फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, अक्तूबर 25, 2021

'लिखा हुआ बोरों के हिसाब से गोदामों में लाइन लगा तुल रहा है' (चर्चा अंक 4228)

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ.सुशील कुमार जोशी जी की रचना से। 

सादर अभिवादन। 

सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

आइए पढ़ते हैं चंद चुनिंदा रचनाएँ-

गीत "मुझपे रखना पिया प्यार की भावना" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

*****

ग़ाँधी को लगी गोली को आज सलाम मिल रहा है

चारों तरफ चैन है बैचेन एक भी कहीं ढूँढे नहीं मिल रहा है

संत हो गये हैं सारे इतना संतोष है सम्भाले नहीं सम्भल रहा है

लिखा हुआ बोरों के हिसाब से गोदामों में लाइन लगा तुल रहा है

कुछ पढ़ दिया जा रहा है कुछ इंतजार में है करवट बदल रहा है

*****

६१४.भगवान बचाए

वे भी आमंत्रित हैं आज के जलसे में,

कविताओं से उनकी भगवान बचाए.

सुना है,वे आएँगे पीड़ितों से मिलने,

दौरों से उनके भगवान बचाए.

*****

चलनी की आड़ से (करवा चौथ )

जब तलक आसमां में ये चांद रहे,

तब तलक मेरा-तेरा ये साथ रहे।

संग- संग गुजरता दिन -रात रहे।

सदा ही अचल मेरा अहिवात रहे।

बढ़ते रहें हम -तुम संग सनम,हो-हो-हो

तुम मेरे संग रहो तो मेरा,

घर-बार प्यारा लगता है।

*****

नवगीत : समरसता संदेश : संजय कौशिक 'विज्ञात'

समरसता संदेश तिरंगा 

लेकर तन पर चलता है 

भारत का अनुपम यह चोला 

अनुपमता पर खिलता है।। 

*****

करवा चौथ स्पेशल


जरा सा छू कर मुझे यूं हादसा गुज़र गया।

*****

कथा नीलगढ़-सपनों को सहेजने की कथा

मैं अभी इन किस्सों के मध्य में हूँयह किताब जिया गया जीवन है इसे उसी तरह पढ़े जाने की जरूरत भी हैसर्रर्र से पढ़कर किताब खत्म की जा सकती है जीवन की आंच को तो धीमे-धीमे महसूस करना होता हैसो कर रही हूँयह किताब इन दिनों हर वक़्त साथ रहने लगी है...इन किस्सों से गुजरते हुए ज़ेहन में छाए असमंजस के बादल छंट रहे हैं...

*****

अलिखित रिश्ता (कहानीलघु कहानी

उसपर उसके उत्तर से वह हतप्रभ रह गया था, "आपको पता है कि आपकी लेखनी से निकले शब्दों को जबतक मैं अंतरतम में उतार नहीं लेतीतबतक मेरा सारा अध्ययन अधूरा लगता है। आपने नए शब्दों से मेरा परिचय कराया है। मैं साहित्य में रुचि नहीं रखती थीआपने रुचि जगा दी है। उस रुचि के अंकुर को आपने पोषण दिया है। आप इसतरह 'लेखनी का मौननहीं धारण कर सकते। आपको लिखना होगा...लिखते रहना होगा...जबतक मेरा लेखन परिपक्व नहीं हो जाता..."

*****

आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे अगले सोमवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर अंक। बेहतरीन रचनाओं से सुसज्जित।

    जवाब देंहटाएं
  2. पठनीय रचनाओं से सुसज्जित चर्चा मंच !

    जवाब देंहटाएं
  3. पठनीय रचनाओं से सुसज्जित चर्चा प्रस्तुति!
    आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर पठनीय रचनाओं से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक । बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बहुत आभार,हमारी रचना को स्थान देने के लिए आपका💐💐

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर पठनीय रचनाओं से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक । बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं। Free me Download krein: Mahadev Photo | महादेव फोटो

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।