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मंगलवार, मार्च 16, 2021

"धर्म क्या है मेरी दृष्टि में "(चर्चा अंक-4007)

सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

(शीर्षक और भूमिका आदरणीया कुसुम कोठरी जी की रचना से )
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"विपरीत परिस्थितियों में सही को धारण करो, यही धर्म है।

 चाहे वो कितना भी जटिल और दुखांत हो....." 

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बहुत ही सुंदर बात कही है आदरणीया कुसुम जी ने 

मेरा भी मानना है कि-

अपनी सोच,बोल और कर्म से किसी को दुःख ना पहुँचाना किसी की निंन्दा ना करना,

किसी का अहित ना करना और... 

अपनी मर्यादाओं का उल्लंघन ना करना  ही हमारा प्रथम धर्म है....

चलिए चलते हैं,  कुछ विशेष रचनाओं का आनंद उठाने.....

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दोहे "उपवन में अब रंग" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

सरसों फूली खेत में, पीताम्बर को धार।
देख अनोखे रूप को, भ्रमर करे गुंजार।।
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कुदरत ने पहना दिये, नवपल्लव परिधान।
गंगा तट पर हो रहा, शिवजी का गुणगान।।

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 धर्म क्या है मेरी दृष्टि में  

*धर्म* यानि जो धारण  करने योग्य हो

 क्या धारण किया जाय  सदाचार, संयम,

 सहअस्तित्व, सहिष्णुता, सद्भाव,आदि

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धर्म अपना-अपना

मेरे लिए मुख्य बात है कि कोई मुझपर विश्वास किया..

बचपन से देखती आयी कि घर का मुख्य द्वार दिन में कभी बन्द नहीं होता था...।

 रात में भी बस दोनों पल्ला सटा दिया जाता था..। ... 

बाहर दरवाजे पर पहरेदार होते थे...। 

धीरे-धीरे समय बदला तो रात में मुख्य दरवाजा अन्दर से बन्द होने लगा।

 पहरेदार तो अब भी होते हैं लेकिन विश्वास कम हो चला है..।

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इतिहास या इति का हास .

हर खंडहर की नींव में 
मुझे गड़े  मुर्दे मिले हैं ,
नींव पर पड़ते ही 
किसी कुदाल का प्रहार ,
बिलबिला जाते हैं 
अक्सर इतिहासकार ।
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निर्वाण (खग मनस्वी संवाद )

संवेदन हीन हैं विचार कलुषित मानव के 

पंख फैलाए व्याकुल मन से खग बोला

  पलकों की पालकी पर भाव सजाए  

कहो न खग! मनस्वी ने पट खोला।

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खिलखिलाते हुए लाल फूल झाँक रहे थे खिड़की से 
मुस्कुरा रही थीं किताबें कॉफ़ी की खुशबू की संगत में
समन्दर की लहरों को छूकर आया था हवा का एक झोंका 
सहला रहा था मेरे गाल

 पाप बढ़ा धरती पे भारी
आपस में ही लोग लड़े।
बेशर्मी की चादर ओढ़े
गलियों में शैतान खड़े।
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उम्मीद करना और भरोसा करना गलत नहीं है

दोस्तों से जीवन में भरोसा यानि यकीन बहुत जरूरी होता है जीवन में कई लोग आप पर भरोसा करते हैं और आप भी अपने साथियों पर भरोसा करते हैं और यह यकीन और विश्वास और भरोसा ही हर रिश्ते को बनाना रखता है --------------

2-तेरी ये माया

तूने क्यूँ भरमाया

न जान पाया

3-कैसी ममता

कितना भरा प्यार

क्या है स्नेह

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मानव में खुद छुपा चितेरा

महायज्ञ सृष्टि का अनोखा 

शुभ पंचतत्व आहुति देते,

इक-दूजे में हुए समाहित   

रूप अनेकों फिर धर लेते !

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Drisht kavi and Anamika ji, Story Alexander Posts of 13 to 16 March 2021

पहली बार कही इस पुरस्कार की निंदा, आलोचना,
समालोचना नही देख रहा और लगता है कि यह कविता का
सर्वश्रेष्ठ समय है - जब कविता, कवयित्री निर्विवाद रूप
से सराहे जा रहें है और पूरा सोशल मीडिया रंगा पड़ा है प्रशस्ति गान से
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साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए आदरणीय अनामिका जी को

हार्दिक बधाई
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें। 
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें। 
कामिनी सिन्हा 
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15 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति। मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद आदरणीय कामिनी जी

    जवाब देंहटाएं
  2. हार्दिक आभार आपका मेरे लिखे शब्दों को यहाँ स्थान देने हेतु
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद
    –हाइकु... उ लगा शब्द सही होता है... सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति है। सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. अपनी सोच,बोल और कर्म से किसी को दुःख ना पहुँचाना किसी की निंन्दा ना करना,
    किसी का अहित ना करना और अपनी मर्यादाओं का उल्लंघन ना करना ही हमारा प्रथम धर्म है, धर्म की सुंदर परिभाषा देती हुई भूमिका और सुंदर सूत्रों का चयन, आज की चर्चा के लिए बहुत बहुत बधाई और आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बेहतरीन और लाजवाब सूत्रों से सजी प्रस्तुति में आदरणीया कुसुम जी की रचना .आ. कामिनी जी की भूमिका एवं
      प्रतिक्रिया में आये आदरणीया अनीता जी के विचारों ने बहुत प्रभावित किया । सभी सूत्र अत्यंत सुन्दर हैं । सराहनीय चर्चा प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार कामिनी जी ।

      हटाएं
  7. प्रिय कामिनी जी मेरी रचना से शीर्षक चयन करके मुझे जो सम्मान दिया उससे अभिभूत हूं मैं।
    आपने सृजन के समानांतर विचार रख कर रचना को समर्थन दिया उसके लिए हृदय से आभार।
    भूमिका में सुंदर विचार रखे हैं आपने ।
    मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय तल से आभार।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    सभी लिंक बहुत सुंदर पठनीय हैं।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बहुत आभार कामिनी जी मेरे सृजन को स्थान देने हेतु।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार कामिनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  11. आप सभी का हृदयतल से धन्यवाद, आप सभी ने प्रतिक्रिया के रूप में अपने सुंदर विचारों को रखकर प्रस्तुति को जो सार्थकता प्रदान की है इसके लिए हृदयतल से आभार एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं

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