रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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मिल कर सभी मनायेंगे। जन्मदिवस पर प्यारी बिटिया को, हम बहुत सजाएँगे।।
मेरी बात
बहुत से ब्लॉगरों को बुरी लग सकती है
आज मैं ऐसे विषय पर कलम चलाने जा रहा हूँ
जो बहुत से ब्लॉगरों को बुरी लग सकती है।
मित्रों!
चर्चा मंच पर सन् 2009 से अनवरतरूप से आपके द्वारा लिखी गई ब्लॉग की अद्यतन प्रविष्टियों की प्रतिदिन चर्चा की जाती है। किन्तु अफसोस तो तब होता है कि जब बहुत सारे वो ब्लॉगर भी चर्चामंच पर झाँकने तक नहीं आते हैं जिनके ब्लॉग की रचनाओं का लिंक चर्चा मंच पर दिया जाता है।
लेकिन इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि लोग चर्चा मंच पर नहीं आते हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि बहुत सारे सुधि पाठक प्रतिदिन चर्चामंच पर आते हैं और अपनी सकारात्मक टिप्पणियाँ भी देते हैं। जिससे हम चर्चाकारों को बहुत बल मिलता है। इन्हीं साहित्यकारों के स्नेह के कारण आज चर्चा मंच ब्लॉगों की प्रथम पायदान पर है और अपने 4005 अंक पूरे कर चुका है।
मेरे भाग्य में क्या लिखा है ?
जब भी आकलन करना चाहूँ
स्वयं पर हंसी आती है मुझे |
1 - छात्रों में अभिव्यक्ति के विकास के लिए सप्ताह के अंत में या प्रत्येक शनिवार को सांस्कृतिक कार्यक्रम अवश्य आयोजित किया जाना चाहिए।
2- जहां छात्र संख्या और शिक्षकों की संख्या पर्याप्त हो वहां शिक्षण संस्था को 4 विभागों (Houses ) में विभक्त कर वार्षिक समारोह कराये जाने चाहिए ।
3 - जहां छात्रों की संख्या एवं शिक्षकों की संख्या कम हो वहां विद्यालय/संस्था को 2 विभागों (Houses) में विभक्त कर वार्षिक समारोह आयोजित किया जा सकता। है।
4 -जहां तक संभव हो प्रत्येक छात्र को किसी न किसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाय।
5 - कई विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रम सरस्वती वन्दना से प्रारम्भ नहीं होते, वहां सम्बंधित निर्देश होना चाहिए।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के 4005वें अंक की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें ।।।।।
जवाब देंहटाएंआदरणीय इस तरह रचनाओं को एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करने का यह अत्यंत सराहनीय प्रयास है । इसके लिए आपका बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत सुन्दर । सभी आदरणीय को बधाई ।
बहुत खूब सुंदर रचनायें! मेरे लेख को भी मंच प्रदान करने के लिए आभार। आप सभी का दिन शुभ हो। ❤️🙏
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। 4005 वे अंक की हार्दिक शुभकामनाएं। ये चर्चा मंच के सभी रचनाकारों की मेहनत का फल ही है कि आज ये मंच मेरे जैसे कई ब्लोगरों की ब्लॉग पोस्ट को मंच उपलब्ध करवाकर हमारी रचनाओं को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का नेक कार्य कर रहा है। मैं व्यक्तिशः मंच के सभी रचनाकारों की आभारी हूं।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
आदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंसादर नमन !
चर्चा मंच से कोई अन्य पटल समानता कर ही नहीं सकता। यह आपके मार्गदर्शन में अतुलनीय है और सदैव से ही ब्लॉग जगत के उच्चतम शिखर पर है। इसकी यात्रा की 2011 से यानी पिछले 10 वर्ष से मैं साक्षी हूं।
चर्चा मंच Saturday July 02 2011अंक बस दर्पण में ही सही पर इंसानियत की तस्वीर तो देखो शनिवासरीय चर्चा Er. सत्यम शिवम
चर्चा मंच Saturday, July 02, 2011अंक "बस दर्पण में ही सही पर इंसानियत की तस्वीर तो देखो":-(शनिवासरीय चर्चा) में Er. सत्यम शिवम द्वारा मेरे ब्लॉग ग़ज़लयात्रा की मेरी ग़ज़ल "तुम्हारी याद आई" को शामिल कर मुझे जो सम्मान दिया गया था, उसका मान रखना मुझे सदैव याद रहता है। परिस्थितिजन्य व्यस्तता के चलते समयाभाव के कारण यदि कभी चर्चा मंच पर अपनी उपस्थिति नहीं दे पाऊं तो कृपया कभी भी अन्यथा न लें।
भविष्य हेतु "क्षमा बड़न को चाहिए" के अंतर्गत क्षमाप्रार्थिनी,
सदैव आपकी कृपाकांक्षिणी,
डॉ. वर्षा सिंह
बढ़िया प्रस्तुति। मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स ।सादर अभिवादन सर
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ,
जवाब देंहटाएंआप का चर्चा मंडल सराहनीय है। माननीय ! मेरे लेख " छात्रों में अभिव्यक्ति का विकास सांस्कृतिक कार्यक्रम द्वारा" को भी समुचित स्थान देने के लिए आप का बहुत बहुत ह्रदय से आभार।
बहुत बहुत हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंप्रणाम शास्त्री जी, चर्चामंच के 4005 अंक पूरे होने पर बधाई और ब्लॉगरों की इस बैठक में मुझे भी स्थान देने के लिए शुक्रिया। चर्चामंच ना होता तो हमारी पहुंच इतने पाठकों तक संभवत: न हो पाती... बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंपौत्री को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सर, सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंसदैव की भांति सुन्दर प्रस्तुति । पौत्री को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी आपकी बातें कड़वी जरूर है पर एकदम सत्य हैं इस मंच ने सदैव पाठकों को हमेशा अच्छे-अच्छे लिंक उपलब्ध करवाएं जिन पर विजिट करके बहुत कुछ सीखने को मिला विशेष रुप से मैं अपनी बात करूं तो मैंने काफी कुछ सीखा है आपके सानिध्य में आने के बाद मैं सदैव आपका आभारी हूं आदरणीय शास्त्री जी
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