सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
चाहे वो कितना भी जटिल और दुखांत हो....."
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बहुत ही सुंदर बात कही है आदरणीया कुसुम जी ने
मेरा भी मानना है कि-
अपनी सोच,बोल और कर्म से किसी को दुःख ना पहुँचाना किसी की निंन्दा ना करना,
किसी का अहित ना करना और...
अपनी मर्यादाओं का उल्लंघन ना करना ही हमारा प्रथम धर्म है....
चलिए चलते हैं, कुछ विशेष रचनाओं का आनंद उठाने.....
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*धर्म* यानि जो धारण करने योग्य हो
क्या धारण किया जाय सदाचार, संयम,
सहअस्तित्व, सहिष्णुता, सद्भाव,आदि
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मेरे लिए मुख्य बात है कि कोई मुझपर विश्वास किया..
बचपन से देखती आयी कि घर का मुख्य द्वार दिन में कभी बन्द नहीं होता था...।
रात में भी बस दोनों पल्ला सटा दिया जाता था..। ...
बाहर दरवाजे पर पहरेदार होते थे...।
धीरे-धीरे समय बदला तो रात में मुख्य दरवाजा अन्दर से बन्द होने लगा।
पहरेदार तो अब भी होते हैं लेकिन विश्वास कम हो चला है..।
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संवेदन हीन हैं विचार कलुषित मानव के
पंख फैलाए व्याकुल मन से खग बोला
पलकों की पालकी पर भाव सजाए
कहो न खग! मनस्वी ने पट खोला।
2-तेरी ये माया
बढ़िया प्रस्तुति। मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद आदरणीय कामिनी जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका मेरे लिखे शब्दों को यहाँ स्थान देने हेतु
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद
–हाइकु... उ लगा शब्द सही होता है... सादर
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति है। सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंअपनी सोच,बोल और कर्म से किसी को दुःख ना पहुँचाना किसी की निंन्दा ना करना,
जवाब देंहटाएंकिसी का अहित ना करना और अपनी मर्यादाओं का उल्लंघन ना करना ही हमारा प्रथम धर्म है, धर्म की सुंदर परिभाषा देती हुई भूमिका और सुंदर सूत्रों का चयन, आज की चर्चा के लिए बहुत बहुत बधाई और आभार !
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन और लाजवाब सूत्रों से सजी प्रस्तुति में आदरणीया कुसुम जी की रचना .आ. कामिनी जी की भूमिका एवं
हटाएंप्रतिक्रिया में आये आदरणीया अनीता जी के विचारों ने बहुत प्रभावित किया । सभी सूत्र अत्यंत सुन्दर हैं । सराहनीय चर्चा प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार कामिनी जी ।
Thanks for the post here
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी जी मेरी रचना से शीर्षक चयन करके मुझे जो सम्मान दिया उससे अभिभूत हूं मैं।
जवाब देंहटाएंआपने सृजन के समानांतर विचार रख कर रचना को समर्थन दिया उसके लिए हृदय से आभार।
भूमिका में सुंदर विचार रखे हैं आपने ।
मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय तल से आभार।
सभी रचनाकारों को बधाई।
सभी लिंक बहुत सुंदर पठनीय हैं।
बहुत बहुत आभार कामिनी जी मेरे सृजन को स्थान देने हेतु।
जवाब देंहटाएंसादर
एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंसादर।
सुन्दर व उत्तम रचनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार कामिनी जी।
आप सभी का हृदयतल से धन्यवाद, आप सभी ने प्रतिक्रिया के रूप में अपने सुंदर विचारों को रखकर प्रस्तुति को जो सार्थकता प्रदान की है इसके लिए हृदयतल से आभार एवं सादर नमस्कार
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