मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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मुझको पुरुष बना कर प्रभु ने, बहुत बड़ा उपकार किया है।
नर का चोला देकर भगवन,
अनुपम सा उपहार दिया है।
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नारी रूप अगर देते तो,
अग्नि परीक्षा देनी होती।
बार-बार जातक जनने की,
कठिन वेदना सहनी होती।।
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चूल्हे-चौके में प्रतिदिन ही,
खाना मुझे बनाना होता।
सबको देकर भोजन-पानी,
मुझे अन्त में खाना होता।।
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किरचें मन की छन्न से गिरा था
ग्लास काँच का ,
दूर दूर तक
फैल गयीं थीं
किरचें फर्श पर
बड़े बड़े टुकड़े
सहेज लिए थे
जल्दी से मैंने ,
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कुछ महिलाएं - क्षणिकाएँ ( महिला दिवस ) कुछ महिलाएं
बहनें और माताएं
देतीं जीवन भर सेवाएं
सुघड़ गृहणी कहलाएं
कुछ पढ़ी लिखी नारी
करतीं दिन भर नौकरी
साथ में घर की चाकरी
कंधे से कंधा मिला कर रहीं बराबरी
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अंदर का कैनवास सागर सैकत में प्रथम किरण
ढूंढते हैं मुक्तामणि,
टूटे हुए सीपों
के बिखरे
हुए
खोल --
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उत्सवों का आकाश आजकल लाल पीले गुलाबी गुलाल में अपने फायदे के लिए बहुत से दुकानदार मिलावट कर देते हैं जिससे बड़ा नकसान होता है . पिछली होली पर लल्लू की आँख में गुलाल पड़ जाने से लाल हो गई .। दर्द के मारे उसका बुरा हाल --भागे उसे लेकर डाक्टर के पास । कल्लू पर तो किसी ने काला रंग डाल दिया ,उसके तो सारे बदन पर दाने -दाने निकाल आए । बहुत पहले हमारे दादा -परदादा चन्दन -कुंकुम से खेलते थे । पलाश के फूलों से अन्य फूलों के रंग से खेलते थे . । पलाश से तो तुम अब भी मिल सकता... --
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उपन्यास समीक्षा : कारीगर : वेद प्रकाश शर्माइतना जरुर बता सकता हूँ कि ये कहानी आपका दिमाग 'हिलाकर' रख देगी।
और अगर आप सोच रहें है कि पूरी कहानी तो मैंने ही बता दी अब पढने के लिए क्या शेष रह गया ?
नही दोस्तों ! ये तो सिर्फ ट्रेलर था, असली कहानी जानने के लिए आपको पूरी किताब खुद पढनी पड़ेगी .
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तोरा मन दर्पण कहलाये मन दर्पण है, परमात्मा बिम्ब है, जीव प्रतिबिंब है, यदि दर्पण साफ नहीं हो तो उसमें प्रतिबिंब स्पष्ट नहीं पड़ेगा। संसार भी तब तक निर्दोष नहीं दिखेगा जब तक मन निर्मल नहीं होगा। --
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फ्रीडम हाउस' की नजर में भारत अब ‘आंशिक-स्वतंत्र देश’ अमेरिकी थिंकटैंक फ्रीडम हाउस ने भारत को स्वतंत्र से ‘आंशिक-स्वतंत्र’ देशों की श्रेणी में डाल दिया है। यह रिपोर्ट मानती है कि दुनियाभर में स्वतंत्रता का ह्रास हो रहा है, पर उसमें भारत का खासतौर से उल्लेख किया गया है। फ्रीडम हाउस एक निजी संस्था है और वह अपने आकलन के लिए एक पद्धति का सहारा लेती है। उसकी पद्धति को समझने की जरूरत है। भारत का श्रेणी परिवर्तन हमारे यहाँ चर्चा का विषय नहीं बना है, क्योंकि हमने लोकतंत्र और लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं को महत्व अपेक्षाकृत कम दिया है। हम उसके राजनीतिक पक्ष को आसानी से देख पाते हैं। मेरी समझ से फ्रीडम हाउस के स्वतंत्रता-सूचकांक के भी राजनीतिक निहितार्थ हैं। बेशक मानव-विकास, मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों को लेकर देश के भीतर सरकार के आलोचकों की बड़ी संख्या है, पर स्वतंत्रता हमारी बुनियाद में है। --
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कलयुगी रावण |
आईना ना हमें दिखाओ, अपनी अशलील नजरों का जा कर सुद्धीकरण कराओ! |
अनगिनत चहरे छुपा के रखते हैं ये कलयुगी रावण
अशलील अंदाज में राम का नाम लेकर
लड़कियों को छेड़ते हैं,
मर्यादा की सारी हदें पार करते हैं,
और खुद को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र का
सच्चा भक्त बोलते हैं!
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आज के लिए बस इतना ही...।
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आदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंसुप्रभात 🙏
रविवार की यह चर्चा बहुत अच्छी लिंक्स ले कर आई है। आपके श्रम को नमन 🙏
मेरी ग़ज़ल को भी शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए विशेष आभार।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंमेरी गजल को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
सभी रचनाएँ अपने आप में अद्वितीय हैं मुग्ध करता हुआ चर्चामंच, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीय - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम! 🙏 बहुत सुंदर रचनायें! मेरे लेख को मंच पर शामिल करने के लिए शुक्रिया। आप सभी का दिन शुभ हो 🙏
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा.... मेरे ब्लॉग पर प्रकाशित साक्षात्कार को चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार....
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार !
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन एवम श्रमसाध्य कार्य हेतु आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूं..मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हृदय से अभिनंदन एवम वंदन करती हूं..सादर शुभकामनाएं ..जिज्ञासा सिंह..
पठनीय और सराहनीय अंक.. सभी रचनाकारों को बधाई ।
जवाब देंहटाएंसदा की तरह बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत आभार सर...। सभी अच्छी रचनाएं...। सभी को बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरे सृजन को स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया सर।
सादर
सुंदर प्रस्तुति।
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