शीर्षक पंक्ति: आदरणीया ज्योति सिंह जी।
सादर अभिवादन।
शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
होली अर्थात रंगोत्सव,उमंग,उत्साह सहचर्य जीवन में हँसी-ठिठोली का बसंत को विदा कहता त्योहार जिसमें सामाजिक ताना-बाना कुछ इस तरह बुना हुआ है कि सद्भाव की धारा बह निकलने के समस्त आयाम होली के पर्व अर्थात रंगोत्सव में विद्यमान हैं।
रंग जीवन में नीरसता से परे ले जाते हैं। पशु-पंछियों को ऐसा सुख कहाँ है जो वे प्रकृति के विभिन्न रंगों में ख़ुद को सराबोर कर सकें ,उन्हें तो केवल श्वेत-श्याम रंग ही अधिकांशतः पहचानने की क्षमता दी है क़ुदरत ने। इसलिए मानव जीवन रंगों के साथ प्रयोग करते-करते थकता नहीं है। रंग हमारे भीतर विभिन्न मनोभावों को उद्दीपित करने में सक्षम हैं। अतः रंगों की पसंद हमारे व्यक्तित्त्व पर असर डालती है।
चर्चामंच परिवार की ओर से रंगों के त्योहार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
-अनीता सैनी 'दीप्ति'
आइए अब रंगों के त्योहार होली पर कुछ मनपसंद रचनाओं को पढ़ा जाय-
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उच्चारण: होलीगीत "आया हैं मधुमास, चलो होली खेलेंगे
मन में आशायें लेकर के,
आया हैं मधुमास,
चलो होली खेलेंगे।
मूक-इशारों को लेकर के,
आया है विश्वास,
चलो होली खेलेंगे।।
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ये रंग हो सच्चे रिश्तों का
ये रंग हो गहरे रिश्तों का
ये रंग हों उम्मीदों के
ये रंग हो विश्वास के
ये रंग हो सपनो के
ये रंग हो अपनों के
ये रंग हों इजहार का
ये रंग हों इकरार का
ये रंग हों उत्साह का
ये रंग हों उमंग का
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जीवंत हो उठी, सारी कल्पना,
यूँ, प्रकृति का जागना,
जैसे, टूटी हो कोई साधना,
पी चुकी हो, भंग,
सतरंगी सी, ये बयार!
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आओ री सखी
आतुर मधुमास
आयो फागुन
बृज में होरी आज
अबीर भरी फाग।
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हवाओं की बाँहें फैला कर वो ऐसे बुलाता है
न चाहते हुए भी मन उसी ओर खींच जाता है
रंगरलियों की ये गलियां , बहार और मधुमास
अजब अनोखा भास में उलझाकर ललचाते हैं
फागुन की रातें हैं
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रंग बरसे
आया होली का पर्व सखी, रंग बरसे !
होली की धूम मची जग में, रंग बरसे !
आओ मिल खेलें फाग सखी, रंग बरसे !
हुरियारे डोलें गलियन में, रंग बरसे !
बच कर आना इनसे बहना, रंग बरसे !
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सखियाँ सहेली सबै बोलैबे, बीच आँगन म तुम्हें घेरैबे
तुमका देब गिराय, बलम जी खेलन जइबे आज
होली रंगन ...
चाहे पिया भागो,चाहे लुकाओ, चाहे जेतना तुम शोर मचाओ
रंग मा देब डुबाय, बलम जी खेलन जइबे आज
होली रंगन...
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रंगीन समा
रहा कोरी कल्पना
कोविद की बापिसी
हुई जब से
बिना रंग गुलाल
फीका त्यौहार
रंग जाने कहाँ हैं
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सहसा पथ बदल कर, किसी अन्य राह से
तुम जा चुके हो, अपने सुरक्षित गंतव्य
की ओर, सुना है प्रेम और युद्ध में है
सात ख़ून माफ़, कुछ शिराओं
में बहते हैं, छद्म रंगों के
अनगिनत कण,
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होली में अब चार दिन शेष हैं। लेकिन इस बार मुहल्ले में वह उल्लास नहीं जो विगत वर्षों में हुआ करता था। जिसका खास वजह कोरोना काल था।
उससे भी खास वजह
पिछली होली में स्मृति भाभी को रंग लगाने के कारण हुई प्रतिक्रिया थी।
नई नवेली स्मृति भाभी के गालों पर मुहल्ले के लड़के-लड़कियों ने इतना रंग लगाया था कि उनके चेहरे की चमड़ी पर जलन होने लगा और बड़े-बड़े फसलें पड़ गये। महीने भर चिकित्सा कराने के बाद घाव ठीक हुआ। कमला चाची ने गुस्से में कहा दिया। कितना घटिया रंग लगाया मेरी बहू को ? अब तुम लोग इसे रंग लगाने मत आना।उस दिन से सभी चाची से नजरें चुराने लगी थी।
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समय बदलता है परिस्थितियां बदलती है कभी-कभी तो स्थितियों के वजह से विज्ञान की प्रतिपादित सिद्धांत भी खंडित हो जाती हैं और हमें चकित कर देते हैं ।
क्या जरूरत है वैश्विक वैमनस्यता बोने की जरूरत तो यह है कि जो बोया है अगर वह कटीला है तो कांटो को तोड़ दिया जाए कुछ नया उगाया जाए।
कबीर के बाद कबीर पत्थर के बनाके उन्हें पूजें तो कबीर हंसेंगे कि बेवजह लिखा था दोहा कि-
पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजू पहाड़
तासे जा चाकी भली, पीस खाय संसार ।--
हरियाणा साहित्य अकादमी की अनुदान योजना के अंतर्गत वर्ष 2018 के लिए चयनित बलबीर सिंह वर्मा की पुस्तक "कैसे भूलूँ तेरा अहसान" का प्रकाशन मोनिका प्रकाशन, दिल्ली से 2021 में हुआ है। प्रकाशन की दृष्टि से यह उनकी दूसरी कृति है, लेकिन रचना कर्म की दृष्टि से यह उनकी पहली कृति है। इस संग्रह में 88 रचनाएँ हैं, जिसकी शुरूआत माँ शारदे का वंदन करते हुए की है। इसके अतिरिक्त भी कुछ भक्तिपरक कविताएँ कवि ने रची हैं। वह शिव, कृष्ण की महिमा का गान करता है। कृष्ण को पुनः आकर सुदर्शन चक्र चलाने के लिए कहा गया है। मीरा की भक्ति को दिखाया गया है। भक्ति के साथ देशभक्ति भी इन कविताओं का विषय है। वह भारत की महानता, राष्ट्रीय एकता की बात करते हुए इसे पर्वों की धरती कहता है। देश भक्ति के साथ ही वह देश के क्रांतिकारियों, सैनिकों को भी याद करता है और कहता है -
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आज का सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे
आगामी अंक में
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
होली के उपलक्ष्य पर सुंदर व सार्थक प्रस्तुति आदरणीया अनीता है।
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ ......
....कृपया है के बदले ।।।।। जी ....पढें
हटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी को विश्व रंग-मंच दिवस और रंगों के महा पर्व होली की शुभकामनाएँ।
आपका आभार अनीता सैनी दीप्ति जी।
उम्दा लिंक्स आज की |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार अनीता जी |
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स|मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी पाठकों, मित्रों, एवं बंधु बांधवों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं ! आज के चर्चामंच में बहुत ही सुन्दर सूत्रों का चयन ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रिय अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंहोली के रंगों में सराबोर रंगीन प्रस्तुति प्रिय अनीता, आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर सूत्रों का संयोजन करके आपने मनोभावों को समस्त रंगों से सराबोर कर दिया है । आप सबों को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंसदैव की भांति बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति । सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं रंगोत्सव की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर तथा रंगों भरी चर्चा लिंक्स के सुंदर चयन तथा शानदार प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं प्रिय अनीता जी मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए आपका आभार प्रकट करती हूं, सादर नमन, होली की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।
जवाब देंहटाएंमोहक भूमिका के साथ रंगारंग प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं होली पर्व की शुभकामनाएं।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
होलिका पर्व पर सभी साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं।