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मंगलवार, मार्च 17, 2020

'मन,मानव और मानवता'(चर्चा अंक 3643)

स्नेहिल अभिवादन। 
आज की  प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। 
मानव " हाड़ -मांस- रक्त से निर्मित सृष्टि की सबसे नायब कृति और " मन "  मानव शरीर का वो अदृश्य अंग जो दिखाई तो नहीं देता मगर होता सबसे शक्तिशाली हैं।मानव का मन ही समस्त शक्तियों का स्त्रोत होता हैं। काम-, क्रोध लोभ- मोह, ईर्ष्या -द्वेष, पाना- खोना, 
हँसना- रोना ये सारे कर्म मन ही करता हैं। 
मन ही देवता, मन ही ईश्वर
मन से बड़ा ना कोए
मन उजियारा जब जब फैले
जग उजियारा होये
और  " मानवता " यानि " मानव की मूल प्रवृति "   प्राणी मात्र से प्रेम  ,दया- करुणा,परोपकार, 
परस्पर सहयोगिता ही मानवता हैं और  विश्व में प्रेम, शांति, व संतुलन के साथ-साथ
 मनुष्य जन्म को सार्थक करने के लिए मनुष्य में 
इन मानवीय गुणों का होना अति आवश्यक है।
" जिस मन में परमात्मा का वास हो वहाँ मानवता का वास स्वतः ही हो जाता हैं।" मानवता में ही सज्जानता निहित हैं।मानव होने के नाते जब तक हम दूसरो  के दु:ख-दर्द में साथ नहीं निभाएंगे तब तक ये जीवन सार्थक नहीं हैं और हम मानव कहलाने के योग्य भी नहीं हैं।

वर्तमान में हमने मानवता को भुलाकर अपने आप को जाति-धर्म, उच्च -नीच ,गरीब-अमीर जैसे 
कई बंधनों में बांध लिया हैं। हमारे अति पाने की लालसा और स्वार्थ में लिप्त हमारी 
बुद्धि ने हमारे मन को विकार ग्रस्त कर दिया हैं.... 
और हमने  इन सभी मानवीय गुणों से खुद को रिक्त कर लिया हैं। आजकल तो अक्सर 
जानवरो में मानवता दिख भी जाती हे मगर इंसान में तो पशुता ही दिखाई दे रही हैं.....
फिर भी इतना तो निश्चित हैं कि.... अब भी मानवता कही -न -कही ,किसी- ना -किसी 
रूप में जिन्दा हैं तभी तो धरती कायम हैं .....
इसी विश्वास के साथ मानवता को समर्पित आज का ये चर्चाअंक.... 
आइए चलते हैं ....मानव मन में मानवता का बीजारोपन करती... 
आज की कुछ खास रचनाओं की ओर..... 
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दोहे 

"घोड़ों से भी कीमती, गधे हो गये आज" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

मौसम है बदला हुआ, बदले रीति-रिवाज।
घोड़ों से भी कीमती, गधे हो गये आज।।
--
बनी हुई सम्भावना, नियमित नित्य अनन्त।
बिकते ऊँचे दाम में, राजनीति के सन्त।।

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कोरोना वायरस

मेरी फ़ोटो
मृत्यु का भय महाविकट रोग है 
कालाबाज़ारी का यह कैसा योग है 
फ़ेस मास्क सेनिटाइज़र ग़ाएब हुए 
मानवता पर क़ुदरत का कठिन प्रयोग है।  

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समझ चुकी थी बुद्धि हराना है बहुत कठिन अन्य इन्द्रियों को दिया आदेश सभी से मिलकर
 मन, मानव और मानवता का किया शीश क़लम। मन मानव का रोया मानवता फिर भी मुस्कुरायी। 
तीनों की तलवार वहीं  धरा पर देखते ही देखते सुमन हेप्पीओलस का वहीं  खिल गया।  
मूल में मानव, तने में मन और पुष्प मानवता का खिल गया। 
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मानवता की एक झलक 
दिल्ली, जनकपुरी की RSCB नामक संस्था  

वर्षों से वरिष्ठ नागरिकों के लिए कार्यरत है

मेरी फ़ोटो

देश की राजधानी दिल्ली के जनकपुरी इलाके में भी  एक ऐसी ही संस्था, 

Retired & Senior Citizens Brotherhood, 

कई सालों से समर्पित भाव से वरिष्ठ तथा सेवानिवृत लोगों के लिए कार्यरत है। 

जो उनकी शारीरिक व मानसिक समस्याओं का  

हल निकालने में मदद तो करती ही है,

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ऐसे लोग मजदूर कहलाते हैं।

वो मेहनत करते हैं,
वो मजदूरी भी करते हैं,
दो वक्त की रोटी खातिर
जाने कितने पत्थर तोड़ते हैं।
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अमर शहीद - ए - वतन अशफाक उल्ला_खां को समर्पित

बिस्मिल हिंदू हैं कहते हैं, 'फिर आऊंगा,फिर आऊंगा,फिर आकर ऐ भारत मां तुझको आजाद कराऊंगा.'...
जी करता है मैं भी कह दूं पर मजहब से बंध जाता हूं,मैं मुसलमान हूं पुनर्जन्म की बात नहीं कर पाता हूं.
.हां, खुदा अगर मिल गया कहीं तो अपनी झोली फैला दूंगा और
 जन्नत के बदले उससे एक पुनर्जन्म ही मांगूंगा.'
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आज भी माँ क़ब्र से लोरी सुनाती है मुझे

याद जिसकी आज भी रातों जगाती हैं मुझे 
वो मेरी माँ की महक कितना रुलाती हैं मुझे 
सो रही हैं प्यार से मिट्टी की चादर ओढ़कर 
आज भी माँ कब्र से लोरी सुनती हैं मुझे

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तुम्हें बदलते देख रही हूँ

मेरी फ़ोटो
मौसम बदलते देखे थे
अब तुम्हें  बदलते देख रही हूँ
सूरज से आये थे एक दिन
साँझ सा  ढलते   देख रही हूँ !
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कोरोना कहता है सबसे,
दूर से करो नमस्कार।
काहे भूले तुम अपने,
पुरखों के दिए संस्कार।
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क्या महिलाओं ने मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान खाना बनाया तो अगले जन्म में वे श्वान पैदा होंगी?
गुजरात के मशहूर स्वामीनारायण संप्रदाय के एक मंदिर के
 स्वामी कृष्णनस्वरुप दास ने पिछले दिनों एक प्रवचन के दौरान कहा कि, 
यदि महिलाएं मासिक धर्म के दौरान खाना बनाएंगी तो अगले जन्म में वह श्वान पैदा होगी।
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दोहरा मापदंड
 " परंतु मम्मी अभी तो थोड़ी देर पहले ही आप  रामू काका को मिलावटखोर कह डाँट रही थी। 
मैंने घर में प्रवेश करते हुये सुना था। कठिन परिश्रम के कारण काका के ढीले पड़े कंधे, 
आँखों के नीचे गड्ढे और माथे पर शिकन भी आपको भला कहाँ दिखे थे।
*****
शब्दसृजन-13 का विषय है-

"साँस"
आप इस विषय पर अपनी रचना 
आगामी शनिवार (सायं 5 बजे तक ) तक 
चर्चामंच के ब्लॉगर संपर्क (Contact  Form ) के ज़रिये भेज सकते हैं। 
चयनित रचनाएँ आगामी रविवासरीय चर्चा अंक में प्रकाशित की जायेंगीं।
आज बस यही तक ,अब आज्ञा दे.... 
परमात्मा से प्रार्थना हैं- सम्पूर्ण  विश्व कोरोना वायरस से मुक्त हो ....
आपका दिन मंगलमय हो ,आप स्वस्थ रहें प्रसन्न रहें... 
कामिनी सिन्हा 

20 टिप्‍पणियां:

  1. मन , मानव और मानवता
    अत्यंन्त सुंदर भूमिका एवं प्रस्तुति भी।

    मन होता है बड़ा विचित्र, जहाँ अभी स्नेह था ,तो अगले ही क्षण संदेह आसन जमा लेता है। यह फैलता है तो पहाड़ भी छोटा हो जाता है और सिमटता है तो चींटी भी हाथी।
    मानव कमजोर मिट्टी से निर्मित इसी मन को आजीवन विवेक रूपी मस्तिष्क के माध्यम से सबल करने में लगा रहता है, ताकि जीवन के तिक्त एवं मधुर क्षणों को सम भाव से व्यतीत कर सके। समाज में उसे सकारात्मकता का प्रतीक समझा जाए।
    पर मनुष्य जीवन में मानवता का सृजन तो तभी होगा जब हमारी कथनी और करनी एक समान हो।
    इसी संदर्भ में मेरी रचना " दोहर मानदंड " को मंच पर स्थान देने केलिए आपका आभार कामिनी जी।
    सभी को प्रणाम।

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    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद शशि जी ,इस सुंदर प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार आपका ,सादर नमन

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  2. सशक्त भूमिका के साथ अति उत्तम प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद मीना जी ,इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार आपका ,सादर नमन

      हटाएं
  3. बहुत सुन्दर और सधी हुई चर्चा।
    कामिनी सिन्हा जी धन्यवाद आपका।

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    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद सर ,आपका आशीष बना रहें सादर नमन आपको

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  4. बहुत सुंदर चर्चा। मेरी कविता को स्थान देने के लिए शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।

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    1. सहृदय धन्यवाद ज्योति जी ,इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार आपका ,सादर नमन

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  6. सार्थक भूमिका और उम्दा संकलन। आभार, बधाई और शुभकामनाएं!!!

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    1. सहृदय धन्यवाद विश्वमोहन जी ,इस प्रोत्साहन के लिए दिल से आभार आपका ,सादर नमन

      हटाएं
  7. सुंदर संकलन, मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी।

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  8. बेहतरीन भूमिका के साथ शानदार प्रस्तुति आदरणीय कामिनी दीदी.मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहे दिल से आभार
    सादर

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  9. मन मानव और मानवता को सार्थक करती भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुती प्रिय कामिनी | तुमने इतना अच्छा लिखा की कहने को शेष कुछ नहीं रहा | तुम्हारी लेखनी यूँ ही संवरती रहे सखी | आज की चर्चा के सभी लिंक बहुत बढिया रहे | गगन जी का लेख मुझे विशेष रोचक लगा | बाकि तो अपनी जगह सभी अच्छे हैं | मेरी रचना को भी चर्चा का हिस्सा बनाने के लिए सस्नेह आभार |

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  10. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    Mere blog par aapka swagat hai.....

    जवाब देंहटाएं

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