सादर अभिवादन !
शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी प्रबुद्धजनों का पटल पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !
आज की चर्चा का शीर्षक आ.अनीता सैनी जी के
सृजन "माँ कहती है" से लिया गया है।
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आइए अब बढ़ते हैं आज की चर्चा के अद्यतन सूत्रों की ओर -
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
चौपाई सम मात्रिक छन्द है जिसमें 16-16 मात्राएँ होती है।
अब प्रश्न यह उठता है कि चौपाई के साथ-साथ “अरिल्ल” और “पद्धरि” में भी 16-16 ही मात्राएँ होती हैं फिर इनका नामकरण अलग से क्यों किया गया है?
इसका उत्तर भी पिंगल शास्त्र ने दिया है- जिसके अनुसार आठ गण और लघु-गुरू ही यह भेद करते हैं कि छंद चौपाई है, अरिल्ल है या पद्धरि है।
लेख अधिक लम्बा न हो जाए इसलिए “अरिल्ल” और “पद्धरि” के बारे में फिर कभी चर्चा करेंगे।
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कुछ लोग उन्हें उपवस्त्र समझ
किवाड़ों के पीछे हेंगर में टाँग देतें हैं
विचारों में आई खिन्नता ही कहेंगे
कि धूल-मिट्टी की तरह उन्हें झाड़ा जाता है।
परंतु माँ कहती है
औरतें गमले में भरी मिट्टी की तरह होतीं हैं
खाद की पुड़िया उनकी आत्मा की तरह होती है
जो पौधे को पोषित कर हरा-भरा करती है।
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भावनाओं की मछली और इंटरनेट के मछुवारे
यदि दुनिया में ‘पाप’ की कोई अवधारणा है तो सबसे बड़ा पाप है - किसी की भावनाओं से खेलना। इंटरनेट की दुनिया में ऐसे पापियों की कोई कमी नहीं है जो दूसरों की भावनाओं को हथियार बना कर उन्हीं पर वार करते हैं।
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ताक में बैठे हैं
तुम्हारे बत्तीस दाँत,
मौक़ा मिलते ही
टूट पड़ेंगे उसपर.
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न मैंने काटा न छांटा
और न ही लगाई
कंटीले तारों की बाड़
न ही की कभी
इस बगिया की देख भाल।
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सुखी परिवार यानी 'कवन सो काज कठिन जग माहीं'
का स्वावलंबन सूत्र - डॉ. वर्षा सिंह
अंत में प्रस्तुत हैं मेरे कुछ दोहे -
खुद में ही विकसित करें, निज क्षमता की धूप।
स्वावलंब को साध कर, जीवन को दें रूप।।
कर्म बढ़ाता मान है, कर्म बढ़ाता ज्ञान।
कर्मवान पाता सदा, हर पग में सम्मान।।
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उस दिन एक शिल्प देखा
नीचे कूल्हे से लेकर दो पैर हैं माटी के
ऊपर छाती से सिर तक का भाग है
बीच का पेट गायब है
ऐसा दृश्य यदि दिखे तो क्या बताता है
गरीब का पेट पीठ से लग गया है
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सफलता की ख़ुशी मनाना अच्छा है पर,
उससे जरुरी है अपनी असफलता से सीख लेना !!
खुद से हार गया तो बात अलग है, तकदीर के आगे झुकने वाला नहीं हूं… मुसीबतों को कहो अपनी रफ़्तार बढ़ा ले क्योंकि अब मैं रुकने वाला नहीं हूं।
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नादान गुड़िया आज भी है स्तब्ध
चुपचाप ऊपर देखती है
और कहती है
मेरी चिड़िया उड़ी नहीं , उसे हवा उड़ा ले गई
अपने साथ
वह रोती होगी माँ, जब उसे आती होगी मेरी याद ..
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चाह तुम्हारी
हुई पूर्ण फिर भी
क्यूँ खुशी नहीं
मुख मंडल पर
मुझे बताओ
मन में विचार क्या
पलने लगा
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मेरी दिली तमन्ना है
इस दुनिया की तस्वीर बदल जाये
मेरे रहते मेरे सामने ही
ये दुनिया सँवर जाये ,
सुख- दुख आपस के बाँट सके
मिलजुल कर जीना आ जाये
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आपका दिन मंगलमय हो..
फिर मिलेंगे 🙏
"मीना भारद्वाज"
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उपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
ReplyDeleteआपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
बढ़िया चयन।मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिंक चर्चा।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत आभार आपका आदरणीय मीना जी
बहुत श्रम से सजाई गई चर्चा, सभी लेखकों को बधाई ! आभार मीना जी !
ReplyDeleteआदरणीय मीना जी, नमस्कार !
ReplyDeleteसुंदर लिंक्स के चयन, प्रस्तुति,तथा आपके श्रमसाध्य कार्य को नमन, मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका कोटि कोटि धन्यवाद ।
बेहतरीन पढनीय लिंकों से सजा लाज़बाब चर्चा अंक प्रिय मीना जी ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें एवं सादर नमन
ReplyDeleteप्रिय मीना भारद्वाज जी,
ReplyDeleteअनीता सैनी जी की कविता "माँ कहती है/औरतें गमले में भरी मिट्टी की तरह होतीं हैं /खाद की पुड़िया उनकी आत्मा की तरह होती है/जो पौधे को पोषित कर हरा-भरा करती है" से लिया गया शीर्षक बहुत उत्तम चयन है आपका।
सभी लिंक पठनीयता से भरपूर हैं।
मेरे लेख को भी शामिल किया है आपने... अस्तु आपके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रही हूं।
शुभकामनाओं सहित,
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
मीना भारद्वाज जी,
ReplyDeleteमेरे लेख को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏
हार्दिक आभार 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
शानदार लिंक्स... शानदार चर्चा...
ReplyDeleteऔर "मां कहती है" के अंतर्गत सुंदर संयोजन....
साधुवाद है आपको मीना भारद्वाज जी 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
आदरणीया मीना दी, दिल से असंख्य आभार मेरी रचना के शीर्षक को चर्चा का शीर्षक बनाने हेतु।
ReplyDeleteअत्यंत हर्ष हूआ।
आज का संकलन सराहनीय है। कुछ रचनाएँ पढ़ी।आदरणीय वर्षा दी और आदरणीय शारदा दी के लिंक जल्द ही पढूँगी।
पढ़वाने हेतु दिल से आभार।
सभी रचनाकारो को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर नमस्कार।
शानदार लिंको के साथ शानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteसभी रचनाएं पठनीय सुंदर।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।