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मंगलवार, मार्च 10, 2020

" होली बहुत उदास " (चर्चा अंक 3636)

स्नेहिल अभिवादन।

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत हैं। 

" होली " उल्लास और उमंग से भरा रंगों का त्यौहार.... 

मगर इस साल इसकी रंगत ही चली गई हैं..... कभी कभी तो ऐसा लग रहा हैं कि -

जैसे ,हम किसी दूसरे ग्रह के वासी हो गए हैं....... ये धरा तो हमारी हैं ही नहीं।  

क्या इसे ही विज्ञान और तकनिकी के प्रगति का युग कहते हैं ?

क्या  इतने दिनों से हम इसी आधुनिक युग का इंतज़ार कर रहे थे ? 

जहाँ साँस भी बड़ी सोच समझ कर लेनी पड़ रही हैं ....यदि इसे ही विकास कहते हैं तो......

शायद .....हम गवार ही भले थे... 

 हमे नहीं चाहिए ये जेट और नेट का युग जहाँ जिंदगियाँ हरपल सहमी सी रहें...

आज तो बस यही ख्वाहिश कि.....

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन 

बीते हुए दिन वो मेरे प्यारे पल झिन 

सच, बहुत उदास हो गई हैं होली ....सबकी लेखनी भी सहमी और उदास ही हैं.... 


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दोहे  

"होली बहुत उदास"  

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

ऋषि-मुनियों की रीत को, जीवन में लो धार।
फूलों से ही खेलिए, होली को हर बार।।
हाथ जोड़कर दूर से, करना राम-जुहार।
कोरोना का वायरस, पग को रहा पसार।।
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बेसुध धरा पर पड़ी है दिल्ली  

अनीता सैनी जी 

कुछ रंग अबीर का प्रीत से, 
मानव मानव पर मलते  हैं,  
बेसुध धरा पर पड़ी दिल्ली, 
मिलकर बंधुत्व  उठाते  हैं। 
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कहने भर को जीवित पर, 
जीवन हैं बेरंग सभी 
आँखों में चुभते से दिखते 
होली के क्यो रंग सभी 
******

 कोरोना और होली.... औंकार जी 

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न हाथों में अबीर लेकर 
गाल रंगने का सुख होगा, 
न बाँहों में भरकर 
गले लगाने की ख़ुशी 
*******
कोरोना को मुँह चिढ़ाते... मस्त -मग्न हो होली खेलते  
राधा रानी और कान्हा 

 कोरोना होली.... पंकज प्रियम जी 

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फूलों के तू रंग से, भरना मेरे अंग। 
रंग-उमंग-तरंग से, खेलो होली संग।। 

टेसू फूल पलाश से, बनते कितने रंग। 
खौफ़ नहीं कुछ रोग का, कर चाहे हुड़दंग।। 

********

कृष्ण और राधा ने तो सारे खौफ भूलाकर 
फूलों से होली खेल ली तो चले ..... 
अब हम भी क्युँ बेरंग रहें.....  
थोड़ी सी होली हम भी खेल ही ले........ 
हाँ मगर , यहाँ तो ना फूल हैं और ना ही रंग.......  
चले,  भावनाओं के रंगों से ही  
होली खेल लेते हैं .......
एक दूसरे को स्नेह और आदर -सम्मान के रंगों से  
रंग देते हैं और याद करते हैं. ...
बीते दिनों को जब वो मस्ती भरा रंग -संग होता था....
होली के अवसर पर आप सब के लिए ..... 
मैं लाई हमारे प्रिये रचनाकारों के पिटारे से निकालकर  
कुछ नई -कुछ पुरानी  
रंग और मस्ती भरी रचनाएँ......तो आइए ,  
लुफ्त उठाते हैं और...... थोड़ी देर के लिए ही सही  
मन को सुकून देते हैं......
********
"होली" ....मीना भारद्वाज जी 

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इन्द्रधनुषी खुशियों से
सजा रहे संसार
आभामयी रंगों  का
मंगलमय त्योहार
*******

फागुन में उस साल..... रेणु जी 

फागुन    में  उस  साल
फागुन मास   में उस साल - 
मेरे आँगन की क्यारी में , 
हरे - भरे चमेली के पौधे पर - 
जब नज़र आई थी शंकुनुमा कलियाँ 
*******
फाग सुनाये होली...  कुसुम कोठारी जी 
 
फाग सुनाये होली 
तन सूखा मन रंग जाए 

ऐसी स्नेह की होली 

चलो चलें हम आज सभी के 

संग मनायें होली 
*******
होली.... श्वेता सिन्हा जी 
कैसे होली खेलूँ प्रियतम 
ना छूटे रंग प्रीत पक्का 
हरा,गुलाबी, पीत,बसंती 
लाल,बैंजनी सब कच्चा 
तुम हो तो हर मौसम होली 
हर पल लगे अबीर-सा 
*********
आई रे होली आई... अनुराधा चौहान 

मन से बैर-भाव भुला दें 
ताल से ताल मिलाकर 
रंगों में होकर सराबोर सब 
नाचें मिलजुलकर सारे 
खुशियों की धूम मची है 
आई रे होली आई,आई रे होली 
********
कुसुमित प्रमुदित खिली वाटिका 
ऋतुराज रचता रंगोली, 
  रंग चुरा के कुछ टेसू के 
क्यों न खेलें पावन होली। 
****** 
प्रीत रंग..... अनीता सैनी जी 
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छायी  फागुन रुत  सुहानी,  किया  दहलीज़ का शृंगार,   
   अश्रु  बन  लुढ़क  रहा,  श्याम   रंगों   में  प्यार | 
*******

होली,,,, आशा लता जी 

रंग बनाया है पलाश के फूलों से  
रंगों की बरसात लिए 
 आपसी समभाव लिये 
आई होली रंगों की सौगात लिए 
******

मिर्चपुरः होली हुड़दंग(20-20)

व्याकुल पथिक 

 इहो होलिया पे मोदी ब्रॉड पिचकारी कs डिमांड तेज बा.. 
बुढ़वन से लइके जवनकन तक ई वाला ले...
 कही-कही के बौराए हैन..
********
कौन देश को रंग मँगायो
बिन डारे मैं हुई कसुम्बी
तन मन सारो ही रंग ड़ारयो

ना खेलूं होरी तोरे संग 
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अथ होली ढूंढ़ा कथा

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 इसके अलावा ढूंढा नामक राक्षसी की कहानी का वर्णन भी मिलता है, 
जो बड़ी रोचक है।  कहते हैं कि सतयुग में रघु नामक 
राजा का सम्पूर्ण पृथ्वी पर अधिकार था।
*******
होली का अवसर हैं...  मुँह मीठा तो होना ही चाहिए  
तो ज्योति जी खिला रही हैं ..... 
चाशनी वाली मावा गुजिया 
चाशनी वाली मावा गुजिया (chashni wali mava gujiya)
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एक गाने की चंद पंक्तियाँ याद आ रही हैं .......
एक बात बता  रंगरेज मेरे 
कौन से पानी में तूने कौन सा रंग घोला रे 
के दिल बन गया सौदाई..
आज का सफर यही तक ,अब आज्ञा दे 
आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं 
सावधान रहें ,सतर्क रहें 
आपका दिन मंगलमय हो 
कामिनी सिन्हा 

26 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. अत्यंत सुंदर भूमिका एवं प्रस्तुति ।

    उचित कहा आपने कामिनी जी , क्यों कि इस आधुनिक युग में कृत्रिमता की प्रधानता के कारण कर्मपक्ष एवं भाव पक्ष का संतुलन बिगड़ गया है। अतः हमने कर्म के माध्यम से अपनी सुख-सुविधा के अनुकूल जड़ पदार्थों का संग्रह तो कर लिया है, परंतु भाव पक्ष के अभाव में उनमें जीवंतता नहीं ला सके हैं ।
    जाते -जाते पूरा बसंत धरोहर के रूप में देकर जाती है होली ,यानि अधिक शीत और न अधिक धूप । जीवन में भी न ज्यादा शीत यानि यथास्थितिवादी और न ज्यादा आक्रामक स्वभाव का होना चाहिए । मध्यम मार्ग पर सम्भवतः इसी लिए बुद्ध आदि महापुरुषों ने बल दिया है।

    होली कहती है कि आग से न जल पाने का वरदान प्राप्त होने के बावजूद छल-छद्म और असत्य रूपी हिरण्यकश्यप का साथ देने की वजह से वह जल गयी ।

    इसी लिए मैंने बनावट, दिखावट और मिलावट इन तीन शब्दों का सदैव विरोध किया है।
    आप सभी को होली पर्व की शुभकामनाएँ । मेरे लेख " होली हुड़दंग "को मंच पर स्थान देने के लिए आभार।

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    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद शशि जी ,बहुत ही सुंदर बात कही आपने कि -"आग से न जल पाने का वरदान प्राप्त होने के बावजूद छल-छद्म और असत्य रूपी हिरण्यकश्यप का साथ देने की वजह से वह जल गयी " गलत ना होते हुए भी गलत का साथ देने वालों के साथ यही होता हैं। आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं

      हटाएं
    2. हम सभी पाठकोंं की टिप्पणी पर भी आप आभार व्यक्त करती हैं, यह बहुत बड़ी बात है और मुझे उम्मीद है कि चर्चामंच इस मायने में सबसे हटकर है।

      हटाएं
  3. सुख, शान्ति एवम समृद्धि की मंगलमयी कामनाओं के साथ आप एवं आप के समस्त परिजनों को पावन पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ व शुभ प्रभात

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    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद पुरुषोत्तम जी , आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं

      हटाएं
  4. होली के रंग में सराबेर बहुत सुन्दर होलीमय चर्चा।
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।
    चर्चा मंच परिवार की और से सभी पाठको को
    रंगहोत्सव के महापर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद सर , आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं

      हटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. अत्यंत सुन्दर भूमिका के साथ होली के रंगों और भावों से सजी बहुत ही सुगढ़ सुन्दर श्रमसाध्य प्रस्तुति कामिनी जी । इस प्रस्तुति में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार। चर्चा मंच के सभी चर्चाकारों , रचनकारों और सुधि पाठकों को रंगोंत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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    1. सहृदय धन्यवाद मीना जी , आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से मेरा ये प्रयास सफल हुआ ,आपको और आपके समस्त परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

      हटाएं
  7. बहुत सुंदर भूमिका के साथ होली के रंगों से सजी सुंदर प्रस्तूति। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।

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    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद ज्योति जी ,आपको और आपके समस्त परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  8. चर्चा मंच के सभी चर्चाकारों , रचनाकारों और प्रिय पाठकों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  9. सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया. होली की शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर और सार्थक भूमिका से सजी बेहतरीन रचनाओं से युक्त सुगढ़ प्रस्तुति प्रिय कामिनी जी।
    आपकी लेखनी सदैव अपनी छाप छोड़ जाती है।
    मंच के सभी चर्चाकारों एवं पाठकों को होली की शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. दिल से शुक्रिया श्वेता जी ,उत्साहवर्धन हेतु आभार आपका ,सादर नमन

      हटाएं
  11. सुंदर सार्थक भूमिका!
    आपकी अथक मेहनत साफ झलक रही है कामिनी जी।
    होली की मनभावन रचनाओं को ब्लाग ब्लाग जाकर अपने शानदार संकलन किया है ।
    सभी रचनाएं होली की रंग-बिरंगी फाग सी मोहक ।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी दो रचनाकाओं को इस रंगीन अंक में शामिल करने पर हृदय तल से आभार।
    सस्नेह।
    रंगोत्सव की सभी साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं।

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    उत्तर
    1. दिल से शुक्रिया कुसुम जी ,आपको प्रस्तुति पसंद आई तो मेरी मेहनत सफल हुई,दिल से आभार आपका ,सादर नमन

      हटाएं
  12. प्रिय सखी कामिनी , होली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ तुम्हें एक और सार्थक अंक की बधाई | मार्मिक भूमिका जो . होली के सौहार्द के बीच कांटे की तरह चुभते वैमनस्य की टीस जगाती है | तुमने सच कहा -- नेट और जेट के बीच खो गये उस प्यार और भाईचारे की जगह यदि हम आज पिछड़े ही रहते तो अच्छा था -- बस वो प्यार बचा रहता जिसमें मलिनता नहीं थी | आज व्यस्तता के कारण पुरे अंक ना देख पाई सखी | पर देखूंगी जरुर | सभी रचनाकारों को नमन और होली की हार्दिक शुभकामनाएं| मेरी पुरानी रचना को आज फिर से ले आईं तुम जिसके लिए सस्नेह आभार |

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    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद सखी ,बस एक प्रयास हैं ,गुणीजनों के बीच रहकर कुछ अच्छा करने का अवसर मिला हैं ,तुम्हे पसंद आई तो मेहनत सफल हुई ,सादर स्नेह

      हटाएं
  13. सुन्दर भूमिका के साथ लाजवाब चर्चा मंच सभी रचनाएं बेहद उम्दा एवं उत्कृष्ट....।
    आप सभी को होली की अनन्त शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  14. सहृदय धन्यवाद सुधा जी ,इस सुंदर प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी। देरी से आने के लिए माफी चाहूँगी 🙏

    जवाब देंहटाएं
  16. वाह!कामिनी जी ,बहुत ही सुंदर व सार्थक चर्चा । देर से आने के लिए क्षमा चाहती हूँ । सभी रचनाएँ लाजवाब ,अभी कूछ पढनी बाकी हैं । देर से ही सही ,होली की हार्दिक शुभकामनाएँँ ।

    जवाब देंहटाएं

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