स्नेहिल अभिवादन।
शनिवासरीय प्रस्तुति में हार्दिक स्वागत है।
आज विश्व गौरैया दिवस है। गौरैया प्रजाति के पक्षी जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में चिड़िया कहते हैं, के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु २०१० की २० मार्च से इसे विशेष दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई।
हम सबकी प्यारी गौरैया अब सचमुच ख़तरे में है क्योंकि उसके आवास, भोजन, पानी एवं हवा का प्रतिकूल हो जाना ही उसके अस्तित्त्व को ख़तरा बन गया है। गौरैया के समूह की मनमोहक चहक हमारी सुबह को ख़ुशनुमा बनाती थी जो अब शहरी इलाक़ों से ग़ाएब हो रही है। नई पीढ़ियों को गौरैया के दर्शन होते रहें इसके लिये उसका संरक्षण ज़रूरी है और हमें पर्यावरण के प्रति अपने दायित्व निभाने भी आवश्यक है।
-अनीता सैनी
सूचना-
शब्द-सृजन का अंक आज के बजाय कल प्रस्तुत किया जायेगा।असुविधा के लिये खेद है।
आइए अब पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
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शनिवासरीय प्रस्तुति में हार्दिक स्वागत है।
आज विश्व गौरैया दिवस है। गौरैया प्रजाति के पक्षी जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में चिड़िया कहते हैं, के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु २०१० की २० मार्च से इसे विशेष दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई।
हम सबकी प्यारी गौरैया अब सचमुच ख़तरे में है क्योंकि उसके आवास, भोजन, पानी एवं हवा का प्रतिकूल हो जाना ही उसके अस्तित्त्व को ख़तरा बन गया है। गौरैया के समूह की मनमोहक चहक हमारी सुबह को ख़ुशनुमा बनाती थी जो अब शहरी इलाक़ों से ग़ाएब हो रही है। नई पीढ़ियों को गौरैया के दर्शन होते रहें इसके लिये उसका संरक्षण ज़रूरी है और हमें पर्यावरण के प्रति अपने दायित्व निभाने भी आवश्यक है।
-अनीता सैनी
सूचना-
शब्द-सृजन का अंक आज के बजाय कल प्रस्तुत किया जायेगा।असुविधा के लिये खेद है।
आइए अब पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
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है सनातन धर्म अपना,
देश की गरिमा बढ़ाता।
वेद में ब्रह्मांड पढ़कर
विज्ञान भी है मात खाता।
श्रेष्ठ चिन्तन आचरण की,
भावना मन में बढ़ेगी ।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
इक हवा फिर से बहेगी ।
देश की गरिमा बढ़ाता।
वेद में ब्रह्मांड पढ़कर
विज्ञान भी है मात खाता।
श्रेष्ठ चिन्तन आचरण की,
भावना मन में बढ़ेगी ।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
इक हवा फिर से बहेगी ।
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एक दिन अचानक नजरे मिली थी तुमसे वहाँ
तुम वहीं कहीं खड़ी थी
सूरत तुम्हारी आज भी याद है
सूरज की रौशनी में ओंस की बूंदों की चमक लिए
रोज यूँ ही देखा करता था तुम्हें गुजरते हुए
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कितनी बातें थीं कहने को
जो हम कहते तुम सुन लेते
कितनी बातें थी सुनने को
जो तुम कहते हम सुन लेते !
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दीवार से सट कर
खिला हुआ एक पौधा
फ़्रेम के बीचोंबीच
अचानक आ खड़ा हुआ,
महा-जिज्ञासु बच्चे सा
अचानक आ खड़ा हुआ,
महा-जिज्ञासु बच्चे सा
टुकुर-टुकुर ताकता हुआ ।
तब हमारा भी ध्यान गया ।
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४११. डर
नींद की तलाश में
रातें बिस्तर पर
करवटें बदलती हैं.
बड़ी देर में होती हैं
आजकल सुबहें,
सूरज थका-सा लगता है.
**
प्रभु कभी अपने बच्चों को नहीं बिसारते
रात घिर आई, पानी का वेग बढ़ गया
और वह पेड़ जिसका सहारा उस आदमी ने लिया था
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४११. डर
नींद की तलाश में
रातें बिस्तर पर
करवटें बदलती हैं.
बड़ी देर में होती हैं
आजकल सुबहें,
सूरज थका-सा लगता है.
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प्रभु कभी अपने बच्चों को नहीं बिसारते
रात घिर आई, पानी का वेग बढ़ गया
और वह पेड़ जिसका सहारा उस आदमी ने लिया था
उखड कर पानी में जा गिरा !
दिन भर के भूखे-प्यासे,
संक्षेप में कहें तो वह सब कुछ कर सकते हैं
जो समय की कमी के चलते टालते आ रहे थे.
देखते-देखते यह समय भी बीत जायेगा
और एक सुबह फिर सामान्य होगी,
बच्चे स्कूल जायेंगे, लोग दफ्तर जायेंगे और बाजार,
मॉल आदि में पहले की भांति हलचल नजर आएगी.
**
सहम जाती हूँ परछाई से भी अपनी
सहम जाती हूँ परछाई से भी अपनी
नुमाईस लगा रखी हैं अंधकार ने इतनी
शुष्क लबों को डरा रही
आहट पद्चापों की अपनी
साज़िश नज़रों ने की, हरक़त मेरे दिल पर हुआ,
तेरी पलकों के उठते ही, मेरा इश्क़ मुक़म्मल हुआ।
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एक नन्ही गौरैया
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आज का सफ़र यही तक
कल फिर मिलेंगे.
--
अनीता सैनी
तेरी पलकों के उठते ही, मेरा इश्क़ मुक़म्मल हुआ।
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एक नन्ही गौरैया
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आज का सफ़र यही तक
कल फिर मिलेंगे.
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अनीता सैनी
जवाब देंहटाएंइस विशेष दिन पर अपने विन्ध्याचल के शेरकोठी में गौरैया संरक्षण पर कोरोना वायरस के चलते ऑनलाइन एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें प्रदेश के कई गौरैया मित्र शामिल हुये। इस अवसर पर संस्था द्वारा निर्मित लकड़ी के घोसले का वीडियो भी लोगों को दिखाया गया। यह सिर्फ गौरैया चिड़िया के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें कोई अन्य पक्षी अपना घोसला नहीं बना सकता है। साथ ही इस घोसले में गौरैया कम तिनके लाकर अपना घोंसला बना लेती है और इस घोसले के बहार बने प्लेटफॉर्म पर बैठ कर आसानी से अपने बच्चे को दाना चुँगा सकती है । इसके साफ सफाई के लिए ऊपर से खोलने की भी व्यवस्था की गयी।इस प्रकार संस्था द्वारा निर्मित घोसला गौरैया फ्रेंडली बनाया गया है। संस्था का मानना है कि गौरैया है तभी सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले दो पेड़ धरा पर मौजूद है बरगद और पीपल । गौरैया जब बरगद पीपल के फल को खाती है और उसे अपने पाचन तंत्र से गुजार कर बीट करती है तो ही इन वृक्षों का अंकुरण होता है ।इस लिये उसके सदस्य बरगद पीपल को बचाने के लिये गौरैया पक्षी को बचाने की अपील कर रहें हैं ताकि हमारे धरा पर ऑक्सीजन की कमी न हो ।
बहुत सुंदर स्लोगन जगह-जगह लिखे गए हैं-
गौरैया को अपने निवाले में से दें दो चार दाना
अपने घरों में बनाइये इनके लिये एक छोटा सा आशियाना
ताकि हमारे आने वाले बच्चे किताबों में नहीं
हकीकत में देख और सुन सके इनका चहचहाना...।
जब कभी विंध्यवासिनी धाम आए तो आप भी शेरकोठी अवश्य जाइए।
( बहुत सुंदर इनका घर डिजाइन किया गया है। आप मेरे फेसबुक पर गांडीव समाचार में देख सकते हैं।)
सराहनीय भूमिका एवं प्रस्तुति के लिए अनीता बहन आपका धन्यवाद ।सभी को प्रणाम।
गौरैया के सरंक्षण के लिए बहुत उपयोगी और सुंदर प्रयास, आप सभी को इस नेक कार्य के लिए बधाई और शुभकामनायें !
हटाएं"गौरैया" का संरक्षण पर्यावरण सन्तुलन के साथ साथ लुप्त होती इसकी प्रजाति के लिए भी बहुत जरुरी है इस विषय पर प्रकाश डालती सुन्दर सी भूमिका और शशि भाई की ज्ञानवर्धक प्रतिक्रिया ने प्रस्तुति को और भी सुन्दर बना दिया है । विविधरंगी सूत्र दिन भर में पढ़ने के लिए बेहतरीन सामग्री हैं ।
जवाब देंहटाएंआपका आभार मीना दी।
हटाएंसुंदर चर्चा। मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा. मेरी कविता को शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा, सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनायें ! आभार मुझे भी शामिल करने हेतु !
जवाब देंहटाएं,बहुत अच्ची चर्चा प्रस्तुति में मैरी ब्लाॅग पोस्ट शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और अद्यतन लिंकों से सजी हुई बेहतरीन चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी।
सार्थक भूमिका के साथ सुन्दर रचनाओं से युक्त बेहतरीन संकलन ! विश्व गौरैया दिवस पर इस नन्ही मुन्नी सर्वप्रिय चिड़िया को ढेरों शुभाशीष और कामना करती हूँ कि हमारे आंगन सदैव इसकी मधुर चहचहाट से गुंजायमान रहें ! आज की चर्चा में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा प्रस्तुति लाजवाब लिंक्स...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए अत्यंत आभार एवं धन्यवाद ।
विश्व गौरैया दिवस पर सार्थक सन्देश देती भूमिका के साथ शानदार लिंक्स को सजोये बेहतरीन प्रस्तुति प्रिय अनीता जी ,गौरैया के आस्तिव का कायम रहना मानवता के लिए भी बेहद जरुरी हैं। हमें इनके संरक्षण के लिए यथासंभव प्रयासरत रहना ही चाहिए ,आपको और सभी रचनाकारों को भी हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंविश्व गौरैया दिवस पर सार्थक भूमिका के साथ बेहतरीन रचनाओं को समाहित करती प्रस्तुति। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंविश्व गौरैया दिवस पर हम सबों को गौरैया के संरक्षण में अपना योगदान देने का संकल्प लेना चाहिए। इसके लिए जागरूक करने वाली सभी रचनाओं के रचनाकारों को हृदय तल से बधाई एवं शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका ,शानदार प्रस्तुति ।
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