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शुक्रवार, अक्तूबर 01, 2021

"जैसी दृष्टि होगी यह जगत वैसा ही दिखेगा" (चर्चा अंक-4204)

 मित्रों!

शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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वही 

एक अनंत विश्वास 

छा  जाता है जब 

जो सदा से वहीं था 

सचेत हो जाता है मन उसके प्रति 

तो चुप लगा लेता है स्वतः ही 

मन पाए विश्राम जहाँ 

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असलियत को जो पहचाने 

जैसी दृष्टि होगी यह जगत वैसा ही दिखेगा. अँधेरी रात में एक ठूँठ को एक व्यक्ति चोर समझता है, दूसरा साधू और तीसरा रौशनी करके उसकी असलियत पहचानता है. हमें भी इस जगत की वास्तविकता को पहचानना है. न इससे आकर्षित होना है न ही द्वेष करना है. तभी हम मुक्त हैं. डायरी के पन्नों से 

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ड्रग: नस्‍लों को तबाह करने में जुटा है पाकिस्तान- तालिबान नेक्सस 

क‍िसी भी देश की उन्‍नत‍ि व उससे जुड़ी आकांक्षाएं पीढ़ी दर पीढ़ी व‍िरासत में चलती जाती हैं मगर जब देश की जड़ों में मठ्ठा डालने का काम कोई पीढ़‍ी स्‍वयं ही करने लगे तो भला क‍िसी दुश्‍मन के आक्रमण की क्‍या ज़रूरत। इसी तरह हमारी पीढ़‍ियों को बरबाद करने में जुटा है ड्रग माफि‍या और इससे जुड़ा पाकिस्तान-तालिबान नेक्सस। अभी तक इसका न‍िशाना पंजाब और कश्‍मीर होता था परंतु हाल ही में कच्छ, गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर जो 3,000 किलो हाई क्वालिटी की ड्रग हेरोइन ज़ब्‍त की गई उसका केंद्र भारत का दक्ष‍िण भाग था, ऐसा पहली बार हुआ है। अब छोड़ो भी 

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गिरा हुआ आदमी (लघुकथा) 

Gajendra Bhatt 

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बरसता है मन ! 

उमगती है आँधी ,उजड़ता है उपवन

जब रिसती हैं आँखें, बरसता है मन !


डगर रीत की , याद मीत की

टेसू उजाड़ गये ,हार जीत की 

बंसरी मूक हुई ,साँवरे छुप गए

सिसकती है राधा ,सोच प्रीत की ! 

झरोख़ा 

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'त्रासदी 

01. 

मैं बक संग

अनिर्णीत दौड़ में

सन्धिप्रकाश

02. 

स्त्री के हाथों में

हारिल की लकड़ी

फौजी की चिट्ठी 

"सोच का सृजन" 

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विलुप्त नदी 

हर कोई
चाहता है ज़िन्दगी को नए सिरे से
सजाना, मीठी सी धूप ग़र
पसरी पड़ी हो अहाते
में दूर तक, कौन
याद रखता
है लौटी
हुई 
अग्निशिखा : 

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क्षणिकाएं 

ओ भ्रमर फूलों पर क्यों मडराते

उनके मोह में बंध कर रह जाते

कभी पुष्पों में ऐसे बंध जाते

आलिंगन  मुक्त नहीं हो पाते  

Akanksha -Asha Lata Saxena 

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वो अक्सर 

मचल कर, मखमली सवालों में! वो अक्सर, आ ‌‌‌‌‌ही जाते हैं, ख्यालों में! न बदली, अब तक, उनकी शोखियां, वो ही रंग, अब भी, वो ही खुश्बू, और वही, नादानियां कविता "जीवन कलश"  

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चौमासा इस बार (मत करो आवारागर्दी ) 

श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह
‘मैं उपस्थित हूँ यहाँ’ 
की इकानब्बेवी कविता 
खुले मन से मन की बात करो
बेशक दिन और रात करो
बरसना चाहो तो
मुक्त बरसो-उन्मुक्त बरसो
पर मत करो आवारागर्दी
मत कोई उत्पात करो।
एकोऽहम् 

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हृदय को स्वस्थ और मजबूत रखें 

आर्थिक रूप से सशक्त होने के लिए लोगों ने अपने शरीर की परवाह किये बिना धनोपार्जन की परवाह करना शुरू कर दिया. वैश्वीकरण के दौर ने इस काम में उत्प्रेरक का काम किया है. अब लोगों को अपने स्वास्थ्य, घर-परिवार से ज्यादा चिंता अपने धन की रहती है,अपनी आर्थिक स्थिति की रहती है. इस कारण से लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है रायटोक्रेट कुमारेन्द्र 

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ठगी के तरीके 

मेरे यहाँ अभी मकान खाली है जिसे किराये पर देना है इसके लिए एक एप पर प्रापर्टी डाली है। कुछ दिन पहले मेरे पास एक फोन आया कि मकान किराये पर लेना है।

क्या करते हैं?

आर्मी में हूँ। अभी दिल्ली से महू ट्रांसफर हुआ है।

कहाँ के रहने वाले हैं? फैमिली या सिंगल? 

उत्तराखंड का। फैमिली। मैम हमें तो महू में क्वार्टर मिलेगा लेकिन वहाँ फैमिली रखना ठीक नहीं है इसलिये फैमिली को इंदौर में रखेंगे। मैं रविवार को हाफ डे में आऊंगा। 

कासे कहूँ? 

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हर घर कुछ कहता है 

मैं जरूर आऊँगी कभी-कभी  तुमसे मिलने

एक पेड़ मात्र तो  नहीं हो तुम मेरे लिए

कोई  जाने न जाने पर तुम तो जानते हो न 

कि क्या हो तुम मेरे लिए…!


अपनी दुआओं में याद रखना मुझे

आज विदा लेती हूँ दोस्त

फ़िलहाल…अलविदा...!!! 

ताना बाना 

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बिच्छू का खेल - अमित खान 

*संस्करण विवरण:* *फॉर्मैट:* ई बुक | *प्रकाशन:* बुक कैफै प्रकाशन | *पृष्ठ संख्या:* 266 | *एएसआईएन:* B08R9MZG71 | *प्रथम प्रकाशन:* 1994 *पुस्तक लिंक:*अमेज़न [image: समीक्षा: बिच्छू का खेल | Book Review: Bicchoo ka khel - Amit khan]  एक बुक जर्नल 

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"मेरी श्रीमती अमर भारती का जन्मदिन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

तुमसे ये उपवन आबाद।
अमर भारती जिन्दाबाद।।

तुम हमको प्राणों से प्यारी,
गुलशन की तुम हो फुलवारी,
तुम हो जीवन का उन्माद।
अमर भारती जिन्दाबाद।।

उच्चारण 

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आज के लिए बस इतना ही।

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15 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात !
    बहुत सुन्दर पुष्पगुच्छ सी प्रस्तुति आ. शास्त्री सर ! स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते मेरी पटल पर अनुपस्थिति पर आपके सहयोग के लिए हृदयतल से आभारी हूँ ।
    सभी रचनाकारों को भी बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. यद्यपि स्वास्थ्य ठीक नहीं है लेकिन मेरा दायित्व है के चर्चा मंच पर प्रतिदिन चर्चा लगे

      हटाएं
    2. जैसे ही मेरा स्वास्थ्य ठीक होगा मैं पुनः चर्चा प्रस्तुति लगा सकूंगी । तब तक के लिए पुनः आपका हृदयतल से असीम आभार🙏

      हटाएं
    3. आदरणीया मीना भारद्वाज जी! आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं, ईश्वर से प्रार्थना है कि बह आपको जल्दी से स्वस्थता प्रदान कर दे!

      हटाएं
  2. 'ठगी के तरीके' के जरिये बहुत अच्‍छी जानकारी मिली।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    आज का उम्दा अंक |आदार्नीय भाभी जी को जन्म दिन पर हार्दिक बधाई |
    |मेरी रचना को आज के अंक में शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  4. पठनीय रचनाओं से सजी सुंदर चर्चा! अमर भारती जी को जन्मदिन की शुभकामनाएँ, स्वास्थ्य ठीक न होते हुए भी आप साहित्य की सेवा कर रहे हैं, यह अत्यंत सराहनीय है। आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. वंदन संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
    जन्मदिन की शुभकामनाओं के संग बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. चर्चामंच के पटल पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए आ. डॉ. मयङ्क का हार्दिक आभार! इस सराहनीय चर्चा-अंक में सम्मिलित सभी रचनाकारों को भी स्नेहिल बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रणाम शास्‍त्री जी , आपका बहुत बहुत आभार, मेरी पोस्‍ट को इस संकलन में शाम‍िल करने के ल‍िए धन्‍यवाद

    जवाब देंहटाएं
  9. आ. शास्त्री जी एवम् मीना जी , ईश्वर आप दोनों को शीघ्र स्वस्थ करें…विभिन्न रंगों से सजा आज का चर्चा- मंच बहुत रोचक है।मेरी रचना को भी आज के चर्चा मंच में शामिल करने का बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
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