सादर अभिवादन
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गीत
"आता है जब नवसंवतसर"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सुख का सूरज
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नव संवत्सर का इतिहास और महत्व
वैसे तो दुनिया भर में नया साल 1 जनवरी को ही मनाया जाता है लेकिन
भारतीय कैलेंडर के अनुसार नया साल 1 जनवरी से नहीं बल्कि चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से होता है। इसे नव संवत्सर भी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह अक्सर मार्च-अप्रैल के महीने से आरंभ होता है दरअसल भारतीय कैलेंडर की गणना सूर्य और चंद्रमा के अनुसार होती है। माना जाता है कि दुनिया के तमाम कैलेंडर किसी न किसी रूप में भारतीय कैलेंडर का ही अनुसरण करते हैं। मान्यता तो यह भी है कि विक्रमादित्य के काल में सबसे पहले भारतीयों द्वारा ही कैलेंडर यानि कि पंचाग का विकास हुआ। इसना ही 12 महीनों का एक वर्ष और सप्ताह में
सात दिनों का प्रचलन भी विक्रम संवत से ही माना जाता है। कहा जाता है कि भारत से नकल कर युनानियों ने इसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैलाया।
सप्तर्षि संवत है सबसे प्राचीन
माना जाता है कि विक्रमी संवत से भी पहले लगभग सड़सठ सौ ई.पू. हिंदूओं का प्राचीन सप्तर्षि संवत अस्तित्व में आ चुका था। हालांकि इसकी विधिवत शुरूआत लगभग इक्कतीस सौ ई. पू. मानी जाती है इसके अलावा इसी दौर में भगवान श्री कृष्ण के जन्म से कृष्ण कैलेंडर की शुरुआत भी बतायी जाती है। तत्पश्चात कलियुगी संवत की शुरुआत भी हुई।
विक्रमी संवत या नव संवत्सर
विक्रम संवत को नव संवत्सर भी कहा जाता है। संवत्सर पांच तरह का होता है जिसमें सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास आते हैं। विक्रम संवत में यह सब शामिल रहते हैं। हालांकि विक्रमी संवत के उद्भव को लेकर विद्वान एकमत नहीं हैं लेकिन अधितर 57 ईसवीं पूर्व ही इसकी शुरुआत मानते हैं।
सौर वर्ष के महीने 12 राशियों के नाम पर हैं इसका आरंभ मेष राशि में सूर्य की संक्राति से होता है। यह 365 दिनों का होता है। वहीं चंद्र वर्ष के मास चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ आदि हैं इन महीनों का नाम नक्षत्रों के आधार पर रखा गया है। चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है इसी कारण जो बढ़े हुए दस दिन होते हैं वे चंद्रमास ही माने जाते हैं लेकिन दिन बढ़ने के कारण इन्हें अधिमास कहा जाता है। नक्षत्रों की संख्या 27 है इस प्रकार एक नक्षत्र मास भी 27 दिन का ही माना जाता है। वहीं सावन वर्ष की अवधि लगभग 360 दिन की होती है। इसमें हर महीना 30 दिन का होता है।
नव संवत्सर का महत्व
भले ही आज अंग्रेजी कैलेंडर का प्रचलन बहुत अधिक हो गया हो लेकिन उससे भारतीय कलैंडर की महता कम नहीं हुई है। आज भी हम अपने व्रत-त्यौहार, महापुरुषों की जयंती-पुण्यतिथि, विवाह व अन्य शुभ कार्यों को करने के मुहूर्त आदि भारतीय कलैंडर के अनुसार ही देखते हैं। इस दिन को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तो आंध्र प्रदेश में उगादी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही वासंती नवरात्र की शुरुआत भी होती है। एक अहम बात और कि इसी दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। अत: कुल मिलाकर कह सकते हैं कि नव संवत्सर हमें धूमधाम से मनाना चाहिये।
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गीत
"आता है जब नवसंवतसर"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सुख का सूरज
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नव संवत्सर का इतिहास और महत्व
वैसे तो दुनिया भर में नया साल 1 जनवरी को ही मनाया जाता है लेकिन
भारतीय कैलेंडर के अनुसार नया साल 1 जनवरी से नहीं बल्कि चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से होता है। इसे नव संवत्सर भी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह अक्सर मार्च-अप्रैल के महीने से आरंभ होता है दरअसल भारतीय कैलेंडर की गणना सूर्य और चंद्रमा के अनुसार होती है। माना जाता है कि दुनिया के तमाम कैलेंडर किसी न किसी रूप में भारतीय कैलेंडर का ही अनुसरण करते हैं। मान्यता तो यह भी है कि विक्रमादित्य के काल में सबसे पहले भारतीयों द्वारा ही कैलेंडर यानि कि पंचाग का विकास हुआ। इसना ही 12 महीनों का एक वर्ष और सप्ताह में
सात दिनों का प्रचलन भी विक्रम संवत से ही माना जाता है। कहा जाता है कि भारत से नकल कर युनानियों ने इसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैलाया।
सप्तर्षि संवत है सबसे प्राचीन
माना जाता है कि विक्रमी संवत से भी पहले लगभग सड़सठ सौ ई.पू. हिंदूओं का प्राचीन सप्तर्षि संवत अस्तित्व में आ चुका था। हालांकि इसकी विधिवत शुरूआत लगभग इक्कतीस सौ ई. पू. मानी जाती है इसके अलावा इसी दौर में भगवान श्री कृष्ण के जन्म से कृष्ण कैलेंडर की शुरुआत भी बतायी जाती है। तत्पश्चात कलियुगी संवत की शुरुआत भी हुई।
विक्रमी संवत या नव संवत्सर
विक्रम संवत को नव संवत्सर भी कहा जाता है। संवत्सर पांच तरह का होता है जिसमें सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास आते हैं। विक्रम संवत में यह सब शामिल रहते हैं। हालांकि विक्रमी संवत के उद्भव को लेकर विद्वान एकमत नहीं हैं लेकिन अधितर 57 ईसवीं पूर्व ही इसकी शुरुआत मानते हैं।
सौर वर्ष के महीने 12 राशियों के नाम पर हैं इसका आरंभ मेष राशि में सूर्य की संक्राति से होता है। यह 365 दिनों का होता है। वहीं चंद्र वर्ष के मास चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ आदि हैं इन महीनों का नाम नक्षत्रों के आधार पर रखा गया है। चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है इसी कारण जो बढ़े हुए दस दिन होते हैं वे चंद्रमास ही माने जाते हैं लेकिन दिन बढ़ने के कारण इन्हें अधिमास कहा जाता है। नक्षत्रों की संख्या 27 है इस प्रकार एक नक्षत्र मास भी 27 दिन का ही माना जाता है। वहीं सावन वर्ष की अवधि लगभग 360 दिन की होती है। इसमें हर महीना 30 दिन का होता है।
नव संवत्सर का महत्व
भले ही आज अंग्रेजी कैलेंडर का प्रचलन बहुत अधिक हो गया हो लेकिन उससे भारतीय कलैंडर की महता कम नहीं हुई है। आज भी हम अपने व्रत-त्यौहार, महापुरुषों की जयंती-पुण्यतिथि, विवाह व अन्य शुभ कार्यों को करने के मुहूर्त आदि भारतीय कलैंडर के अनुसार ही देखते हैं। इस दिन को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तो आंध्र प्रदेश में उगादी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही वासंती नवरात्र की शुरुआत भी होती है। एक अहम बात और कि इसी दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। अत: कुल मिलाकर कह सकते हैं कि नव संवत्सर हमें धूमधाम से मनाना चाहिये।
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अब देखिए बुधवार की चर्चा में
मेरी पसन्द के कुछ लिंक...
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कोई ललित छंद मैं सुनाऊँ कैसे?
कोई ललित छंद मैं सुनाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे?-2
आँगन पड़ी दरार है,
बँटता मेरा परिवार है,
झूठी धरम की रार है,
कैसा ये व्याभिचार है!
तम कर रहा अधिकार है,
बुझने लगी मशाल है,
सत की मशालों को पुनः जलाऊँ कैसे?
राग अनुराग का गाऊँ कैसे...
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यूँ ही ... एक ख़ुशबू ...
हालाँकि छूट गया था शहर
छूट जाती है जैसे उम्र समय के साथ
टूट गया वो पुल
उम्मीद रहती थी जहाँ से लौट आने की
पर एक ख़ुशबू है, भरी रहती है जो नासों में
बिना खिंचे, बिना सूंघे
लगता है खिलने लगा है आस-पास
जंगली गुलाब का फूल कोई ...
स्वप्न मेरे पर दिगंबर नासवा
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लघुकथा : नारायण अस्त्र
दादी और उनका पोता विहान दोनों ही बार - बार खिड़की से झाँक कर बाहर देखते ,फिर झुंझला कर वापस बैठ जाते। आखिर वो करें भी क्या इस लॉकडाउन में अनुभा ने उन दोनों को बाहर निकलने से रोक जो रखा है । डर भी तो है कि इस महामारी के इंफेक्शन का...
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सन्नाटा
सन्नाटे के गाल पर
मारो नहीं चांटा
गले लगाओ इसे
घबड़ाहट में यहां वहां
भाग रहे मौसम को
छतों,बालकनी
आंगन पर पसरे सन्नाटे के
करीब लाओ
यह दोस्ती
हमें जिंदा रहने की
ताकत देगी....
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कुछ जीवनोपयोगी दोहे - 5
:कर्म :
माफी गलती की मिले, जुर्म क्षमा कब होय!
पीछे पछताना पड़े,पाप बीज जब बोय!!
:सद्भावना:
आदर सबका कीजिए,रखिए मन सद्भाव!
परिसर में पसरे खुशी,तन मन लगे न घाव...
~Sudha Singh~
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नारियल का पानी
वही कल वाला समय है. रात्रि का भोजन भी बन गया है, शाम का नाश्ता भी हो गया है, दोपहर की योग कक्षा भी हो गयी है. आज आठ महिलाएं आयी थीं, अच्छा लगता है उन्हें आसानी से प्राणायाम करके शांत होकर बैठते हुए देखना. ताजे नारियल का प्रसाद दिया जो बगीचे से तुड़वाया था...
एक जीवन एक कहानी पर Anita
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लोहे का घर और कोरोना
आज बन्द हो गया लोहे का घर। ऐसा दिन भी आएगा, यह किसी ट्रेन ने नहीं सोचा होगा! कई बार तुम ठहर गए, हम ठहर गए लेकिन नहीं रुकीं फोटटी नाइन, फिफ्टी डाउन, एस. जे. वी. पैसिंजर, दून, किसान, ताप्ती या बेगमपुरा। 'चलती का नाम गाड़ी' है तो गाड़ी के रुकने का मतलब जीवन का ठहर जाना भी है। आज ठहर गया है लोहे का घर, ठहर गए हैं हम और जहाँ का तहाँ, ठहर गया है देश भी....
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
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कोठरी काजल की
है सियासत की दुनिया चमक दमक की
बड़े बड़े प्रलोभन फैले यहाँ वहां
जिसने भी दूरी रखी इससे
बहुत बेचैनी हुई उसे
बहुत बेचैनी हुई उसे
मन ही मन दुख से हुआ संतप्त
क्या लाभ ऐसी दुनिया का...
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सर्वे संतु निरामया:
...आइये इस मुश्किल समय में सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः के एक समान मन्त्र(विचारों) के अनुनाद से हम मानसिक शक्ति एकत्र कर इस कष्ट से मुक्ति पायें |मज़ाक में भी अन्धविश्वास और अफवाहों को बढ़ावा देने वाले विडियो फॉरवर्ड न करें |यथा संभव घर रूककर प्रशासन की मदद करें देश के प्रतिबद्ध सिपाहियों की तरह सबको सुरक्षा दें | एक बार फिर मेडिकल और प्रशासनिक टीम के रूप में डटे योद्धाओं को नमन |
वाग्वैभव पर
Vandana Ramasingh
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कोरोना से बचाव कार्य मे
प्रशासन का सहयोग करें
आज वैश्विक स्तर पर कोरोना जैसी महामारी फैली हुई है। जो लगातार मानव जाति को काल का ग्रास बना रही है। हर देश की सरकार और पूरा प्रशासन इस महामारी के निवारण के लिए संघर्ष कर रही है । सम्पूर्ण विश्व की गति रुक सी गयी है। आज पैसों की दौड़ नही प्राणों की दौड़ शुरू हो गयी है। भारत सरकार व प्रशासन भी पुरे जोश व मुस्तैदी से आमजन को महामारी बचाने में निःस्वार्थ भाव से लगे हुए है।
डॉक्टर, पुलिस, कलेक्टर, सहित पूरे प्रशासन अपनी व अपने परिवार की चिंता छोड़, भूखे प्यासे, 24 घण्टे मेहनत कर रहे है। हर विकट समस्या से निपटने को संघर्ष कर रहे है।
ऐसे मैं हमारा भी दायित्व बनता है कि हम भी घरों में रहकर उनका सहयोग करे। 10 दिन घरों में रहेंगे तो कुछ फर्क नही पड़ेगा। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपने अपने घरों में परिवार के साथ समय व्यतीत करेंगे। और महामारी से बचे रहेंगे...
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आपका आभास
नीतू ठाकुर 'विदुषी'
फिर पलक झुक कर निहारे आपका आभास पाकर
गूँजती है मौन वाणी फिर अधूरा गीत गाकर...
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पेरियार, जहां कायनात
अपने अछूते रूप के साथ विराजमान है
दिल्ली के ''RSCB'' के तत्वाधान में 29 फरवरी से सात मार्च तक की केरल यात्रा के दौरान चौथे दिन, अलेप्पी से करीब 140 की.मी. की दुरी पर स्थित थेकाड्डी, जिसे पेरियार के नाम से भी जाना जाता है, जाना तय था। वैसे थेकाड्डी कस्बे का नाम है और पेरियार वह जगह है जहां वन्य जीव अभयारण्य स्थित है। तमिलनाडु की सीमा से लगती, दक्षिणी-पश्चिमी घाट की कार्डामम और पेंडलाम नामक पहाड़ियों, घने वनों और सुंदर झीलों से घिरी यह जगह अपने खूबसूरत वन-विहार के लिए जगत्प्रसिद्ध है। प्रसिद्ध राजनेता इरोड वेंकट नायकर रामासामी, जिन्हें सम्मान के साथ पेरियार यानी सम्मानित व्यक्ति कहा जाता था, के नाम पर इस जगह का नामकरण किया गया है,,,
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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जब भी कोरा कागज़ देखा
जब भी कोरा कागज़ देखा
पत्र तुम्हें लिखना चाहा
लिखने के लिए स्याही न चुनी
आँसुओं में घुले काजल को चुना...
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आज के लिए बस इतना ही-
आप अपने घर में रहिए।
यह संक्रमण काल है,
बाहर मत निकलिए।
कोरोना के उन्मूलन में सहयोग कीजिए।
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हिन्दू नववर्ष के प्रथम दिन पहली बार सड़कों पर बिल्कुल सन्नाटा है। माँ विंध्यवासिनी मंदिर क्षेत्र जहाँ आज लाखों भक्त जुटते, वहाँ कोई नहीं है।
जवाब देंहटाएं21 दिनों लॉक डाउन में सबसे बड़ी समस्या रोज कमाने और खाने वालों के समक्ष है ।होली पर्व के कारण जेब सबका बिल्कुल खाली है । लोगों ने सोचा था चलो मेहनत -मजदूरी कर अथवा जिस दुकान पर वे काम कर रहे हैं ,उसके सेठ से कुछ पैसे उधार ले लिए जाएंगे। पर्व के कारण बजट तो उनका गड़बड़ा गया है, लेकिन किसी तरह से पटरी पर आ जाएगा , परंतु कोरोना का कहर विदेश से शुरू होकर अपने देश में महानगरों से होते हुए जैसे ही आसपास के जनपदों में पहुंचा सब कुछ गड़बड़ हो गया। अब तो श्रमिक और निम्न मध्य वर्ग के लोग ठन- ठन गोपाल हैं। पैसा क्या मिलना विभिन्न प्रतिष्ठानों के संचालक अपने कर्मचारियों को घर बैठा दिया था , क्योंकि जब ग्राहक ही नहीं है, तो फिर उनकी क्या जरूरत। फिर बेचारे क्या करें, कहां से खाना खाएं और कहां से दवा आदि की व्यवस्था करें । ऐसे वर्ग में कोरोना की पहली मार बच्चों के दूध पर पड़ी है । अनेक लोगों ने दूध बंद करवा दिये है। स्कूल भले ही बंद हैं। लेकिन प्राइवेट स्कूल संचालक इन महीनों के पैसे भी अभिभावकों के गला दबा कर लेंगे यह तो तय है। किसी प्राइवेट स्कूल के संचालक ने यह नहीं कहा है कि बच्चों का एक माह का फीस वे माफ करेंगे। ऐसा वह कहेंगे भी वे क्यों, क्योंकि उनका तर्क होगा कि स्कूल के कर्मचारियों को भी पैसा देना है और दूसरी ओर जैसे ही मालवाहक वाहनों का आना- जाना नहीं है । कालाबाजारी करने वालों के चेहरे की रौनक बढ़ गई है ।उनमें तनिक भी मानवता नहीं है और प्रशासन भी सुस्त है । जनता कर्फ्यू के बाद अचानक सब्जियों के दाम में भारी उछाल आ गया है ।अब तो दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ की डफली बजाने को कहा जा रहा है। परंतु दाल निम्न मध्यवर्ग के घर में अब कहां रोज बनता है। हां नमक रोटी खाओ, यह जरूर नया जुमला हो सकता है गरीबों के लिए।
क्यों कि आलू 50 रुपये और प्याज भी उसी भाव में बिका है।
ऐसी स्थिति में नववर्ष की क्या शुभकामनाएं दूंं।
बस प्रणाम।
बहुत ही सुंदर लिखा आपने शशि भाई. परंतु लॉक डाउन भी जरुरी है न. सही लिखा आपने इंसान ऐसी स्थिति में भी पैसे बनाने की सोच रहे है. मर रही है मानवता लुभा रही है इंसान को राजनीति.
हटाएंसादर प्रणाम
नव वर्ष की शुभ कामनाएं आप सब को |उम्दा लिंक्स|मेरी रचनाएं शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर की हार्दिक बधाई. बहुत सुंदर प्रस्तुति तैयार की है आदरणीय शास्त्री जी सर ने.ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ. संवत 2077 के आगमन का स्वागत है. भारतीय जीवन शैली की विशिष्टताओं का प्रतीक संवत आज भी प्रासंगिक है.
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई.
आज की विशेष चर्चा में मेरी रचना सम्मिलित करने के लिये सादर आभार सर.
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा सूत्र ... आभार मुझे शामिल करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंआपके लिए नवसंवत्सर(नववर्ष विक्रमी संवत 2077) मंगलमयी हो,माँ जगदम्बा भवानी हम सभी को स्वस्थ् रखे और हम पर जो आपदा आई है इससे हम जल्द उबर जाएँ ....
जगतजननी माँ दुर्गा जी का आशीर्वाद प्रदान करें ...
🙏
घर पर रहे सुरक्षित रहें ...
बहुत सुंदर चर्चा अंक सर ,आप सभी को भी नवसंवतसर की हार्दिक बधाई ,माता की कृपा सब पर बनी रहें और हम इस बिपदा से जल्द ही उबर जाए ,सादर नमन
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा, चैत्र नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंचैत्र नवरात्रि की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर सादर प्रणाम 🙏ज्ञानवर्धक भूमिका संग बहुत सुंदर प्रस्तुति दी आपने। और सभी चयनित रचनाएँ भी बेहद उम्दा। मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार। सभी रचनाकारों को ढेरों बधाई।
ज्ञानवर्धक भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति । चैत्र नवरात्रि की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ . माँ जगदम्बा भवानी हम सभी को.. पूरी मानव जाति को स्वस्थ रखे और हम पर आये संकट का निवारण करें 🙏🙏
जवाब देंहटाएंवाह ! आदरणीय सर , सुंदर प्रस्तुति | भूमिका में तो कमाल लिखा | आपकी सधी कलम से बहुत जानकारियाँ मिली | आप सभी को नही नव संवत्सर और दुर्गा नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं| चर्चा मंच की महफ़िलें यूँ ही आबाद रहें और सौहार्द की भावनाएं प्रबल हों यही दुआ है | आज के सभी रचनाकारों को सादर सस्नेह शुभकामनाएं| आपको हार्दिक बधाई और प्रणाम |
जवाब देंहटाएंइस मंच की शोभा बढ़ाने वाले सभी रचनाकारों और पाठकों को नव संवत्सर की बधाई और शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंकोरोना के हाशिये पर गौरैया को जगह देने के लिए शुक्रिया,शास्त्रीजी.