय पर सृजित रचनाएँ लेकर मैं हाज़िर हूँ।
साँसों का गतिमान रहना ही जीवन है।
जीवन का सुरम्य संगीत है साँसें।
जीवन में साँसों का महत्त्व हम सभी जानते हैं।
साँसों में दुनिया के सुख-दुख समाये रहते हैं।
जीव की साँसें हैं तो जीवन है।
-अनीता सैनी
आइए पढ़ते हैं साँसों का रचनाओं के रूप में स्पंदन-
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साँसों से जुड़ा है
जीवन का एक एक पल
दिन रात क्षय होती साँसें
चंद लम्हे भी जुड़े हैं जिनसे |
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" मैं तुम्हारे साथ जीवन जी नहीं पाऊँगी तो क्या हुआ…
मेरा वादा हैं तुमसे मरूँगी तुम्हारी ही बाँहों में .....आखिरी वक़्त में
. जब मैं तुम्हे आवाज़ दूँगी तो तुम आओगे न ......." .
कहते हुए मेरे होठ थरथरा रहे थे.....
आवाज़ लड़खड़ा रही थी ....
" हाँ " में सर हिलाते हुए उसने कहा था….
तुम्हारी उस आखिरी आवाज़ का मैं आखिरी साँस तक इंतज़ार करूँगा.....
फिर हम दोनों हमेशा हमेशा के लिए जुदा होकर
अपने अपने कर्मपथ पर निकल पड़ें थे और फिर......
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दीनाराम स्वर्गवासी होने को थे ,
तो विलाप कर रही पत्नी दयावंती को
धैर्य दिलाते हुये कहा था-
" अरी भाग्यवान ! क्यों रोती है।
ये तेरा लायक सुपुत्र रजनीश है
और मेरा पेंशन भी तो तुझे मिलेगा ? "
सांसो का जब तक डेरा है
तब तक जग में अस्ति है
फिर छूटा ये रैन बसेरा है ।
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साँसों का मोल
साँसों से ही वायु पीकर,य
ह जीवन जीते जाते हम।
साँस-संवारण वायु को फिर,
ना हैं शुद्ध बनाते हम।
साँस हवा के झोंके में है,
अब कौन इसे समझाए रे।
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साँसों से ही वायु पीकर,य
ह जीवन जीते जाते हम।
साँस-संवारण वायु को फिर,
ना हैं शुद्ध बनाते हम।
साँस हवा के झोंके में है,
अब कौन इसे समझाए रे।
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चुप होने लगी, हैं तस्वीरें!
ख़ामोश होने लगी हैं, सारी तकरीरें!
मिटने लगी हैं ये लकीरें!
भटकने लगे, हैं ये कदम!
हलक तक, आकर रुकी है जान ये!
अटक सी, गई ये साँसें!
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देख रही थी यह सब मैं भी,
सोच रही कुछ आगे.....
कहाँ है ये सब नसीब में उसके
चाहे कितना भी भागे.....
जूस देख लालच वश झट से,
ये गिलास झपट जायेगी......
एक ही साँस में जूस गटक कर ये
आजीवन इतरायेगी.......
कहाँ है ये सब नसीब में उसके
चाहे कितना भी भागे.....
जूस देख लालच वश झट से,
ये गिलास झपट जायेगी......
एक ही साँस में जूस गटक कर ये
आजीवन इतरायेगी.......
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एकाकी सा खड़ा घर ये बैया कॉलोनी सी कतारें ।
बेगानों से भरी भीड़ में , बस अपनोंं को ढूंढता है ।
बाँध रखी है दीवाने ने साँसों संग आशाओं की डोर ।
आयेंगे हालात काबू में, वह दिन औ वह रात ढूंढता है ।
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आज सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी अंक में
-अनीता सैनी
शब्द आधारित विषय "साँस" पर सुंदर प्रस्तुति और भूमिका भी सराहन।
जवाब देंहटाएंमंच पर मेरे सृजन "साँसों से रिश्ता" को भी अनीता बहन आपने स्थान दिया है, अतः आभारी हूँ।
हम बचपन से ही यह सुनते आ रहे हैं कि जबतक साँस, तबतक आस..।
परंतु उसी जीवन के आपाधापी में जहाँ हम एक-एक वस्तुओं का हिसाब रखते हैं, कभी साँसों का हिसाब भी रखा है। जिस साँस के बिना हमारा अस्तित्व, हमारे लौकिक संबंध और दौलत सभी कुछ निर्रथक हैं।
और जिस साँस पर सिर्फ़ ध्यान केंद्रित कर हम आत्मानंद को प्राप्त कर सकते हैं। हम उतना भी नहीं कर पाते हैं।
कभी गुरु ने बताया था , जप-पूजा आदि कुछ भी मत करो फिर भी इतना अवश्य करना कि कुछ देर किसी भी मुद्रा में बैठ अपने शरीर में ही साँस के अंदर- बाहर आने-जाने को देखते रहना , सारे सुख इसी में समाहित है।
परंतु मैं भटक गया, तमाम तरह के चिन्तनों में और स्वयं को चिन्ता यानि कि चिता के हवाले कर दिया ।
साँस पर आज जब कुछ लिखने को सोचा ,तो मिनट भर केलिए उसपर ध्यान केंद्रित किया और ऐसा लगा कि भूत- भविष्य कुछ भी नहीं है जो कुछ है वह सिर्फ ये साँसें ही हैं जिससे मैं महसूस कर रहा हूँ। सभी को प्रणाम, सुप्रभात।
"साँस" शब्द पर आधारित सार्थक पोस्टों के लिंक के साथ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंअनीता सैनी जी बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर अभिवादन आपको।
साँस विषय पर शानदार भूमिका के साथ शानदार संकलन ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत आकर्षक।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने केलिए तहेदिल से शुक्रिया।
विशेष आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका अनिता जी ।
बहुत समय से ब्लाग पर ध्यान नहीं दे पा रही ,सक्रियता काफी कम है ।
ऐसे में आपका मेरी रचना को चर्चा मंच पर लेकर जाना बहुत सुकून दे रहा है।
पुनः आभार।
मैं कोशिश करूंगी मंच पर उपस्थिति दूं ।
सस्नेह।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना "साँसें" को इस अंक में स्थान देने के लिए धन्यवाद |
बेहतरीन शब्द सृजन अंक ,सार्थक भूमिका के साथ सुंदर रचनाओं का संकलन ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए दिल से धन्यवाद अनीता जी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शब्द सृजन प्रस्तुति अनीता जी । सभी रचनाएं अत्यन्त सुन्दर हैं , मेरी रचना को मान देने के लिए हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंआज कोरोना विषाणु के हाहाकारी युग में बेहद जरूरी था ''सांसों'' पर बात करना, अलग अलग बेहतरीन रचनाओं ने मन को मोह लिया .... आभार अनीता जी इतना अच्छा कलेक्शन पढ़वाने के लिए
जवाब देंहटाएंसांस धड़कन की,आश जीवन की
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर प्रस्तुति
बेहतरीन चर्चा अंक।मेरी रचना को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा --- शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंशानदार शब्दसृजन प्रस्तुति उम्दा लिंक से सजी....
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं अत्यंत आभार।