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बुधवार, मार्च 17, 2021

"अपने घर में ताला और दूसरों के घर में ताँक-झाँक" (चर्चा अंक-4008)

 मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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भूमिका लिखने का उद्देश्य यह है कि आपके ताला लगाने से चर्चा मंच पर आपकी पोस्ट का महत्वपूर्ण भाग चर्चा में लेने से वंचित हो जाना पड़ता है और चाहते हुए भी आपकी पोस्ट को चर्चा  में नहीं लिया जाता है।

एक निवेदन है कि जिन ब्लॉगरों ने 

अपने ब्लॉगों पर ताला लगा रखा है। 

इसके पीछे उनका उद्देश्य शायद यह होगा कि 

कोई उनकी रचना न चुरा ले। किन्तु वे यह नहीं जानते कि ताला चोरों के लिए नहीं होता है। लेकिन पृष्ठ को सेव करने के बाद सभी कुछ सम्भव है। खैर कोई बात नहीं, जैसी जिसकी धारणा। 

यहाँ एक बात का उल्लेख और करना चाहता हूँ कि बहुत से फेसबुकिये लोगों ने फेसबुक पर भी अपनी प्रोफाइल को लॉक किया हुआ है और वे धड़ल्ले से फ्रैण्ड रिक्वेस्ट भेजते हैं। ऐसा क्यों भाई? आखिर क्या छिपाना चाहते हैं ये लोग? यानि अपने घर में ताला और दूसरों के घरों में ताँक-झाँक।


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हिन्दी व्याकरण "रस काव्य की आत्मा है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

    सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि रस क्या होता है?
    कविता पढ़ने या नाटक देखने पर पाठक या दर्शक को जो आनन्द मिलता है उसे रस कहते हैं।आचार्यों ने रस को काव्य की आत्मा की संज्ञा दी है।
रस के चार अंग होते हैं।...  
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चित्रकला कार्यशाला  जहां कला ने जीवन्त किया वैज्ञानिकों को |  समीक्षात्मक रिपोर्ट | डाॅ. वर्षा सिंह, 
प्रिय ब्लॉग पाठकों, कल दिनांक 14 मार्च 2021 को 'आचरण' समाचार पत्र के सागर संस्करण में चित्रकला वर्कशॉप पर मेरी समीक्षात्मक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। जिसके लिए मैं 'आचरण'  की आभारी हूं। 🙏
    वस्तुतः चित्रकला का हम दोनों बहनों को बचपन से ही शौक रहा है। इसीलिए जब भी मेरे शहर में चित्रकला की कोई एक्जीबिशन या वर्कशॉप होता है, तो हम उसे देखने अवश्य जाती हैं। इस बार शहर के 'रंग के साथी' ग्रुप के असरार अहमद और अंशिता वर्मा ने वर्कशॉप किया जिसकी थीम थी 'विज्ञान में रंग'। 
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बता तेरी ख्वाहिश का 

बस खर्च बता तू ख्वाहिश का 

तेरी गुल्लक भी बन जाऊं मैं


सपनों के कारोबारी में 

तेरा नफ़ा ही बन जाऊं  मैं  

Sandhya Rathore, आपका ब्लॉग  
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गूँजते ये गीत कैसे 

कौंध कर हिय में समाई।

मेघ यादों के झरे तब

नींद नयनों ने गँवाई। 

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आधा सच बोलने वाले ये मीड‍ियाजीवी… आख‍िर चाहते क्या हैं 

कल एक ही खबर दो अलग अलग समाचारपत्र में पढ़ीं, पहली थी ”नई श‍िक्षा नीत‍ि में अब इंजीन‍ियर‍िंग करने वालों के ल‍िए भौत‍िकी, रसायन शास्त्र और गण‍ित अन‍िवार्य नहीं होंगे बल्क‍ि वैकल्प‍िक होंगे तो इसके ठीक व‍िपरीत दूसरे समाचारपत्र में इसी खबर को एआईसीटीई का ‘यू-टर्न’ बताते हुए इन व‍िषयों को इंजीन‍ियर‍िंग के ल‍िए अन‍िवार्य बता द‍िया गया। इस कारस्तानी के बाद ब‍िना पूरी खबर पढ़े मृणाल पांडेय जैसी वर‍िष्ठ पत्रकार और उनके पूरे ग्रुप ने तुरंत नई श‍िक्षानीत‍ि पर तंज़ कस अपनी भड़ास भी न‍िकाल डाली, इतना ही नहीं एआईसीटीई को मानस‍िकरूप से द‍िवाल‍िया लोगों का संस्थान बता इसपर भगवाकरण का आरोप भी मढ़ द‍िया क‍ि ये लोग देश को पोंगापंथी युग में ले जाना चाहते हैं।

हकीकत ये है क‍ि ये व‍िषय वैकल्प‍िक हैं परंतु स‍िर्फ बायोटैक्नोलॉजी, एग्रीकल्चरल इंजीन‍िर‍िंग और इंटीर‍ियर ड‍िजाइन‍िंग जैसे व‍िषयों के ल‍िए ज‍िनमें क‍ि इनका सामान्य स्कूली ज्ञान ही काफी होगा, तो बच्चों पर अनावश्यक बोझा क्यों डाला जाये।  

Alaknanda Singh, अब छोड़ो भी 
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वो कौन थी ? 
न तो उससे पहले मिला था
न शायद फिर कभी मिलूँगा
मगर उसकी देह को स्पर्शकर
आया था सुगंध का इक झोंका .........

वो शायद मत्स्यगंधा थी
मेनका थी या फिर रम्भा थी
वो प्रेम सरोवरों में पम्पा थी
वो कामदेव की प्रिय चंपा थी ............
राम किशोर उपाध्याय, Mera avyakta  
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चाँद की आँखमिचौली 
वाह ताक,
 झांक 
रहा था मुझे बादलों में छुपकर
रह रहकर 

दिखता मुझे
और फिर छुप जाता बादलों के पीछे
ये आँखमिचौली
हठ खेली 
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बंगाल इलेक्शन जीतना  अडानी अम्बानी के कारपोरेट गैंग की पकड़ के लिए भाजपा की चाहत ------ गिरीश मालवीय 
 जब बिहार में कॉरपोरेट पूंजीपतियों ने अपने कदम बढाने शुरू किए तो उन्होंने बेगुसराय जिले के सिमरिया में कुंभ के नाम एक बहुत बड़ा धार्मिक इवेंट करवाया था इस इवेंट में गुजरात के कई उद्योगपतियों ने अपना पैसा लगाया था।  इस पैसे से बीजेपी ने वहाँ वोटों की तगड़ी फसल काटी है .....इसी पैटर्न पर पिछले कुछ सालों से बंगाल में धार्मिक ध्रुवीकरण का माहौल बनाया जा रहा है, ओर जमकर पैसा झोंका गया है.... 2019 के लोकसभा चुनाव में इस पैसे से मिली सफलता हम देख चुके हैं और 2021 में भी भाजपा लोकसभा चुनाव जैसी सफलता की उम्मीद कर रही है
बंगाल चुनाव में भाजपा के पीछे से जो अडानी अम्बानी जैसे बड़े कारपोरेट घरानों का एजेण्डा है उसे एक बार ध्यान से समझना जरूरी है.....
ऐसा आपने कितनी बार देखा है कि निवर्तमान 4 सांसदो को केंद्र का सत्ताधारी दल विधायक बनाना चाहता हो ? 
vijai Rajbali Mathur, क्रांति स्वर   
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आज की नारी 
 आज की नारी है  क्या 

कितना पानी

हटा पाया अब तक 

मन ने सोचा

तेरा उत्साह देख 

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नया सत्र 
मेरे पास अमेय की तारीफ़ के लिए अल्फ़ाज़ नहीं हैं.
मुझे उस पर नाज़ है.
मुझे पता है कि स्वर्ग में विराजमान उसकी दादी को उसकी उपलब्धियों पर मुझ से भी कहीं अधिक नाज़ होगा.
मैं उम्मीद करती हूँ कि आने वाला साल, पिछले साल की तुलना में हम पर और ख़ास कर, हमारे बच्चों पर, बहुत मेहरबान होगा.
गोपेश मोहन जैसवाल, तिरछी नज़र  
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रस्साकशी ज़िन्दगी के पलड़ों की 
निवेदिता श्रीवास्तव, झरोख़ा  
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दांडी यात्रा की वर्षगांठ आजादी की 75 वीं सालगिरह पर आयोजित 'अमृत महोत्सव' की शृंखला में पूरे देश में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहेंगे। इस कड़ी में मेरा भी एक अंशदान गांधी जी, दांडी यात्रा और आजादी के आंदोलन से जुड़े कुछ और विषयों पर चर्चा का भी... गांधी जी किसी भी कार्य में स्पष्टवादिता के हिमायती थे। उनकी यही स्पष्टता उनके आंदोलनों की तैयारियों में भी झलकती थी। नमक आंदोलन या दांडी यात्रा आरम्भ करने से पूर्व भी उन्होंने 2 मार्च को वायसरॉय लॉर्ड इरविन को पत्र लिखा। पत्र के आरंभ में उन्होंने आंदोलन से पूर्व समझौते का रास्ता निकल आने के प्रयास का जिक्र किया। इसी पत्र में उन्होनें समस्त अंग्रेजों से नहीं बल्कि अंग्रेजी शासन की शोषण प्रणाली से आई दरिद्रता के प्रति अपनी नाराजगी का जिक्र किया।
अभिषेक मिश्र, Gandhiji  
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नॉट फ़ॉर फ्री आईआईटी बीएचयू, साहित्य, आयोजन, पैसा, और #NotForFree हिंदी के कुछ नए साहित्यकारों ने एक मुहिम चलाई है जहाँ पर उन्होंने कहा कि उन्हें आयोजकों से उनकी प्रतिभा के बदले मानदेय चाहिए। निश्चित रूप से समय की क़ीमत है। और उसका मोल तो होना ही चाहिए। लेखक भी दो वर्गों में बंट गए हैं। एक वे जिन्हें यह बात सही लगती है, एक वे जिन्हें यह बात ग़लत। सही-ग़लत की बहस या कहें कि गुटबाज़ी से मैं हमेशा बचता हूँ। दोनों वर्ग के लेखक-साहित्यकार मेरे प्रिय और आदरणीय हैं। 
विमल कुमार शुक्ल 'विमल', मेरी दुनिया   
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आज के लिए बस इतना ही।
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10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय सर।
    सभी को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति । चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार !
    रोचक,सुंदर तथा ज्ञानवर्धक लिंक्स के प्रस्तुति के लिए आपको नमन, मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार, शुभ कामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर,बेहतरीन रचनाओं से सुशोभित शानदार प्रस्तुति आदरणीय सर,सभी रचनाकाओं को हार्दिक शुभकामनायें एवं सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  5. "बहुत से फेसबुकिये लोगों ने फेसबुक पर भी अपनी प्रोफाइल को लॉक किया हुआ है और वे धड़ल्ले से फ्रैण्ड रिक्वेस्ट भेजते हैं। ऐसा क्यों भाई? आखिर क्या छिपाना चाहते हैं ये लोग? यानि अपने घर में ताला और दूसरों के घरों में ताँक-झाँक।"

    मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं आदरणीय, मुझे भी यह बात बहुत ही अरुचिकर लगती है कि स्वयं अपना profile lock करके अन्यों को friend request भेजते हैं।
    ब्लॉग में भी lock का option है, यह तो मुझे नहीं मालूम... लेकिन यदि ऐसा है तो वाकई उचित नहीं। आपने बहुत अच्छा मुद्दा उठाया है।

    मेरी पोस्ट को आज की चर्चा में शामिल करनै के लिए हार्दिक आभार 🙏
    सादर
    डॉ. वर्षा सिंह

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर चर्चा अंक एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏🙏 सादर प्रणाम

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  7. बहुत बहुत सुंदर चर्चा।
    सभी लिंक लुभावने ज्ञान वर्धक।
    सुंदर काव्य सरि ,सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रणाम शास्त्री जी, आज आपने जो ताला लगाने वालों पर तंज़भरी भूम‍िका ल‍िखी है...वो बेहद सटीक है...ये ब‍िल्कुल ऐसा ही है जैसे क‍ि हमें हमारा दर्द तो दर्द लगता है..और का ढकोसला...धन्यवाद ब्लॉगर्स को सबक देने के ल‍िए फ‍िर चाहे मेरे जैसे ब्लॉगर ही क्यों ना हो जो सदैव लेटलतीफ रहते हैं कमेंट देने में...आपने मुझे समय से काम करना स‍िखा द‍िया...अरे, देख‍िए तो आत फ‍िर मैं लेट हो गई चर्चामंच पर आने के ल‍िए....आगे से ऐसा नहीं होगा..

    जवाब देंहटाएं

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