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शनिवार, मार्च 06, 2021

'निसर्ग महा दानी'(चर्चा अंक- 3997)

 शीर्षक पंक्ति: आदरणीया कुसुम कोठारी जी की रचना से। 

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सादर अभिवादन। 

शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।

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आज भूमिका में वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीया कुसुम कोठारी जी की रचना का काव्यांश-
तुम कितने नाजुक सुंदर हो
खुश आजाद परिंदे
अपने मन का खाते पीते
उड़ते रहते नभ में
अमोल कोष लुटाता रहता
है निसर्ग महा दानी।।
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आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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आदरणीय शास्त्री के पौत्र प्रिय प्रांजल के जन्मदिवस पर चर्चामंच परिवार की ओर से अनेकों  शुभकामनाएँ-
आशीष की मिले घनेरी छाया,
सदा रहे सर पर बड़ों का साया।
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पौत्र का जन्मदिन "आज कुछ उपहार दूँगा"

उन्नति की राह पर बढ़ते रहो तुम,
नित्य नवसोपान पर चढ़ते रहो तुम,
ज्ञानवर्धक पोथियाँ पढ़ते रहो तुम,
गर भटक जाओ कभी मझधार में,
पार करने को तुम्हें पतवार दूँगा।
 हृदय से निकले हुए उद्गार दूँगा।।
--
ओ पंछी तू बैठ हथेली 
चुगले दाना पानी।
नही फिक्र न चिंता करते
नीड़ कभी जो रौंदा
तिनका-तिनका जोड़ बनाते 
फिर एक नया घरौंदा
करते रहते कठिन परिश्रम
तुम सा मिला न ध्यानी।।
संशय को तलाशती
ज्ञान के साँचें में ढ़ालती
सोना बन आएं जो उन्हें
मैं कुंदन सा ही निखारती
पोथी पतरों के रहस्य
मैं सजाती , सम्हालती
अनकही, अनसुनी सी
हर पहेली का जबाव हूँ
पढ़ना भूल बैठे हो तुम जिसे
हाँ, मैं वहीं किताब हूँ
--
अगस्त के महिने के
तीसरे गुरुवार की दोपहर
मूसलाधार बारिश में भीगता हुआ
वो मेरी दहलीज पर आया था ।
मुझसे विदा लेने ...
फिर आने का वादा करके।
इंतजार करना 
मैं लौटकर आऊंगा
दिसम्बर के अंतिम सप्ताह।
--

अकस्मात

जी जाते अगर लंबे 
तो सारे भ्रम दूर हो जाते ।
चकनाचूर हो जाते
इरादे अपने अनुभव से 
सबको राह दिखाने के ।
अपने स्नेह की फुहार से 
घर की फुलवारी सींचने के ।
--
अपने
पुराने
बदनण्पर
नई
पत्तियों वाली पोशाक में
बचपन
सा 
झूम रहा था।
--
महिलाओ को एक दूजे का 
साथ जरूरी है ,

हक -सम्मान का आपस में
लेन -देन जरूरी है ।

तभी मिटेगी किस्मत की
अँधेरी तस्वीर ,

धो देगी मन के मैल सभी
संगम धारा का नीर ।
स्मृतियों के भित्ति चित्र, धीरे धीरे घुप्प
अंधेरे में कहीं खो जाएंगे, रह जाएंगी
शेष, कुछ अनुभूति की उड़ती हुई
चिंगारियां, सभी विष
अपने आप एक
दिन हो
जाएंगे निस्तेज
--

गहमागहमी..

 बेतहाशा हताशा 

के दौर में ..

मन की निराशा

किसी कलमकार के 

मन की..

अंत:सलिला

 बन बहती है

--

जाग सांवरे

नजर गिद्ध सी लिए गली में
निर्बल पर करते वार।
अपनों से अपनों को मिलती
हरदम धोखे भरी मार।
जात-पात का झगड़ा-टंटा
अब सिर ही फूटा जाए।
मानवता का दुश्मन सोचे
कब मानव लूटा जाए।
नेत्र खोल के…
--
एक गृहणी की प्रतिज्ञा (महिला दिवस )
पौधे लगाऊंगी फूल खिलाऊँगी
सब्जी उगाऊँगी फल भी उगाऊँगी
गमले में करूं बागबानी सुनो री सखी

आस पड़ोस को साफ कराऊंगी
सड़क किनारे मैं पेड़ लगवाऊंगी
करूंगी खुद निगरानी सुनो री सखी
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कंटेंट राइटर कैसे बने ?

अगर आपकी लेखन में रूचि है तो आप एक कंटेंट राइटर बन सकते हो।

लेकिन आपका फोकस अगर सिर्फ पैसे कमाना है तो  ये काम आपके लिए थोडा निरस हो सकता है, क्यूंकि कंटेंट राइटिंग के लिए आपको काफी शोध भी करना पड़ेगा।और एक आर्टिकल लिखने के लिए आपको कभी- कभी घंटो तक रिसर्च भी करनी पड़ सकती है

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पतनोन्मुख समाज का चित्रण करता कविता-संग्रह
कवि का खुद को शामिल करना इशारा है कि बड़ी-बड़ी बातें करने वाले हम सभी पतन के लिए कहीं-न-कहीं जिम्मेदार हैं। भले ही हम दूसरे पर अंगुली उठाकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लें, लेकिन वास्तव में निर्दोष हम भी नहीं। हमारे कारण ही झूठ, फरेब, अन्याय, अत्याचार बढ़ रहा है। कवि लिखता है -
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आज का सफ़र यहीं तक 
फिर फिलेंगे 
आगामी अंक में 
--

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और पठनीय लिंक मिले आज की चर्चा में।
    आपका आभार अनीता सेनी दीप्ति जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी रचनाएँ अपने आप में अद्वितीय हैं मुग्ध करता हुआ चर्चामंच, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीया - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  3. नमस्कारं �� सुप्रभातम! मेरे लेख को मंच में शामिल करने के किये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !!
    आप सभी का दिन शुभ हो ��

    जवाब देंहटाएं
  4. आज के संकलन के माध्यम से कई नए ब्लॉग तक पहुँचाने का अवसर मिला . आभार .

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया प्रस्तुति... हमेशा की तरह सभी लिंक्स सुन्दर। मेरे सृजन को साझा करने हेतु हार्दिक आभार अनीता जी!

    जवाब देंहटाएं
  6. शानदार लिंकों का चयन,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर एवं रोचक रचनाओं के शानदार संकलन संयोजन तथा प्रस्तुतीकरण के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ प्रिय अनिता जी, मेरे गीत को शामिल करने के लिए आपका हृदयतल से असंख्य आभार एवं नमन..

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया प्रस्तुति अनिता जी,सभी रचनाकारों को ढेरों बधाई , बेहतरीन चर्चा, हार्दिक आभार बहुत बहुत धन्यबाद भी नमन

    जवाब देंहटाएं
  9. पठनीय और सराहनीय अंक...। सभी को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  10. सुंदर संकलन, बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति, मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार अनीता जी।

    जवाब देंहटाएं
  11. शीर्ष भूमिका में मेरे उद्गारों को स्थान दे कर जो सम्मान दिया है उसके लिए अनुग्रहित हूं मैं।
    हृदय तल से आभार।
    एक सामान्य सी लेखिका हूं प्रिय बहन "वरिष्ठ साहित्यकार" जैसे सम्मान के आसपास भी स्वयं को नहीं पाती ये भी आपकी एक विनम्रता का पहलू हैं, फिर भी हृदय तल से आभार पुनः।
    आज़ का अंक बहुत सुंदर है शानदार लिंक चयन।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  12. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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