मित्रों!
अब होली का रंग जन-मानस में धीरे-धीरे चढ़ने लगा है।
होली मुख्यतः आनंदोल्लास तथा भाई-चारे का त्यौहार है। जैसे-जैसे समय गुजरता गया वैसे-वैसे इसको मनाने के ढंग में बुराइयाँ भी प्रविष्ट होती चली गईं। इससे मित्रता तो दूर उल्टा शत्रुता ने जन्म लेना शुरू कर दिया।
इस अवसर पर अबीर, गुलाल तथा सुंदर रंगों के स्थान पर कुछ असभ्य तथा मंदबुद्धि लोग कीचड़, गोबर, मिट्टी, न छूटने वाला पक्का जहरीला रंग आदि का प्रयोग करते हैं। इससे इस त्योहार की पवित्रता जाती रहती है। अतः इनका प्रयोग न करें।
इस अवसर पर गंदे तथा अश्लील हँसी-मजाक भी नहीं करना चाहिए।
टाइटल देते समय हमें दूसरों के आत्म सम्मान का विशेष ध्यान देना चाहिए।
हमें इस त्योहार पर किसी के हृदय को चोट पहुँचाने वाला व्यवहार नहीं करना चाहिए।
इस दिन होलिका दहन में गीले-हरे वृक्षों को काटकर आग की भेंट नहीं चढ़ाना चाहिए। इससे हमारी कीमती लकड़ी का नुकसान तो होता ही है, साथ ही पर्यावरण का विनाश भी होता है।
इस अवसर पर अबीर, गुलाल तथा सुंदर रंगों के स्थान पर कुछ असभ्य तथा मंदबुद्धि लोग कीचड़, गोबर, मिट्टी, न छूटने वाला पक्का जहरीला रंग आदि का प्रयोग करते हैं। इससे इस त्योहार की पवित्रता जाती रहती है। अतः इनका प्रयोग न करें।
इस अवसर पर गंदे तथा अश्लील हँसी-मजाक भी नहीं करना चाहिए।
टाइटल देते समय हमें दूसरों के आत्म सम्मान का विशेष ध्यान देना चाहिए।
हमें इस त्योहार पर किसी के हृदय को चोट पहुँचाने वाला व्यवहार नहीं करना चाहिए।
इस दिन होलिका दहन में गीले-हरे वृक्षों को काटकर आग की भेंट नहीं चढ़ाना चाहिए। इससे हमारी कीमती लकड़ी का नुकसान तो होता ही है, साथ ही पर्यावरण का विनाश भी होता है।
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बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शब्द-सृजन-11 का विषय है-
'आँगन'
आप इस विषय पर अपनी रचना आगामी शुक्रवार (सायं 5 बजे तक ) तक चर्चामंच के ब्लॉगर संपर्क (Contact Form ) के ज़रिये भेज सकते हैं। चयनित रचनाएँ आगामी शनिवारीय चर्चा अंक में प्रकाशित की जायेंगीं।
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आज के लिए बस...
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देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ताऊ टीवी द्वारा
रंगारंग होली उत्सव 2020 की
अग्रिम सूचना
प्रिय दर्शकों, आपको यह सूचित करते हुये हर्ष हो रहा है कि होली पर अबकि बार काफ़ी अरसे बाद ताऊ टीवी के लोकप्रिय कार्यक्रम होली उत्सव-2020 का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम के उदघाटन समारोह में शिरकत करने के लिये प्रख्यात ब्लाग वीणा वादक पं. श्री अरविंद जी मिश्र महाराज ने सहर्ष अनुमति दे दी है. पण्डित मिश्र जी महाराज राग झिंझोडी और राग कपार फोड़ी के विश्व के सिद्ध हस्त एकमेव कलाकार हैं। इसके अलावा पण्डितजी ने राग लठ्ठेश्वरी स्वयं ईजाद करके संगीत जगत में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। पण्डितजी ने हमें वादा किया है कि वो इस उत्सव में राग लठ्ठेश्वरी तीन ताल में सुनाएंगे...
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया
--सुख स्वप्न हमारा...
नवगीत
गहन निशा में जुगनू आभा,
गहन तम साथी सहारा है,
निर्मल नीर चाँद की छाया,
ऐसा सुख स्वप्न हमारा है...
बेबसी का दर्द ...
नीतू ठाकुर 'विदुषी'
चिड़िया आग दहकती में क्यों आज स्वयं को झोंक रही।
लड़ती रहती छुरियों से जो जब गर्दन पर नोंक रही
1
देख रहे सब मौन तमाशा, ध्यान किसे है गैरों का।
जहां गुजारा पूरा जीवन, शहर लगे वो औरों का।
पालक पालें लहू पिलाकर, संताने बन जोंक रही।
चिड़िया आग दहकती में क्यों, आज स्वयं को झोंक रही...
--नवगीत
लाचारी
संजय कौशिक 'विज्ञात'
चिड़िया आग दहकती में क्यों आज स्वयं को झोंक रही।
जलते दिखते वृक्ष घौंसले, कितनी कुतिया भौंक रही।
तिनके चुगती मस्त रहे जब, कितना क्रंदन काग करें।
कोयल के चंगुल फँसते फिर, शर्मसार हो आह भरें।
यह विधि की विधना है कैसी, बड़े डराते सभी डरें।
एक समय जब दाँव लगे तो, हाथी चींटी मौत मरें।
राजनीति की दाल गले कब, कौन यहाँ पर छौंक रही।
जलते दिखते वृक्ष घौंसले, कितनी कुतिया भौंक रही...
--जलते दिखते वृक्ष घौंसले, कितनी कुतिया भौंक रही।
तिनके चुगती मस्त रहे जब, कितना क्रंदन काग करें।
कोयल के चंगुल फँसते फिर, शर्मसार हो आह भरें।
यह विधि की विधना है कैसी, बड़े डराते सभी डरें।
एक समय जब दाँव लगे तो, हाथी चींटी मौत मरें।
राजनीति की दाल गले कब, कौन यहाँ पर छौंक रही।
जलते दिखते वृक्ष घौंसले, कितनी कुतिया भौंक रही...
''आपकी सहेली'' की
6 वीं सालगिरह
चीर तिमिर की छाती को अब
सूरज उगने वाला है
प्राची के धुँधले प्रांगन में
उर्मि की स्वर्णिम माला है.... मन की वीणा-कुसुम कोठारी
--सूरज उगने वाला है
प्राची के धुँधले प्रांगन में
उर्मि की स्वर्णिम माला है.... मन की वीणा-कुसुम कोठारी
"व्यथा"
मैं अपने बहुत करीब हूँ ,
या फिर खुद से दूर हूँ ।
व्यथित हूँ मन से बहुत ,
चुप रहने को मजबूर हूँ ...
अभिसारिका
पलक पसारे बैठी है
वह तेरे इन्तजार में
हर आहट पर उसे लगता है
कोई और नहीं है तेरे सिवाय
हलकी सी दस्तक भी
दिल के दरवाजे पर जब होती
वह बड़ी आशा से देखती है...
सिर्फ तेरा नाम
कल रात तेरे नाम एक कलाम लिखा
कागज कलम उठा करा इक पैगाम लिखा,
पहले अक्षर से आखिरी अक्षर तक
तेरा नाम, तेरा नाम सिर्फ तेरा नाम लिखा.....
ढूँढने निकले कि कहीं से कुछ अरमान मिले
तुझे देने को कहीं से कुछ सामान मिले,
मगर फूलों के गाँव से,चाँद की छाँव से
तेरा नाम, तेरा नाम सिर्फ तेरा नाम मिला.....
केजरीवाल सरकार के पास
अभी भी नहीं हैं प्रशासनिक अधिकार
अधूरे सपनों की कसक
१ मार्च को रेखा श्रीवास्तव जी के संपादन में "ब्लॉगर्स के अधूरे सपनों की कसक" पुस्तक का मुखर्जी नगर में लोकार्पण हुआ। वहीं ब्लॉग और ब्लॉगिंग को लेकर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें अपने समय के सभी दिग्गज ब्लॉगर्स द्वारा चिंता व्यक्त करते हुए समाधान भी प्रस्तुत किया गया। एक सार्थक परिचर्चा की गयी। सबका फोकस पूरी तरह सब्जेक्ट पर रहा। वहीं रंजना यादव जी ने बहुत खूबसूरती से मंच संचालन किया जो रेडियो एंकर भी हैं। रेखा जी के पति, उनकी बेटियाँ तो थी हीं, उनके दामाद भी इस आयोजन में बहुत शिद्दत से शामिल थे। हमें भी अपनी बात रखने का मौका मिला,,,
vandan gupta
--गुब्बारे
कुंडलिनी
गुब्बारे जब बेचते ,करें विनय !लो आप।
क्षुधापूर्ति को चाहिये,रहा अँगूठा छाप।
रहा अँगूठा छाप,तनय को दूँ सुख सारे।
हो उसका कल्याण ,नहीं बेचे गुब्बारे...
--ऐसे शिक्षकों को तो
‘निष्ठा’ कार्यक्रम
या ‘प्रेरणा’ एप भी नहीं सुधार सकते
आज एक लज्जाजनक विषय पआज एक लज्जाजनक विषय पर लिखने जा रही हूं जो यह सोचने पर बाध्य करता है कि अपने बच्चों में शिक्षा व संस्कार पिरोने की इच्छा के साथ हम उन्हें जिन शिक्षकों के हवाले करते हैं, क्या वे शिक्षक स्वयं इतने संस्कारवान हैं कि हमारे बच्चों को ”लायक बना सकें”? या फिर हम भी उसी अंधी और भयावह दौड़ में शामिल हैं जो कि प्राइमरी से लेकर डिग्रीधारक तक तो तैयार कर रही है मगर संस्कार और शैक्षणिक योग्यता उनमें सिरे से नदारद है।
और यही साबित किया है उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले की उन शिक्षिकाओं ने जो न केवल स्वयं सपना चौधरी के गानों पर डांस कर रही थीं बल्कि अपने ऊपर पुरुष शिक्षकों द्वारा लुटाए जा रहे रुपयों का वीडियो भी बना रही थीं। शिक्षिकाओं के डांस करने पर भला किसे आपत्ति हो सकती है परंतु ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान ”यह सब” किया जाना बेहद आपत्तिजनक है।
देखिए वायरल वीडियो का लिंंक-
अब छोड़ो भी पर Alaknanda Singh
--'लोकतंत्र संवाद' मंच
साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना
भाग-१
दिल्ली दंगा
दिल्ली की हवा तो पहले से खराब है, इसकी जानकारी तो हमे थी। किन्तु हवा इतनी जहरीली हो गई है इसका एहसास तो आने के बाद हुआ। क्रंदन और वंदन का दौर अब भी अनवरत है। धार्मिक कुनिष्ठा के साथ सहनशीलता की अतिरेक प्रदर्शन तो हो ही गया। फिर भी यथोचित मानवीय गुणों को तो तभी ही सहेजा जा सकता है।।जब वर्तमान आपका सुरक्षित हो।असुरक्षा के भाव धारण कर कब तक इंसानी जज्बात और मानवीय संवेदना को आप वैसे ही सहेज पाते है,कहना कठिन है...
अंतर्नाद की थाप पर कौशल लाल
--खूँटे से बंधे प्राणी
संसार में हरेक प्राणी बंधा होता है
किसी न किसी खूंटे से
परोक्ष या अपरोक्ष रूप से
स्वच्छंद जीने की कामना करना
मेरी नजर में एक भ्रम मात्र है
बहुत से खूंटे से बंधे प्राणियों को
खूंटे से दूर होना बिल्कुल पंसद नहीं
क्योंकि वे आदी हो चुके होते हैं...
--किसी न किसी खूंटे से
परोक्ष या अपरोक्ष रूप से
स्वच्छंद जीने की कामना करना
मेरी नजर में एक भ्रम मात्र है
बहुत से खूंटे से बंधे प्राणियों को
खूंटे से दूर होना बिल्कुल पंसद नहीं
क्योंकि वे आदी हो चुके होते हैं...
पुस्तक समीक्षा
"भावावेग"
(समीक्षक-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कुन्दन कुमार का नाम साहित्यजगत के लिए अभी अनजाना है। हाल ही में इनका काव्य संग्रह “भावावेग” प्रकाशित हुआ है। जिसमें कवि की उदात्त भावनाओं के स्वर हैं।
मेरे पास समीक्षा की कतार में बहुत सारी कृतियाँ लम्बित थीं। अतः इस कृति की समीक्षा में विलम्ब हो गया। मैंने जैसे ही “भावावेग” को संगोपांग पढ़ा तो मेरी अंगुलियाँ कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर शब्द उगलने लगीं...
शब्द-सृजन-11 का विषय है-
'आँगन'
आप इस विषय पर अपनी रचना आगामी शुक्रवार (सायं 5 बजे तक ) तक चर्चामंच के ब्लॉगर संपर्क (Contact Form ) के ज़रिये भेज सकते हैं। चयनित रचनाएँ आगामी शनिवारीय चर्चा अंक में प्रकाशित की जायेंगीं।
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आज के लिए बस...
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समसामयिक भूमिका एवं रचनाएं भरपूर सदैव की तरह सुंदर प्रस्तुति..।
जवाब देंहटाएंगुरुजी आप एवं सभी रचनाकारों को प्रणाम।
होली पर एक और बड़ी बुराई है कि अनेक लोग मदिरा का सेवन करते हैं ,लड़ते- झगड़ते हैं, इससे सर्वाधिक प्रभावित उनके परिवार के सदस्य होते हैं।
बहुत सुन्दर समसामयिक भूमिका और सुन्दर सराहनीय सूत्रों से सुसज्जित बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति । मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए सादर आभार सर 🙏
जवाब देंहटाएंहोली पर आधारित भूमिका जल्दी से होली आ जाए इसकी व्याकुलता बढ़ा रही है बहुत ही सुंदर चर्चा अंक...🙏
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक आज के |
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्रीजी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा, अच्छे लिंक्स, मेरे लेख को भी शामिल करने के लिए धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय मेरी रचना को स्थान देने के लिए 🙏🙏🙏 शायद गलती से जल्दबाजी में आपने विज्ञात सर के नाम से गलत रचना प्रेषित कर दी है 🙏
जवाब देंहटाएंनवगीत
लाचारी
संजय कौशिक 'विज्ञात'
मापनी~16/14
चिड़िया आग दहकती में क्यों
आज स्वयं को झोंक रही।
जलते दिखते वृक्ष घौंसले,
कितनी कुतिया भौंक रही।
उनकी रचना यह है 🙏🙏🙏 कृपया नीचे दिए गए लिंक को उनकी रचना के साथ जोड़ें 🙏🙏🙏 सर द्वारा दी गई पंक्ति पर हमने सृजन किया है पंक्ति उन्ही की है ...वो विज्ञात नवगीत माला में नवगीत लिखना सिखाते है 🙏🙏🙏
http://vigyatkikalam55.blogspot.com/2020/03/blog-post_72.html
सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंसुंदर और ज्ञानवर्धक लिंकों से सजी बेहतरीन चर्चा अंक सर ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंहोली पर आधारित आपकी महत्वपूर्ण भूमिका के संग आज की प्रस्तुति भी बेहद उम्दा। सभी पठनीय रचनाएँ भी लाजवाब हैं। सभी को खूब बधाई।
बहुत ही सुंदर संदेश देती लाज़वाब भूमिका आदरणीय सर.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति. सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई.
मेरी रचना को स्थान देने के लिये सहृदय आभार
सादर