सादर अभिवादन के साथ
आप सबको होली की बधाई हो।
मित्रों!
आज होलीकोत्सव है।
होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार या रंग पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार को फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. होली के दिन होलिका दहन का पूजन होता है। इसी दिन गाँव के किसान अपनी फसल के नये दाने अग्नि को चढ़ाते हैं. होलिका की अग्नि में नये अन्न चढ़ाने के बाद ही किसान नया अन्न खाना शुरू करता हैं। प्राचीन काल में होली केवल फूलों से या फूलों से बने रंगों से ही खेलने का प्रचलन था. परंतु आधुनिक समय में रंगों एवं गुलाल से होली खेली जाती है। इस दिन घरों में विभिन्न पकवान बनते हैं जैसे गुझिया, मठरी आदि। रंगों के इस त्यौहार में लोग गिले-शिकवे भूलकर एक दूसरे को गले लगाते है और खूब मस्ती करते हैं। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक माना जाता है।
आजकल पूरे संसार में कोरोना नामक खतरनाक वायरस का प्रकोप फैला हुआ है।
इसलिए मेरा सभी लोगों से बलपूर्वक विनम्र आग्रह है कि
घर के बाहर जाकर समूह में होली न खेलें
इस वर्ष गले न मिलें अपितु हाथ जोड़कर अपने-अपने ढंग से अभिवादन करें।
होलीगीत
"महके है मन में फुहार! चलो होली खेलेंगे"
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
*****
चाहती हैं स्त्रियां
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नारी
सरिता सम नारी रही,अविरल रहा प्रवाह।
जन्म मरण दो ठौर की ,बनती रहीं गवाह ।
बनती रहीं गवाह,इन्हीं से जीवन कविता ।
सदा करें सम्मान ,रहे निर्मल ये सरिता ।
"महके है मन में फुहार! चलो होली खेलेंगे"
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
*****
चाहती हैं स्त्रियां
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स्त्रियां चाहती हैं
देश दुनियां में
केवल सुख भोगती स्त्रियों का
जिक्र न हो
जिक्र हो
उपेक्षा के दौर से गुजर रहीं स्त्रियों का
रोज न सही
महिला दिवस के दिन तो
होना चाहिए---
*****नारी
सरिता सम नारी रही,अविरल रहा प्रवाह।
जन्म मरण दो ठौर की ,बनती रहीं गवाह ।
बनती रहीं गवाह,इन्हीं से जीवन कविता ।
सदा करें सम्मान ,रहे निर्मल ये सरिता ।
*****
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कुछ हैवानों के कारण हम सभी परेशान हैं
कुछ हममें भी राक्षस है, कुछ तुममें भी राक्षसी है
हमें परखना होगा, हम सब को चेतना होगा
हमें एक दूसरे का साथ देना होगा।
हमें चलना है, हमें साथ जीना है
हम पूरक हैं
ओ साथी !
आओ, हम कदम से कदम मिला कर चलें !
*****
वो जो
इतवार के
एक दिन का
आधिकारिक
अवकाश
मिलता है मुझे
कहो,
अपनी कहूँ या
फिर सुनूँ उनकी..
या फिर से
वही करूँ..
जो
सदा से करती आई हूँ -
घर के रोजमर्रा के काम
या
छः दिन के दफ़्तर
के कामकाज से
छुटकारा पा..
करूँ वो..
जो
अच्छा लगता है मुझे
बस, केवल एक दिन
पर
अगर मैं भी
अपना इतवार मनाऊँ,
तो क्या...
वे कहना छोड़ देंगे -
"जो औरतें बाहर काम करती हैं
वे घर भी तो संभालती हैं।
*****
जीने दो मुझे भी
अस्तित्त्व है जो मेरा खत्म न करो
कोख में खत्म करने से तो डरो।
कोशिश होगी मेरी कि
मैं नाम तुम्हारा रोशन कर दूंगी।
*****
लालसा
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रंगीन,श्वेत-स्याह
तस्वीरों में
जीवन की
उपलब्लियों की
छोटी-बड़ी
अनगिनत गाथाओं में
उत्साह से लबरेज़
आत्मविश्वास के साथ
मुस्कुराती
बेपरवाह स्त्रियाँ
*****
महिला दिवस
आशाओँ के दीप जले हैँ ,
आगे-आगे कदम बढ़ेँ हैँ ।
कहीँ गर्व से ऊँचा मस्तक,
कहीँ झिड़कियाँ खूब पड़ी हैँ...
*****
कलयुग की द्रोपदी.....
नीतू ठाकुर 'विदुषी'
एक निवेदन सुनो द्रोपदी,
मार्ग श्रेष्ठ दिखलायेंगे।
कलयुग बना कृष्ण की बेड़ी,
कैसे तुम्हें बचायेंगे...
*****
बरसाइये प्रेम रंग होली में
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*****
नारी किरदार
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बलबीर सिंह राणा 'अडिग '
*****
नारी
कुंडलिनी
1)
वनिता ,नव्या ,नंदिनी, निपुणा बुद्धि विवेक ।
शिवा,शक्ति अरु अर्पिता ,नारी रूप अनेक ।
नारी रूप अनेक, रहे अविरल सम सरिता ।
सकल जगत का मान,सृजनकारी है वनिता ।...
1)
वनिता ,नव्या ,नंदिनी, निपुणा बुद्धि विवेक ।
शिवा,शक्ति अरु अर्पिता ,नारी रूप अनेक ।
नारी रूप अनेक, रहे अविरल सम सरिता ।
सकल जगत का मान,सृजनकारी है वनिता ।...
काव्य कूची पर anita _sudhir
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मेरा आधिकारिक अवकाश
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~Sudha Singh
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस:
महिलाओं को खुद की कद्र करना सीखना होगा!!
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*****
होली गीत :
ए सखी आयो कन्हाई री ...
उड़त अबीर गुलाल
रंग भयो रतनार
पकड़ लयी कलाई री
ए सखी आयो कन्हाई री ....
रंग भयो रतनार
पकड़ लयी कलाई री
ए सखी आयो कन्हाई री ....
*****
नारी ईश की अद्भुत कृति
पल में ही वो वंदित होतीक्षण में ही वो कामना पूर्तिनारी ईश की अद्भुत कृति....सुख विभावरी की छलना सीसुरभित अंचल की गरिमा सीशीतल झरनों की अनुभूतिनारी ईश की अद्भुत कृति....
पल में ही वो वंदित होतीक्षण में ही वो कामना पूर्तिनारी ईश की अद्भुत कृति....सुख विभावरी की छलना सीसुरभित अंचल की गरिमा सीशीतल झरनों की अनुभूतिनारी ईश की अद्भुत कृति....
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रंग
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पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
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कविता २
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एक वक्त था जब
महकते थे फूल बहुत
ऋतुएं आबाद होती थी
लय की बात होती थी
संगीत झरते थे अल्फ़ाज़ डूबते थे
हीर रांझे सा इश्क़ पिरोये
मैं नाचती थी कि मेरी एड़ियों की थाप से
कागज़ फट जाया करता था
ऐसी बिछड़न थी समाई कि
गीले पन्ने हाथ की छुअन से चिपकते थे
स्याही फैलने तक मेरे वजूद का अहसास था...
महकते थे फूल बहुत
ऋतुएं आबाद होती थी
लय की बात होती थी
संगीत झरते थे अल्फ़ाज़ डूबते थे
हीर रांझे सा इश्क़ पिरोये
मैं नाचती थी कि मेरी एड़ियों की थाप से
कागज़ फट जाया करता था
ऐसी बिछड़न थी समाई कि
गीले पन्ने हाथ की छुअन से चिपकते थे
स्याही फैलने तक मेरे वजूद का अहसास था...
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नारी का तुम सम्मान करो।
A Poem on International Women's Day.
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नर हो तो तुम एक काम करो,
कभी ना उनका अपमान करो,
सृष्टि की सर्वोत्तम रचना है जो,
उस नारी का तुम सम्मान करो।
©नीतिश तिवारी।
*****
आज के लिए बस.... *****
मंच से जुड़े सभी सदस्यों, रचनाकारों व संयोजक गण को होली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका।
हटाएंरंगों के महापर्व
होली की बधाई हो।
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी। होली की सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका।
हटाएंरंगों के महापर्व
होली की बधाई हो।
बेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका।
हटाएंरंगों के महापर्व
होली की बधाई हो।
सुंदर और ज्ञानवर्धक भूमिका के साथ बेहतरीन चर्चाअंक सर ,आपको और सभी रचनाकारों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका।
हटाएंरंगों के महापर्व
होली की बधाई हो।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका।
हटाएंरंगों के महापर्व
होली की बधाई हो।
. होली की शुभकामनाओं सहित बहुत ही अच्छी प्रस्तुति पेश की है आपने
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका।
जवाब देंहटाएंरंगों के महापर्व
होली की बधाई हो।
रंगों की बौछार,मनभावन त्योहार , होली हार्दिक शुभकामनाएं, बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमंच से जुड़े सभी सम्मानित रचनाकारों को होली की रंग भरी शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्र संयोजन
सादर