स्नेहिल अभिवादन।
शनिवासरीय प्रस्तुति में हार्दिक स्वागत है।
प्रकृति में होते परिवर्तन हमें बरबस अपनी ओर खींचते हैं।कभी नयी कोंपलें,कलियाँ, फूल-पत्तियाँ तो कभी पतझड़ में पर्णविहीन, अलंकरणविहीन शजर हमें परिवर्तन के महत्त्व पर सोचने के लिये विवश करते हैं। प्रकृति में हो रहे परिवर्तन समय-चक्र की महिमा हैं जो हमारे जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं।
-अनीता सैनी
सूचना-
शब्द-सृजन का अंक आज के बजाय कल प्रस्तुत किया जायेगा।असुविधा के लिये खेद है।
आइए अब पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
**
गीत
"तिनके चुन-चुन लाती हैं"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उच्चारण
**
शनिवासरीय प्रस्तुति में हार्दिक स्वागत है।
प्रकृति में होते परिवर्तन हमें बरबस अपनी ओर खींचते हैं।कभी नयी कोंपलें,कलियाँ, फूल-पत्तियाँ तो कभी पतझड़ में पर्णविहीन, अलंकरणविहीन शजर हमें परिवर्तन के महत्त्व पर सोचने के लिये विवश करते हैं। प्रकृति में हो रहे परिवर्तन समय-चक्र की महिमा हैं जो हमारे जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं।
-अनीता सैनी
सूचना-
शब्द-सृजन का अंक आज के बजाय कल प्रस्तुत किया जायेगा।असुविधा के लिये खेद है।
आइए अब पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
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गीत
"तिनके चुन-चुन लाती हैं"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उच्चारण
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हमें
इन रंग बिरंगी पक्षियों का एक रंगीन ब्रौचर भी दिया गया था।
लॉन्ग रेंज दूरबीन का
कैमरा न होने के कारण फोटो नहीं ले पाये।
उसने एक और बात बताई – पक्षियों को,
अगर झुंड में न हों और दूरबीन से देखने का
अभ्यास न हो तो खुली आँखों से
हो देखें।
जब तक दूरबीन फोकस करेंगे, पता चला पक्षी गायब।
**
बड़ा पेड़ बनने की
न कभी इच्छा हुई
न ही कल्पना की
क्योंकि मुझे पता है
मेरा जीवन सफर
कली तक का ही है
मेरा जीवन सफर
कली तक का ही है
आरती के
दिये जैसी एक
जोगन सांध्य बेला
खिलखिलाते
फूल के वन
और इक भौरा अकेला ,
मौन सी
हर बाँसुरी पर
लिख गया अनुनाद कोई |
**
फिर एक दिन प्रतिद्वंदी दुकानदार ने पासा फैंका।
अपने यहाँ उसे भोजन पर न्यौता।
उस ने सोचा इतने मान से वह न्यौता दे रहा है
तो जाने में क्या बुराई है।
**
लोग इंतज़ार करते थे तुम्हारा,
ख़ुश हो जाते थे,
जब तुम सीटियाँ बजाती आती थी,
बाँध लेते थे बोरिया-बिस्तर
तुमसे मिलने को बेक़रार.
आज से पहले
जिसे देखा नहीं, सुना नहीं, जाना नहीं
उसका भय बड़ा
भयभीत है पूरी दुनिया
कोरोना से कांप रहा कोना कोना
चुपके से आकर ये
जीवन को आयाम दे रहा
मन की चंचलता को
विराम दे रहा
कुछ लालच बुद्धि को हर लेते हैं फ़िर पछतावा पूरे शरीर पर हावी हो जाता है।
प्रेम के आकर्षण में हम अक़्सर लालची हो जाते हैं और जाने कितने भ्रम पाल लेते हैं।
पछतावे में हमारी हालत ठीक वैसी ही होती है,
जैसे नदियाँ जलकुंभियों को दुनिया घुमाने का लालच दिखाकर शहरों के किनारे
कचरा बनने के लिए छोड़ आती हैं।
उसका हो क्या के उनके बिन महरूम
आजतक हम जो दस्तो पा से रहे
उनको रहना न वैसे रास आया
वो जो दिल में कभी ख़ुदा से रहे
आजतक हम जो दस्तो पा से रहे
उनको रहना न वैसे रास आया
वो जो दिल में कभी ख़ुदा से रहे
**
तुम आओ तो।
बिखरे बिखरे हैं अंदाज़,
उलझे हुए से हैं मेरे ख़्वाब,
तुम आओ तो कुछ बात बने,कह रही है दिल की आवाज़।
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तुम आओ तो।
बिखरे बिखरे हैं अंदाज़,
उलझे हुए से हैं मेरे ख़्वाब,
तुम आओ तो कुछ बात बने,कह रही है दिल की आवाज़।
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आज का सफ़र यही तक
कल फिर मिलेंगे.
- अनीता सैनी
सुंदर भूमिका का है और रचनाएँ भी अच्छी है। पक्षियों की दुनिया में सुबह- सुबह सैर कर आया हूँ । अब साढ़े चार बज गये अपने काम पर निकल रहा हूँ । मौसम अत्यधिक खराब है।
जवाब देंहटाएंसत्य तो यही है कि परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है। प्रकृति सदैव क्रियाशील है, सारे सृजन इसी से होते है और इसके विपरीत स्थिर होना मृत्यु है।
इसीकारण मानव द्वारा निर्मित किसी भी व्यवस्था का अनुसरण हमें रूढ़िवादी होकर नहीं करना चाहिए। समय के साथ उसमें सुधार ( परिवर्तन ) आवश्यक है।
व्यवस्था परिवर्तन के लिए ही क्रांति ने अनेकों बार हमें झकझोरा है।
हम सभी परिवर्तन के अधीन हैं।अब जरा देखें न , होली पर्व के पूर्व से ही खराब मौसम ने कल ऐसा कहर बरपाया कि किसानों का सबकुछ नष्ट हो गया। इस बार फसल अच्छी हुई थी। कृषक अत्यधिक प्रसन्न थे, किन्तु कल हुई जबरदस्त बारिश एवं ओलावृष्टि ने उन्हें सड़क पर ला खड़ा कर दिया। यहाँ जन-धन की भी क्षति हुई है। बिजली कल से ही गुल है। इस परिवर्तन को भी हमें सहन करना ही पड़ेगा।
सभी को प्रणाम, धन्यवाद।
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनीता सैनी जी।
सुन्दर चर्चा। चर्चा मं कहानी को सम्मिलित करने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा। मेरी कविता को सम्मिलित करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.... मेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार
जवाब देंहटाएं" परिवर्तन "एक शास्वत सत्य ,अनीता जी ,बेहतरीन भूमिका के साथ सुंदर लिंकों का चयन किया हैं आपने ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति । सभी चयनित। रचनकारों को बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंअनीता जी आपका हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार |अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंदौड़कर ठिठके
जवाब देंहटाएंहिरन से दिन
हुआ मौसम सुहाना ,
नयन
आखेटक सरीखे
साधते अपना निशाना ,
बिना स्याही
कलम ,चिट्ठी
कर गया सम्वाद कोई |
इस तरह की बहुत बढिया रचनाओं से सजी सुंदर प्रस्तुती प्रिय अनिता |बधाई और शुभकामनाएं|