सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है।
चर्चामंच की ओर से शुभकामनाएँ।
चित्र साभार:गूगल
स्त्री-विमर्श को समर्पित आज का दिन विश्व स्तर पर स्त्रियों से जुड़े विभिन्न आयामों पर गहन चर्चा होती है। कुछ आँकड़े, कुछ सामाजिक सरोकार, कुछ योजनाएँ,कुछ सबक़ तो कुछ मनोवैज्ञानिक तथ्य आदि चर्चा के केन्द्र में रहते हैं। जागरूकता के साथ शिक्षा की वकालत ज़रूर होती है। वर्तमान व्यवस्था में स्त्रियों का संघर्ष आज भी वर्जनाओं और अवांछनीय परंपराओं के विरुद्ध जारी है।
इस वर्ष की विषय-वस्तु: 'महिला-नेतृत्त्व: कोविड-19 से त्रस्त दुनिया में
एक समान भविष्य को प्राप्त करना।' इस साल का
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस किसी सामान्य विषय की तरह नहीं है।
जैसे ही देश और समुदाय इस विनाशकारी महामारी से
धीरे- धीरे उबरने लगेंगे, हमारे पास महिलाओं और लड़कियों के तिरस्कार
व हाशिए पर जाने को समाप्त करने का मौक़ा होगा।
(Theme: 'Women in leadership: Achieving an equal future in
a COVID-19 world.' This year's International Women's Day is like no other. As countries and
communities start to slowly recover from a devastating pandemic, we have the
chance to finally end the exclusion and marginalization of women and girls.)
आइए अब पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ रचनाएँ-
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दोहे
"आठ मार्च-विश्व महिला दिवस"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
कहने को महिला दिवस, मना रहे सब आज।
मगर नारियों की यहाँ, रोज लुट रही लाज।१।
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कुछ महिलाएँ हैं अभी, दुनिया से अनजान।
घर के बाहर है नहीं, जिनकी कुछ पहचान।
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शाम को दुकान समेटने के बाद
खरीदती हैं
घर के लिए
जरूरत का सामान
दोनों
घर पहुंचने के पहले
एक जगह खड़े होकर
बांटती हैं
अपने अपने दुख
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ओ पुरुष,
नियंत्रक बने हर वक़्त
चलाते हो अपनी
और चाहते हो कि
बस स्त्री केवल सुने
कर देते हो उसे चुप
कह कर कि
तुम औरत हो
औरत बन कर रहो
नहीं ज़रूरत है
किसी भी सलाह की ।
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यूँ तो, विधाता नें, सब कुछ दिया,
पर, पल भर को ही!
सुख तेरा, हँसता मुख तेरा,
उनसे देखा ना गया,
ले चला, वो असमय छीन कर,
तुझसे पहले, तेरी खुशी,
अवशेष थी,
बस शेष थी, तुम ओ दीदी....
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बात थी दूर तक, नदी के हमराह बहते
जाना, बिना रुके, बिना थके, अनंत
स्रोत में, देह - प्राण को प्लावित
करना, लेकिन सहज
कहाँ
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धरोहर जो मिली विरासत में l
मेरुदंड सँवार लूँ संस्कारों में ll
गुंजयमान रहे पल प्रतिपल l
प्रतिध्वनि चेतना संस्कारों की ll
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वे जो पराये लगते थे,
दूर नहीं हैं,
वे जो सख्त लगते थे,
पत्थर नहीं हैं,
वे जो चुप रहते थे
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हमारी भाभी घर में नया मेहमान लाने वाली थीं.
भाभी को जब अस्पताल ले जाने का समय आया तो घर में भाई साहब, भाभी के अलावा सिर्फ़ मेरे छोटे भाई साहब थे और घरेलू नौकर राम आसरे था.
राम आसरे पर घर की निगरानी छोड़ कर परिवार के सदस्य अस्पताल चले गए.
उसी रात हमारे परिवार में एक सुन्दर सा बालक शामिल हो गया.
भाभी को और छोटे भाई साहब को अस्पताल में छोड़ कर भाई साहब कुछ ज़रूरी सामान लाने के लिए जब अगली सुबह घर पहुंचे तो घर के दरवाज़े चौपट खुले हुए थे और स्टील की अल्मारी का लॉकर तोड़ कर उसका सारा कीमती सामान साफ़ कर दिया गया था.
भाई साहब ने बैंक-लॉकर भी नहीं लिया था इसलिए भाभी के सभी गहने भी घर की अल्मारी के लॉकर में ही थे और चोरों ने उन पर भी हाथ साफ़ कर दिया था.
हैरत की बात यह थी कि भाई राम आसरे खर्राटे भरते हुए तब भी सो रहे थे.
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”अरे! छोड़, पल्लू क्यों चबा रही है? कहा है न जीजी ने, कल तुझे भी आना है।”
पूर्वा अपनी बेटी के मुँह से साड़ी का पल्लू खींचती हुई दोनों हाथों से पकड़कर सीने से लगा लेती है।
” कल तुझे लाल वाली फ्रॉक पहनाऊँगी! चल अब बरामदे में बैठ, मैं आती हूँ।”
पूर्वा बेटी का माथा चूमते हुए फिर अपने काम में उलझ जाती है।
” हाँ, परंतु ध्यान रहे पिछली बार इसने तीन प्लेटे तोड़ डाली थीं इस बार ऐसा न हो, ध्यान रहे।”
शीला हिदायत देते हुए हॉल से बाहर, गार्डन में आकर बैठ जाती है।
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
सुप्रभातम! बहुत सुंदर सार्थक लेख, बेहतरीन लिंक्स। महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏 आप सभी का दिन शुभ हो!
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स। आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंविश्व महिला दिवस की बधाई हो।
बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय सर
जवाब देंहटाएंसभी सखियों को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत अच्छी सामयिक चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं#WomendDay पर आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाऐं , रवींद्र जी सारे लिंंक्स बहुत गजब के हैं, धन्यवाद इन्हें पढ़वाने के लिए
जवाब देंहटाएंसुंदर एवम रोचक लिंक्स का चयन ..श्रमसाध्य कार्य हेतु आपको शुभकामनाएं..आपको मेरा नमन .. महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई..
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत सुंदर । महिला दिवस की बहुत शुभकामनाएं एवं बधाइयां ।
जवाब देंहटाएंसार्थक और सटीक भूमिका के साथ सुंदर सूत्र संयोजन
जवाब देंहटाएंसम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर