रविवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है.
शब्द-सृजन-१४का विषय था-
"मानवता "
मानवता पर सृजित हुईं रचनाएँ लेकर हाज़िर हूँ।
मानवता हमारे जीवन का सर्वाधिक मूल्यवान सामाजिक मूल्य है। नैतिकता की आधारशिला है मानवता। मानवता जब विस्तार पाती है तो शांति, सद्भावना, त्याग, परमार्थ, संतोष, अहिंसा जैसे जीवन मूल्य भी मानव जीवन की धरोहर और
भविष्य की पूँजी हो जाते हैं।
समाज के समग्र विकास के लिये
मानवता का उसमें फलना-फूलना ज़रूरी हैं।
मानवता हृदय को कोमल बनाती है
और उसमें नाज़ुक जज़्बात सँजोती हैं।
-अनीता सैनी
-- आइए पढ़ते हैं शब्द-सृजन-१४ के विषय 'मानवता' पर सृजित ख़ूबसूरत रचनाएँ-
शब्द-सृजन-१४का विषय था-
"मानवता "
मानवता पर सृजित हुईं रचनाएँ लेकर हाज़िर हूँ।
मानवता हमारे जीवन का सर्वाधिक मूल्यवान सामाजिक मूल्य है। नैतिकता की आधारशिला है मानवता। मानवता जब विस्तार पाती है तो शांति, सद्भावना, त्याग, परमार्थ, संतोष, अहिंसा जैसे जीवन मूल्य भी मानव जीवन की धरोहर और
भविष्य की पूँजी हो जाते हैं।
समाज के समग्र विकास के लिये
मानवता का उसमें फलना-फूलना ज़रूरी हैं।
मानवता हृदय को कोमल बनाती है
और उसमें नाज़ुक जज़्बात सँजोती हैं।
-अनीता सैनी
-- आइए पढ़ते हैं शब्द-सृजन-१४ के विषय 'मानवता' पर सृजित ख़ूबसूरत रचनाएँ-
हमारी चेकिंग पुलिस टीम द्वारा आपस में सहयोग
राशि जमा कर तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की गई
उक्त व्यक्ति को कोरोनावायरस के खतरे से अवगत कराते हुए
सेनीटाइज किया गया तथा तुरंत घर जाने हेतु
बताया बच्चियों को जब हमारे द्वारा खाने के लिए कुछ टॉफिया दी गई
**
21 दिवस
लॉग डाउन के बाद कराहती मानवता
चल पड़े हो
तो कट ही जाएगा
धीरे-धीरे दुरूह सफ़र,
विचलित है हृदय
देखकर
21 दिवसीय लॉक डाउन के बाद
घर की ओर जाते
पैदल ग़रीबों की ख़बर।
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" कोरोना " हमसे कह रही हैं -करो- ना ( नहीं करो ) यानी
प्रकृति का हनन नहीं करों ,
संस्कृति -सभ्यता का हनन नहीं करों
बेजुबानो का हनन नहीं करों
आवश्यकता से अधिक के लालच में आकर परिवार का हनन नहीं करों
मानवता का हनन नहीं करो
इस धरा से प्रेम ,विश्वास ,भाईचारा का हनन नहीं करो
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" कोरोना " हमसे कह रही हैं -करो- ना ( नहीं करो ) यानी
प्रकृति का हनन नहीं करों ,
संस्कृति -सभ्यता का हनन नहीं करों
बेजुबानो का हनन नहीं करों
आवश्यकता से अधिक के लालच में आकर परिवार का हनन नहीं करों
मानवता का हनन नहीं करो
इस धरा से प्रेम ,विश्वास ,भाईचारा का हनन नहीं करो
मानवता --
दिया मानव को विशेष उपहार
कायनात के नियंता ने
अपने उपवन में सजाने को
स्वस्थ मन मस्तिष्क दिया
प्रकृति को सजाने सवारने को
है नायाब तोहफा विशेष मस्तिष्क
जिसका संतुलित उपयोग
लॉक डाउन की ख़बर मिलते ही इस छोटे से शहर में भी
हर कोई सब्जीमंडी और किराना दुकान की ओर भागा रहा
लोग अपने सामर्थ्य से अधिक की खाद्य सामग्री खरीद ला रहे थे।
अटकलें लगायी जा रही थी
कि इसबार स्थिति गंभीर हो सकती है।
लोग अपने सामर्थ्य से अधिक की खाद्य सामग्री खरीद ला रहे थे।
अटकलें लगायी जा रही थी
कि इसबार स्थिति गंभीर हो सकती है।
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असीम सर्वोच्च शक्ति के लिए
जिसके हाथों में बंधी है
सृष्टि की…
समस्त जीवात्मा की डोर
और जिसके बल पर…
सिर ऊँचा किये खड़ी है
मानवता…
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घूम-घूम कर रही थी तलाश।
मानवों से मानवता कीआस।
ले मानवों से भरी इस गाड़ी से।
मानवता की आस नर-नारी से।
मैं आवाक देखती रह गई खड़ी।
मानव उतरे मानवता ना उतरी।
**
इंसानीयत,करुणा,भाईचारा
जो नफ़रत के चलते दब गये
शायद नफ़रत मिटाने आये हो
आदमी बन बैठा है स्वयंभू
मानवीय पहचान के मूल्य जो खो गये
दंभ मिटाने आये हो?
**
हारती संवेदना
नैन सूखे ही रहे सुन कर व्यथा ,
शुष्क होती जा रही संवेदना !
**
मन,मानव और मानवता
हारती संवेदना
शब्द सारे खोखले से हो गये ,
गीत मधुरिम मौन होकर सो गये ,नैन सूखे ही रहे सुन कर व्यथा ,
शुष्क होती जा रही संवेदना !
**
मन,मानव और मानवता
**
ओ गंगा तुम, गंगा बहती क्यों है
आज सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी अंक में
-अनीता सैनी
जवाब देंहटाएंहमें यह समझना होगा कि इस संसार का नियंता तो एकमात्र ईश्वर अथवा प्रकृति ( अपने विश्वास और विवेक के अनूरूप ) ही है।
यदि हम उसकी इच्छा के अनुसार कार्य नहीं करेंगे, तो वह कठोर हो दंड के माध्यम से हमें नियंत्रित करेगा , ताकि हम मानव बन सके और उसके द्वारा प्रदत्त मानवता को न भूलें।
समसामयिक भूमिका के श्रमसाध्य प्रस्तुति। मेरे सृजन मानवीयता को मंच पर स्थान देने के लिए आपका अत्यंत आभार अनीता बहन।
समसामयिक भूमिका के साथ बेहतरीन प्रस्तुति अनीता जी । सभी लिंक्स अत्यंत सुन्दर हैं ..मेरी रचना को संकलन में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंशब्द सृजन-14 के अन्तर्गत बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपका आभार अनीता सैनी जी।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा शब्द-सृजन१४ का अंक |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवादअनीता जी|
आज इस सिसकती मानवता के आबो -हवा में मानवता पर मंथन करना बहुत जरुरी था। बहुत ही सुंदर विषय था और सभी रचनाऐ लाज़बाब हैं ,सभी रचनाकारों को ढेरों शुभकामनाएं ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए दिल से आभार अनीता जी
जवाब देंहटाएंमानवता पर लिखी गई सभी रचनाएँ बहुत-ही सुंदर और सराहनीय ।अंक विषय भी बढ़िया चुना गया था।लिखने वाले तो बढ़-चढ़कर हैं। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।मेरी रचना को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद अनीता जी।नमन
जवाब देंहटाएंमानवता पर लिखी गई सभी रचनाएं बेजोड़ हैं
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! यह घड़ी सच में मानवता दिखाने की है ! विश्व महामारी के कगार पर खडा हुआ है ! इस समय धैर्य, संयम, संकल्प के बल पर ही इस संकट का सामना किया जा सकता है ! ज़रुरत है इस समय एक दूसरे का मनोबल बढाने की और नीति नियमों का पालन करने की ! आज की चर्चा में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सब स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें, सुरक्षित रहें यही कामना है ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर आज के चर्चा मंच की पोस्ट और सुंदर लिंगों के साथ मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमानवता पर बहुत ही सुन्दर सार्थक रचनाओं के साथ लाजवाब चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।