मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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भूमिका लिखने का उद्देश्य यह है कि आपके ताला लगाने से चर्चा मंच पर आपकी पोस्ट का महत्वपूर्ण भाग चर्चा में लेने से वंचित हो जाना पड़ता है और चाहते हुए भी आपकी पोस्ट को चर्चा में नहीं लिया जाता है।
एक निवेदन है कि जिन ब्लॉगरों ने
अपने ब्लॉगों पर ताला लगा रखा है।
इसके पीछे उनका उद्देश्य शायद यह होगा कि
कोई उनकी रचना न चुरा ले। किन्तु वे यह नहीं जानते कि ताला चोरों के लिए नहीं होता है। लेकिन पृष्ठ को सेव करने के बाद सभी कुछ सम्भव है। खैर कोई बात नहीं, जैसी जिसकी धारणा।
यहाँ एक बात का उल्लेख और करना चाहता हूँ कि बहुत से फेसबुकिये लोगों ने फेसबुक पर भी अपनी प्रोफाइल को लॉक किया हुआ है और वे धड़ल्ले से फ्रैण्ड रिक्वेस्ट भेजते हैं। ऐसा क्यों भाई? आखिर क्या छिपाना चाहते हैं ये लोग? यानि अपने घर में ताला और दूसरों के घरों में ताँक-झाँक।
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सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि रस क्या होता है?
कविता पढ़ने या नाटक देखने पर पाठक या दर्शक को जो आनन्द मिलता है उसे रस कहते हैं।आचार्यों ने रस को काव्य की आत्मा की संज्ञा दी है।
रस के चार अंग होते हैं।... --
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बस खर्च बता तू ख्वाहिश का
तेरी गुल्लक भी बन जाऊं मैं
सपनों के कारोबारी में
तेरा नफ़ा ही बन जाऊं मैं
Sandhya Rathore, आपका ब्लॉग
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Onkar Singh 'Vivek', मेरा सृजन
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कौंध कर हिय में समाई।
मेघ यादों के झरे तब
नींद नयनों ने गँवाई।
Abhilasha, मन के मोती
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Alaknanda Singh, अब छोड़ो भी
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न तो उससे पहले मिला था
न शायद फिर कभी मिलूँगा
मगर उसकी देह को स्पर्शकर
आया था सुगंध का इक झोंका .........
वो शायद मत्स्यगंधा थी
मेनका थी या फिर रम्भा थी
वो प्रेम सरोवरों में पम्पा थी
वो कामदेव की प्रिय चंपा थी ............
राम किशोर उपाध्याय, Mera avyakta
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वाह ताक,
झांक
रहा था मुझे बादलों में छुपकर
रह रहकर
दिखता मुझे
और फिर छुप जाता बादलों के पीछे
ये आँखमिचौली
हठ खेली
Jigyasa Singh, जिज्ञासा की जिज्ञासा
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गगन शर्मा कुछ अलग सा
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vijai Rajbali Mathur, क्रांति स्वर
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कितना पानी
हटा पाया अब तक
मन ने सोचा
तेरा उत्साह देख
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गोपेश मोहन जैसवाल, तिरछी नज़र
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सधु चन्द्र, नया सवेरा
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निवेदिता श्रीवास्तव, झरोख़ा
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अभिषेक मिश्र, Gandhiji
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विमल कुमार शुक्ल 'विमल', मेरी दुनिया
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आज के लिए बस इतना ही।
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बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
बहुत सुन्दर और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति । चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार !
जवाब देंहटाएंरोचक,सुंदर तथा ज्ञानवर्धक लिंक्स के प्रस्तुति के लिए आपको नमन, मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार, शुभ कामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
बहुत ही सुंदर,बेहतरीन रचनाओं से सुशोभित शानदार प्रस्तुति आदरणीय सर,सभी रचनाकाओं को हार्दिक शुभकामनायें एवं सादर नमन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं"बहुत से फेसबुकिये लोगों ने फेसबुक पर भी अपनी प्रोफाइल को लॉक किया हुआ है और वे धड़ल्ले से फ्रैण्ड रिक्वेस्ट भेजते हैं। ऐसा क्यों भाई? आखिर क्या छिपाना चाहते हैं ये लोग? यानि अपने घर में ताला और दूसरों के घरों में ताँक-झाँक।"
जवाब देंहटाएंमैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं आदरणीय, मुझे भी यह बात बहुत ही अरुचिकर लगती है कि स्वयं अपना profile lock करके अन्यों को friend request भेजते हैं।
ब्लॉग में भी lock का option है, यह तो मुझे नहीं मालूम... लेकिन यदि ऐसा है तो वाकई उचित नहीं। आपने बहुत अच्छा मुद्दा उठाया है।
मेरी पोस्ट को आज की चर्चा में शामिल करनै के लिए हार्दिक आभार 🙏
सादर
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत ही सुन्दर चर्चा अंक एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏🙏 सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसभी लिंक लुभावने ज्ञान वर्धक।
सुंदर काव्य सरि ,सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
प्रणाम शास्त्री जी, आज आपने जो ताला लगाने वालों पर तंज़भरी भूमिका लिखी है...वो बेहद सटीक है...ये बिल्कुल ऐसा ही है जैसे कि हमें हमारा दर्द तो दर्द लगता है..और का ढकोसला...धन्यवाद ब्लॉगर्स को सबक देने के लिए फिर चाहे मेरे जैसे ब्लॉगर ही क्यों ना हो जो सदैव लेटलतीफ रहते हैं कमेंट देने में...आपने मुझे समय से काम करना सिखा दिया...अरे, देखिए तो आत फिर मैं लेट हो गई चर्चामंच पर आने के लिए....आगे से ऐसा नहीं होगा..
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