सादर अभिवादन।
मंगलवारीय प्रस्तुति में आप सभी सुधीजनों का हार्दिक स्वागत है ।
क़दम-दर-क़दम चलते हुए चर्चामंच आज चार हज़ारवीं पोस्ट तक आ पहुँचा है। इसकी शुरूआत जहाँ आदरणीय शास्त्री जी ने की तथा साथ ही कई चर्चाकारों ने इसकी निरंतरता में योगदान दिया। इस पड़ाव पर पहुँचकर आज उन सभी चर्चाकारों को याद करने की हमने कोशिश है।
ब्लॉग जगत का बदलता हुआ स्वरुप चर्चामंच ने दिन-प्रतिदन देखा है। हमें इस पड़ाव तक पहुँचाने में हमारे पाठकवृंद और सुधीजनों ने सराहनीय योगदान दिया है। सभी का हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर आभार। हमें पूर्ण विश्वास है भविष्य में भी आप सबका सहयोग एवं आशीर्वाद निरंतर मिलता रहेगा।
-अनीता सैनी 'दीप्ति'
आज की विशेष प्रस्तुति में पढ़िए चर्चामंच के चर्चाकारों (वर्तमान एवं पूर्व ) की रचनाएँ-
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जग में अब भी हो रहे, मौखिक जोड़-घटाव।
कैसे होगा दूर फिर, लिंग-भेद का भाव।
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नारी की अपनी अलग, कैसे हो पहचान।
ढोती है वो उमर भर, साजन का उपनाम।।
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- विधाता छन्द
- हुआ #नाकाम बन्दा तो, करे वह #इश्क की पूजा।बदलकर नाम अपना वह रखे उपनाम ही दूजा।गजल गाता, घुमक्कड़ बन, सदा दारू पिये उम्दा-#मुकम्मल #इश्क फेरे में, रहे हर वक्त मुँह सूजा।।
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मेरे स्वप्नो की छाया में रमी हुई
मेरी स्मृतियों में बसी
सांसो के धागो में बंधी तू...!
और मै.......??
तेरी छाया के पीछे दौड़ता
एक व्याकुळ, आकुल,
बेबस पथिक मात्र हू..!
मेरी स्मृतियों में बसी
सांसो के धागो में बंधी तू...!
और मै.......??
तेरी छाया के पीछे दौड़ता
एक व्याकुळ, आकुल,
बेबस पथिक मात्र हू..!
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नक़ाबपोशी है बुरी, मानता हूँ मैं इसे, मगर
उतारा न गया, ख़ामोशियों का नक़ाब मुझसे ।
जिस दिन हुआ, फ़ैसला मेरी क़िस्मत का
उस दिन पूछे थे उसने, सवाल बेहिसाब मुझसे
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सरकार ने किसानों के लिए एक बडा़ ऐलान हाल के दिनों में किया था। 2100 करोड़ रुपए की राशि की घोषणा। प्रति क्विंटल 3 सौ रुपए का बोनस। इस ऐलान से किसान-जगत इतना उत्साहित हुआ कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का उनके विधानसभा मुख्यालय में नागरिक अभिनंदन तक हो गया। हजारों की संख्या में जुटे लोगों ने राजनांदगांव में मुख्यमंत्री को फूल-मालाओं से लाद दिया। ये अलग बात है कि स्कूली बसों, दिगर संसाधनों से भर-भर कर भीड़ आई। कहा गया ये किसान थे।
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ये देखो रंग प्यारे हो रहे हैं
अरे! सारे के सारे हो रहे हैं
कोई तो ख़ूबी-ए-नौ आई हममें
जो थे ग़ैर अब हमारे हो रहे हैं
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युधिष्ठिर ,
तुम नहीं रहे कभी भी
मेरी जिज्ञासा के पात्र
रहे तुम केवल
पांडवों में से एक मात्र ।
तुम्हारे पूरे जीवन मे
बस एक ही प्रसंग
याद आता है
जहाँ तुम्हारे होने का
महत्त्व दर्शाता है ।
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मन प्रफुल्लित न हो तो बसंत नहीं है
जीवन के सफ़र में कांटे भी मिलेंगे
कुछ जख्मों से जीवन का अंत नहीं है
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चूल्हा यहाँ पर
पतीला वहाँ पर,
फिर भी पक ही
जाती है
'इश्किया खिचड़ी',
जिससे आ जाता है
जायका ज़िन्दगी में,
और लगती है चलने
जैसे कि फिसली...
पतीला वहाँ पर,
फिर भी पक ही
जाती है
'इश्किया खिचड़ी',
जिससे आ जाता है
जायका ज़िन्दगी में,
और लगती है चलने
जैसे कि फिसली...
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मास्क पहनने
और हाथ धोने में
बची खुची कसर
चढ़ गई बनकर भेंट
इस कहर भरी
विदेशी विषाणुओं रचित
महामारी कोरोना की भेट
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मां जब तक धरा पर रहती है,
सुत की खातिर दुख सहती है,
खुद भूखी रह, उसे खिलाती,
कभी ईशवर, गुरु बन जाती।
चिंता करती सुत की हर पल,
देती आशीश, सुनहरा हो कल।
सुत की खातिर दुख सहती है,
खुद भूखी रह, उसे खिलाती,
कभी ईशवर, गुरु बन जाती।
चिंता करती सुत की हर पल,
देती आशीश, सुनहरा हो कल।
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मैं तेरे आरजू से सख्त घायल हो गया,
इस कदर चाहा की नीम पागल हो गया।
रेत का अबंर रातो रात दलदल हो गया,
रोया कोई इस तरह की सहरा भी जलधल हो गया।
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नींबू,आम ,अचार मुरब्बा
लाकर रख देती हूँ सब कुछ
लेकिन अम्मा कहतीं उनको
रोटी का छिलका खाना था
दौड़-भाग कर लाती छिलका
लाकर जब उनको देती हूँ
नमक चाट उठ जातीं,कहतीं
हमको तो जामुन खाना था।।
लाकर रख देती हूँ सब कुछ
लेकिन अम्मा कहतीं उनको
रोटी का छिलका खाना था
दौड़-भाग कर लाती छिलका
लाकर जब उनको देती हूँ
नमक चाट उठ जातीं,कहतीं
हमको तो जामुन खाना था।।
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हम सभी शेर हैं
बधाई देने में
फिर वो जन्मदिन हो
शादी की सालगिरह या कोई उपलब्धि ...
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माँ
सृष्टि
स्पंदन
अनुभूति
सप्त स्वर में
गूँजता संगीत
वट वृक्ष की छाँव।
सृष्टि
स्पंदन
अनुभूति
सप्त स्वर में
गूँजता संगीत
वट वृक्ष की छाँव।
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तुम्हारी छोटी-छोटी बातें
मुझे अहसास कराती हैं
इस बात कि..
तुम्हें मेरी परवाह है
बातों की शुरुआत से पहले
‘एक बात कहूँ’ की
मेरी आदत..
स्मित सी मुस्कान
तुम्हारे
होठों पर भर देती है
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" बृद्धाआश्रम "ये शब्द सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते है। कितना डरावना है ये शब्द और कितनी डरावनी है इस घर यानि "आश्रम" की कल्पना। अपनी भागती दौड़ती ज़िन्दगी में दो पल ढहरे और सोचे, आप भी 60 -65 साल के हो चुके है ,अपनी नौकरी और घर की ज़िम्मेदारियों से आज़ाद हो चुके है। आप के बच्चो के पास फुर्सत नहीं है कि वो आप के लिए थोड़ा समय निकले और आप की देखभाल करे।(कृपया ये लेख पूरा पढ़ेगे )
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”पेंटर को दोनों लड़कियों के चेहरों पर स्माइल बनानी चाहिए थी ना?”
वह एकाग्रचित्त होकर और बारीकी से पेंटिंग को देखने लगी।
”पेंटर जब मिलेगा तब कहूँगी, इसके चेहरे पर भी स्माइल बनाए।” उसकी मम्मी ने झुँझलाकर कहा।
”आपको तो कुछ नहीं पता ममा! इस लड़की की शादी बचपन में हो गई थी।
ऐसी लड़कियाँ कभी स्माइल नहीं करती।"
यह सुनकर वैभवी की माँ अपनी लाड़ली का चेहरा विस्फारित नज़रों से निहारती रह गई!
वह एकाग्रचित्त होकर और बारीकी से पेंटिंग को देखने लगी।
”पेंटर जब मिलेगा तब कहूँगी, इसके चेहरे पर भी स्माइल बनाए।” उसकी मम्मी ने झुँझलाकर कहा।
”आपको तो कुछ नहीं पता ममा! इस लड़की की शादी बचपन में हो गई थी।
ऐसी लड़कियाँ कभी स्माइल नहीं करती।"
यह सुनकर वैभवी की माँ अपनी लाड़ली का चेहरा विस्फारित नज़रों से निहारती रह गई!
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आज का सफ़र यहीं तक
फिर फिलेंगे
आगामी अंक में
-अनीता सैनी 'दीप्ति'
अनीता जी,सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंसुंदर और भावपूर्ण रचनाओं के लिंक्स, हम जैसे नए ब्लॉगर्स के लिए बड़े उपयोगी होते है ,बड़ा अनुभव मिलता है,आपका आभार एवम अभिनंदन..
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जिज्ञासा दी जी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से अत्यंत हर्ष हुआ।
हटाएंसादर नमस्कार।
चर्चा मंच की 4000 वीं प्रस्तुति ब्लॉग जगत में ...एक सुखद अनुभूति है । आदरणीय शास्त्री सर को बहुत बहुत बधाई । मंच के आरम्भिक चर्चाकारों के मध्य अपने ब्लॉग के शुरुआती दौर की रचना को देखना हर्ष का विषय है मेरे लिए । शास्त्री सर सहित चर्चामंच के सभी सहभागी चर्चाकारों अभिनन्दन एवं हार्दिक शुभकामनाएं । अनीता जी हार्दिक आभार आज की यादगार प्रस्तुति हेतु ।
जवाब देंहटाएंकृपया *चर्चाकारों का* पढ़े 🙏
हटाएंउव्वाहहहह..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
चर्चा मंच के सभी सहभागी चर्चाकारों को "4000 वीं" प्रस्तुति की हार्दिक शुभकामनाएं,ये सफ़र यूँ ही जारी रहें और नए कृतिमान बनाए यही कामना है। शास्त्री सर का तहे दिल से शुक्रिया जो उन्होंने इस कारवां में मुझे भी सम्मलित किया। शस्त्री सर द्वारा लगाया ये पौधा अब बृक्ष बन चुका है,इसकी शाखाएं चहुँ दिशा में फैले और सभी नए पुराने ब्लॉगरों को इसकी छत्रछाया मिलें यही कामना है। चर्चामंच से जुड़ें सभी चर्चाकारों के रचनाओं को पढ़ना अत्यंत सुखद अनुभूति है। सभी वरिष्ठ चर्चाकारों की महफ़िल में मुझे भी शामिल करने के लिए तुम्हें तहे दिल से शुक्रिया प्रिय अनीता और इस बेहतरीन अंक के लिए ढेरों बधाईयाँ।
जवाब देंहटाएंसभी को मेरा सादर अभिवादन
सबका योगदान होने से ही बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति संभव होती है
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य कार्य
जवाब देंहटाएंचर्चा से जुड़े सभी साथियों को हार्दिक बधाई
चर्चा मंच को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा| सभी चर्चा मंच के सम्मानित चर्चाकारों को 4000 भी पोस्ट की बहुत-बहुत बधाई हो |आशा करता हूं आप सब के सहयोग से यह चर्चा
जवाब देंहटाएंमंच दिनोंदिन उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा||
आपका बहुत-बहुत आभार अनिता सैनी दीप्ति जी|
चर्चामंच की 4000 वीं विशेष प्रस्तुति निस्संदेह प्रशंसनीय एवं श्रमसाध्य है। चर्चामंच के योगदानकर्त्ताओं का स्मरण सुखद अनुभव है। ब्लॉग जगत का भरपूर स्नेह चर्चामंच को मिल रहा है जिसकी निरंतरता की सतत कामना है। सभी चर्चाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ। चर्चामंच के सुधी पाठकों का सादर आभार।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी की सतत सक्रियता हमारे लिए प्रेरणास्रोत है, उनका स्नेह और आशीर्वाद हमारे लिए अहम है। आदरणीय शास्त्री जी को सादर नमन।
रचनाओं का चयन करते हुए अनीता जी अपने चयन कौशल का परिचय दिया है। सफलतापूर्वक विशेष प्रस्तुति प्रस्तुत करने हेतु उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएँ।
मेरी रचना विशेष प्रस्तुति में सम्मिलित करने के लिए सादर आभार।
चर्चा मंच की 4000 वीं प्रस्तुति वाह अप्रतिम!
जवाब देंहटाएंमै सभी नये और जूने चर्चाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देती हूं आदरणीय शास्त्री जी सहित।
चर्चामंच के सभी सहभागी चर्चाकारों का स्नेह अभिनंदन।
सभी को जानने का सुअवसर मिला।
सभी को पढ़ने का मौका मिला।
आज की प्रस्तुति यादगार प्रस्तुति है ।
पुनः सभी चर्चाकारों को शुभकामनाएं।
सादर।
बहुत अच्छी प्रस्तुति.शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएं