सादर अभिवादन।
-- आज
दिल्ली की
सड़कों पर
सुरक्षा बलों की
बड़ी संख्या में
मुस्तैदी देखी,
जान गयी
माल लुटा
संपत्ति जली
तब
पुलिस
प्रशासन
सरकार ने
बेशर्मी से
संवेदनाविहीन हो
की अनदेखी।
--
-रवीन्द्र सिंह यादव
शब्द-सृजन-11 का विषय है-
'आँगन'
आप इस विषय पर अपनी रचना आगामी शुक्रवार (सायं 5 बजे तक ) तक चर्चामंच के ब्लॉगर संपर्क (Contact Form ) के ज़रिये भेज सकते हैं। चयनित रचनाएँ आगामी शनिवारीय चर्चा अंक में प्रकाशित की जायेंगीं।
--
आइए पढ़ते हैं आज के चर्चा अंक में मेरी पसंदीदा रचनाएँ।
-- आज
दिल्ली की
सड़कों पर
सुरक्षा बलों की
बड़ी संख्या में
मुस्तैदी देखी,
जान गयी
माल लुटा
संपत्ति जली
तब
पुलिस
प्रशासन
सरकार ने
बेशर्मी से
संवेदनाविहीन हो
की अनदेखी।
--
-रवीन्द्र सिंह यादव
शब्द-सृजन-11 का विषय है-
'आँगन'
आप इस विषय पर अपनी रचना आगामी शुक्रवार (सायं 5 बजे तक ) तक चर्चामंच के ब्लॉगर संपर्क (Contact Form ) के ज़रिये भेज सकते हैं। चयनित रचनाएँ आगामी शनिवारीय चर्चा अंक में प्रकाशित की जायेंगीं।
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आइए पढ़ते हैं आज के चर्चा अंक में मेरी पसंदीदा रचनाएँ।
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अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद की साहित्य सुलभ
योजना के अंर्तगत प्रकाशित बृजेश नीरज का
कविता संग्रह "कोहरा सूरज धूप"
अपने नाम के अनुरूप प्रकृति के चित्रण से भरपूर है,
लेकिन कवि ने प्रकृति के मनोहारी चित्र कम ही खींचे हैं।
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जीवन की अँधेरी राहों पर
चंदा भी तुम, तारे भी तुम ।
सूरज भी तुम, दीपक भी तुम,
अँधियार का डर क्यों हो मुझको ?
४०६.दर्द की तलाश
*****
न उनसे दर्द मिला,
जिनका धर्म अलग है,
न उनसे जिनकी जाति.
उनसे भी सुख ही मिला,
जिनका रंग अलग है,
जिनकी भाषा भिन्न है.
*****
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आज सुबह-सुबह फिर से इस मनहूस का चेहरा देख
लिया सारा दिन बेकार जाएगा!
बड़बड़ाते हुए मीना ने माला हाथ में ले राम-राम जपने लगी।
काहे नाराज हो रही हो मीना?
काहे मुँह फुलाए हो?
अरे काकी का बताएं!बिन्नू की बहू से कित्ते
दाएं कह चुके! सामने न पड़ो करो!
*****
मैं बेसुध ...
*****
अब क्या सोचना
*****
अब क्या सोचना
जीवन बढ़ता जाता
कन्टकीर्ण
मार्ग पर
अकेले चलने में
दुःख न होता फिर भी |
क्यूँ कि आदत सी
हो गई अब तो
सब कुछ झेलने की
सब कुछ झेलने की
अकेले ही रहने की |
*****
अगले दो दिन
तैयरियों में बीते. छोटा-बड़ा तमाम सामान सहेजा गया.
अनाज की बोरियां भरी गयीं.
मसाले, अचार, पापड़, बड़ियां ....
सब कुछ. ज़रूरी बर्तन और बिस्तरों का पुलिंदा बनाया
गया. सुमित्रा जी सब देख रही थीं
प्रीत पूरी कौन कहता।
देख कलियों में भ्रमर के,
गान गुंजन स्नेह महता।
प्रीत का यह रूप पावन,
जो बहुत ऊँचा बताया।
कृष्ण धारे मुरलिया को
भाव राधा ने दिखाया।
*****
वैमनस्य
सहन शक्ति सीता की भूले
भूले पन्ना माँ का त्याग,
बोझ अहम् का बढ़ता जाता,
जले स्वार्थ की उर मेँ आग।
घना कोहरा दूर भगाओ
प्रेम रश्मि से हो अब भोर
वैमनस्य का कारण ढूंढो
झांक जरा भीतर की ओर
*****
" मैं हूँ नईया तू हैं पतवार "
" क्या हुआ ...इतने परेशान से क्युँ हो ...
ये लो पहले पानी पीओ ...
पसीने से लथपथ हुए पड़े हो "
-अपने आँचल से आकाश के चेहरे पर आए
पसीने को पोछते हुए अवनी ने कहा।
*****
हरीरा गन्ध~
बीमा पत्रक पर
पुत्री का नाम....
2.
पहाड़ी वन~
पेड़ो से पत्ते काटे
ग्रामीण नारी....
*****
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी सोमवार.
रवीन्द्र सिंह यादव
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी सोमवार.
रवीन्द्र सिंह यादव
अद्यतन लिंकों के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
उम्दा लिंक्स आज के मंच की |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी |
सुन्दर चर्चा. मेरी रचना शामिल करने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा । मेरा लिंक शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा अंक सर ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंसब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया
जवाब देंहटाएंदिन में अगर चिराग जलाए तो क्या किया
पुलिस और प्रशासन दोनों का यही हाल है। हर संवेदनशील इंसान हतप्रभ और टूटा हुआ महसूस कर रहा है इस हिंसा से। कितना मजबूर है इंसान ! इंसानियत जब शैतानियत के हाथों परास्त हो जाती है तब ऐसे मंजर उभरते हैं।
अच्छी प्रस्तुति। मेरी रचना को चर्चामंच में स्थान देने हेतु सादर आभार।
सुंदर चर्चा प्रस्तुति, मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसमसामयिक भूमिका के साथ शानदार चर्चा मंच
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को मंच पर स्थान देने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका....।
ढंग से औपचारिकता भी जिस प्रशासन से पूरी ना हुई उस पर भला जनता को कैसे भरोसा हो।
जवाब देंहटाएंसमसामयिक भूमिका के संग बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय सर। सभी पठनीय रचनाओं का चयन किया आपने। सभी को ढेरों बधाई।
क्षमा करिएगा कल व्यस्तता के कारण आ ना पाए। सादर प्रणाम 🙏