सादर अभिवादन !
शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी प्रबुद्धजनों का पटल पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन ! आज की चर्चा का शीर्षक आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'जी के होली गीत "आई होली, आई होली रे" की पंक्ति से है ।
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साहित्य जगत की प्रमुख छायावादी कवयित्री
महादेवी वर्मा जी के जन्मदिन पर उन्हें स्मरण करते हुए अब हम बढ़ते हैं
आज की चर्चा के अद्यतन सूत्रों की ओर -
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लहराती खेतों में फसलें,
तन-मन है लहराया.
वासन्ती परिधान पहनकर,
खिलता फागुन आया,
महकी मनुहार लेकर,
गुझिया उपहार लेकर,
आई होली, आई होली,
आई होली रे!
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दिल के साथ दिमाग की भी सुन लिया करो
जज्बातों की रौ में यूँ बहा नहीं करते |
तुम दर्द छुपाने की भले करो लाख कोशिश
मगर ये आंसू आँखों में छुपा नहीं करते |
काट रहे हैं हम ' विर्क ' वक्त जैसे-तैसे
ये मत पूछो , क्या करते हैं , क्या नहीं करते |
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आज चलो गाएं ज़रा, धरती के गीत।।
धरती के गीत, धरती के गीत।।
गीत प्रतिबंधों के, गीत अनुबंधों के
गीत संबंधों के, गीत रसगंधों के
आज चलो गाएं ज़रा, धरती के गीत।।
धरती के गीत,धरती के गीत ।।
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हो मुग्ध,रागनी गुनगुना रहा
शृंगार सुशोभित पुलकित है मन
बाट जोहती देहरी भी गुनगुना रही।
सुमन सेमल पथ पर बिछाती पवन
पग-ध्वनि को झोंका तरसता रहा
अभिलाषित मन की हूक
देखो! चकोर चाँद को निहारता रहा।
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ख़ुशी के रंगों से रंगी है- ये दुनिया
तेरे सपनो के रंगो से सजी है-ये दुनिया।
इस प्रिय पहर में दो खग यूँ मिले है,
जैसे एक ही डाली पर दो सुमन खिले है।
मेरे दिल की लाली मुबारक तुम्हे हो।।
मेरे ख्वाबों की होली....
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अमृत-सी तरंग
रोम-रोम उमंग
फड़के अंग-अंग
मन हुआ विहंग
वश-अवश कल्पना
तिक्त-मृदु जल्पना
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इस कोरोना काल में होली का त्योहार,
होली का त्योहार आने के पहले ही कोरोना संक्रमण ने फिर अपने पांव पसारने शुरु कर दिए हैं। पिछले साल की तरह इस बार भी होली का त्योहार ऐसे समय में आ रहा है जब एक बार फिर से कोरोना वायरस महामारी का खतरा बढ़ गया है। पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में एक बार फिर सवाल उठने लगा है कि क्या इस बार भी पहले की तरह होली का त्योहार फीका चला जाएगा?
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दुःख को हर हाल में ख़ारिज़ करो,
जितना सीने से उसे जकड़ोगे
उतना ही वो, अंदर ही अंदर
जड़ें फैलाता जाएगा,
और कर जाएगा
सर्वनाश,
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अपनी मुट्ठी में छिपा
लिया है
अगली
पीढ़ी की मुस्कान
के लिए...।
वो धूप को
जंगल नहीं होने देंगे...।
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अपने रंगों में रंगा रंगीला मन ,
अब कोई भी रंग नहीं चढ़ता है |
लाल गुलाल मोह ममता –
का तुम मुझ पर मत डारो |
कच्चे रंगों वाली अपनी ,
यह पिचकारी मत मारो |
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स्मार्टफोन और कंप्यूटर के दुष्प्रभाव से
आँखे हमारे शरीर का सबसे अनमोल अंग है। इसलिए इनकी सेहत का ख्याल रखना हमारी प्राथमिकता में होना चाहिए! स्मार्टफोन, लैपटॉप और कंप्यूटर के अत्यधिक इस्तेमाल से हमारी आँखों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। अगर हम कुछ बातों का ध्यान रखें तो स्मार्टफोन, लैपटॉप और कंप्यूटर के दुष्प्रभाव से हम अपनी आँखों को आसानी से बचा सकते हैं।
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कोई भी अच्छा कार्य छोटा नहीं होता
जीवन में अगर कोई आपके किये हुए कार्य की
तारीफ़ न करे तो चिंता मत करना,
क्यूंकि आप उस दुनिया में रहते है,
जहाँ जलता तो तेल और बाती है
पर लोग कहते है कि दीपक जल रहे हैं !!
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उस दिन तुलसी जब पूर्व-जीवन की स्मृतियों में भटक रहे थे, बातों बातों में रत्ना के सामने मन की तहें खोलने लगे .
नीमवाली ताई से उन्होंने पूछा था, 'मेरी माँ कैसी थी ,ताई'?
'साक्षात् देवी ,इतने कष्टों में रही कभी शिकायत नहीं.
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बिना चाशनी और बिना मावा के सूजी के लड्डू
दोस्तो, आज हम बनायेंगे बिना चाशनी और बिना मावा के (sooji/rava laddu) सूजी के लड्डू। यदि चाशनी के लड्डू बनाएं जाएं तो चाशनी थोड़ी सी भी कम-ज्यादा होने पर लड्डू बिगड़ जाते है। इसलिए मैं आज आपको बिना चाशनी के लड्डू बनाना बताउंगी। बिना चाशनी के होने के कारण ये लड्डू बनाना बहुत ही आसान है।
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कवि तेज राम शर्मा का जन्मदिन आज,
गाँव के मन्दिर के प्राँगण में-
गाँव के मंदिर प्राँगण में
यहां जीर्ण-शीर्ण होते देवालय के सामने
धूप और छाँव का
नृत्य होता रहता है
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आपका दिन मंगलमय हो..
फिर मिलेंगे 🙏
"मीना भारद्वाज"
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बहुत सुन्दर होलीमय चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरे गीत की पंक्ति को चर्चा का शीर्षक बनाने के लिए- आपका आभार
आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
सुन्दर और सार्थक लिंकों से सजी चर्चा प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। मेरी पोस्ट को चर्चामंच में जगह देने के लिए हार्दिक आभार। सभी रचनाकारों को बधाई। सादर।
जवाब देंहटाएंहोली के रंगों को बिखेरता अंक मुग्ध करता है लेकिन दो गज़ की दूरी और मुखौटा भी ज़रूरी है - - शुभकामनाओं सह।
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा ... सभी लिंक्स पर उपस्थिति दर्ज हो गयी :):)
जवाब देंहटाएंहोली के रंगों से सजी सुंदर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय चर्चा और रचनाओं का संकलन |बधाई भी शुभ कामनाएं भी |
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, मीना दी।
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंलिंक चयन का श्रमसाध्य कार्य आपने जिस निपुणता से किया है वह सराहनीय है। सभी लिंक्स पठनीय हैं। बहुत बधाई 🙏
मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए हृदयतल की गहराइयों से आभार आपका 🙏
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
इस फागुन का खिला हुआ रूप अति मनभावन हैं । अति सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंसदा की भांति बहुत सार्थक, बहुत रोचक चर्चा...
जवाब देंहटाएंसाधुवाद आपको मीना जी 🌹🙏🌹
मीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंमेरे लेख को चर्चा मंच में शामिल करने पर कृतज्ञ हूं आपकी...
आपको हार्दिक धन्यवाद ...
आभार...🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
होली के रंगों में सराबोर सुंदर प्रस्तुति आदरणीय मीना जी, मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसाहित्य जगत की प्रमुख छायावादी कवयित्री
महादेवी वर्मा जी के जन्मदिन पर उन्हें स्मरण करते हुए।बहुत ही सराहनीय प्रस्तुति।
समय मिलते ही सभी रचनाएँ पढूँगी।
मुझे स्थान देने हेतु दिल से आभार आदरणीय मीना दी।
सादर