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शुक्रवार, नवंबर 09, 2012

करलो अमृत पान, पिए रविकर विष खारा : चर्चा मंच 1058

"बहुत देर से अहसास हुआ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

ताकते-ताकते माहताब को शब ग़ुज़री है,

उसकी ज़ानिब़ से कोई हमको न पैग़ाम आया।

बुढ़ापा की उम्र क्या है?

ऋता शेखर मधु 

दीपावली

Madan Mohan Saxena

शुभ दीपावली !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
सकारात्मक पक्ष से, कभी नहीं हो पीर |

नकारात्मक छोड़िये, रखिये मन में धीर |
रखिये मन में धीर, जलधि-मन मंथन करके |
देह नहीं जल जाय, मिले घट अमृत भरके |

करलो प्यारे पान, पिए रविकर विष खारा |
हो जग का कल्याण, सही सिद्धांत सकारा ||

नवगीत की पाठशाला 

कविता की कविता : बिन डोर के....

रवीन्द्र प्रभात

निष्ठुर आशा का निर्णायक मोड़ होगा वो

वन्दना 

खनकते सिक्के

संगीता स्वरुप ( गीत )  

मनोरोगों की जद में आती दिखे है हमारी नाखून कुतरने की आदत

Virendra Kumar Sharma 

जोधपुर किला (मेहरानगढ दुर्ग) Jodhpur Fort, (Mehrangarh )

संदीप पवाँर (Jatdevta) 

एक कदम हौसले का ...!!!

सदा 
 SADA  

जिंदगी के दो रंग...

रश्मि  

संस्कारधानी जबलपुर के जाने माने वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार मोहन शशि जी और उनके परिजन आमरण अनशन पर बैठे ...

mahendra mishra  

श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (३८वीं कड़ी)

Kailash Sharma 
Neetu Singhal 
 NEET-NEET  

माँ की दुआ

आमिर दुबई 

निर्दोष दीक्षित 
अय्यासी में हैं रमे, रोम रोम में काम ।
बनी सियासी सोच अब, बने बिगड़ते नाम ।
बने बिगड़ते नाम, मातृ-भू  देती मेवा ।
मँझा माफिया रोज, भूमि का करे कलेवा ।
बेंच कोयला खनिक, बनिक बालू की राशी ।
काशी में क्यूँ मरे, स्वार्गिक जब अय्यासी  ।।

Bamulahija dot Com  

चिरकुट चच्चा चाहते, चमकाना व्यवसाय ।
क्लीन-चिटों की फैक्टरी, देते घरे लगाय ।
देते घरे लगाय, बेंचते सबको सस्ती ।
चित, पट देते लाभ, मार्केट बड़की बस्ती ।
ख़तम चोर माफिया, हुआ  व्यापारी सच्चा ।
लीडर बनता क्लीन, चिटों का चिरकुट चच्चा ।।

कश्तियों का कातिल

"अनंत" अरुन शर्मा 
 दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की )
कातिल क्या तिल तिल मरे, तमतमाय तुल जाय ।
हँस हठात हत्या  करे, रहे ऐंठ बल खाय ।
रहे ऐंठ बल खाय, नहीं अफ़सोस तनिक है ।
कहीं अगर पकड़ाय, डाक्टर लिखता सिक है ।
मिले जमानत ठीक, नहीं तो अन्दर हिल मिल ।
खा विरयानी मटन, मौज में पूरा कातिल ।।
 Amrita Tanmay

ताज़ी भाजी सी चमक, चढ़ा चटक सा रंग |
पटल पोपले क्यूँ हुवे, करे पीलिमा दंग |
करे पीलिमा दंग, सफेदी माँ-मूली की |
नाले रही नहाय, ठण्ड से पा-लक छीकी |
केमिकल लोचा देख, होय ना दादी राजी |
कविता-लेख कुँवार, करे क्या हाय पिताजी ??

37 टिप्‍पणियां:

  1. आज तो पर्याप्त लिंक्स दी हैं पढने के लिए |अच्छी चर्चा |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. हमेशा की तरह कुछ अलग ह्ट के
    रविकर के मनमोहक सूत्र
    मनमोहक अंदाज के साथ प्रस्तुति !

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर चर्चामंच...सुंदर लिंक संयोजन...आभार!!
    वंदना जी को बधाई और शुभकामनाएँ चर्चामंच से जुड़ने के लिए!

    जवाब देंहटाएं
  4. sundar charcha . kafi achchhe link mile... meri prastuti ko sthaan dene ke liye dil se abhari hun ...

    जवाब देंहटाएं
  5. काफी अच्छे लिंक्स आज आप लाये आदरणीय रविकर जी, बहुत बहुत आभार | एक जगह इतने सारे पठनीय लिंक्स उपलब्ध करने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही बढ़िया लिनक्स...... सुंदर चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  7. बुढ़ापा की उम्र क्या है?
    ऋता शेखर मधु
    मधुर गुंजन

    -तन के बुढ़ापे मे भी मन से अगर ऊर्जावान हैं और दिल से जवान है तो बुढ़ापे का असर नहीं |
    उम्र असर करे देह को, मन ऊर्जामय हो |
    दिल से जो जवान रहे, उसकी ही जय हो ||

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तन बूढा होता सदा, मन तो रहे जवान।
      जरा अगर मन हो गया, निकल जायेंगे प्राण।।

      हटाएं
  8. दीपावली
    Madan Mohan Saxena
    काब्य सरोबर

    -दीपों का त्योहार यह, दिल से मनाओ भाई ;
    जगमग हो संसार यूं, ये "दीप" दे बधाई |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तम को हरने आ गया, दीपों का त्यौहार।
      हँसते दीपक बाल दो, सदन-सदन के द्वार।।

      हटाएं
  9. शुभ दीपावली !
    पी.सी.गोदियाल "परचेत"
    अंधड़ !

    -दीपों का त्योहार यह, दीप से ही मनाओ;
    "ना" कहो पटाखों को, रोशन जहां कर जाओ |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अब धरती से मेट दो, अन्धकार का नाम।
      मन का दीपक बाल लो, करलो ये शुभकाम।।

      हटाएं
  10. बहुत ही उम्दा प्रस्तुति रविकर जी ! आपको और समस्त पारिवारिक जनो को भी मेरी और से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये !अन्य ब्लोगर मित्रों को भी मेरी हार्दिक शुभकामनाये इस पावन पर्व की ! गोपालदास नीरज जी की इन ख़ूबसूरत पंक्तियों संग कि ;
    जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना
    अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए ।

    नई ज्योति के धर नये पंख झिलमिल,
    उड़े मर्त्य मिट्टी गगन-स्वर्ग छू ले,
    लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी,
    निशा की गली में तिमिर राह भूले,
    खुले मुक्ति का वह किरण-द्वार जगमग,
    उषा जा न पाए, निशा आ ना पाए।

    जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना
    अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर लिंक संयोजन्………बढिया चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  12. रविकर सर सुन्दर ब्लोगों से सजा अनोखा चर्चामंच, मेरी रचना को अपने उम्दा दोहों के साथ स्थान व सम्मान दिया, आपका ह्रदय के अन्तः स्थल से आभार.

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर और बहुत बढिया, धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  14. दीपों की यह है कथा,जीवन में उजियार
    संघर्षो के पथ रहो, कभी न मानो हार,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  15. सुंदर लिंक्स..बहुत रोचक चर्चा..वन्दना जी का फ़िर से चर्चा मंच से जुडने पर स्वागत है...आभार

    जवाब देंहटाएं
  16. प्रियवर रविकर जी को समर्पित-
    छोटी सी है जिन्दगी, काहे का अभिमान।
    सुख-दुख दोनों में रहो, प्रतिपल एक समान।।
    --
    अमृत भी है सिन्धु में, क्यों करते विषपान।
    मानव हो मानव रहों, बनो न देव महान।।

    जवाब देंहटाएं
  17. नाखून कुतरने की आदत-
    कुण्ठाओं में आदमी, कुतर रहा नाखून।
    मन ही मन में रच रहा, नया एक मजमून।।

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत ही बढ़िया लिनक्स...... सुंदर चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत ही सुन्दर सूत्र सजाये हैं।

    जवाब देंहटाएं
  20. छायांकन के साथ दोस्त भाषा शैली में भी निखार आया है वर्तनियाँ भी परिशुद्ध होतीं गईं हैं कालान्तर में हालाकि मूलतया आप छायाकार हैं फिर भी बस खड़ा .चढ़ा ,आदि के नीचे बिंदी और जड़ दिया

    करें .आपकी टिप्पणियाँ हमारे लेखन को भी अनुप्राणित करती हैं बिंदास लिखते हो दोस्त जाट की तरह सब कुछ पारदर्शी .शुक्रिया .

    जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी .

    आप सुनिश्चित हैं आपकी कार वाकई खराब हुई थी .कई बार यह घटनाएं मानसी सृष्टि भी होती हैं .और फिर विश्वास भी अफवाह की तरह संक्रामक चीज़ है फैलता है कही सुनी के आधार पर .
    "वह फरिश्ता कौन था?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

    जवाब देंहटाएं

  21. जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी .

    आप सुनिश्चित हैं आपकी कार वाकई खराब हुई थी .कई बार यह घटनाएं मानसी सृष्टि भी होती हैं .और फिर विश्वास भी अफवाह की तरह संक्रामक चीज़ है फैलता है कही सुनी के आधार पर .
    "वह फरिश्ता कौन था?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

    जवाब देंहटाएं
  22. छायांकन के साथ दोस्त भाषा शैली में भी निखार आया है वर्तनियाँ भी परिशुद्ध होतीं गईं हैं कालान्तर में हालाकि मूलतया आप छायाकार हैं फिर भी बस खड़ा .चढ़ा ,आदि के नीचे बिंदी और जड़ दिया

    करें .आपकी टिप्पणियाँ हमारे लेखन को भी अनुप्राणित करती हैं बिंदास लिखते हो दोस्त जाट की तरह सब कुछ पारदर्शी .शुक्रिया .


    जोधपुर किला (मेहरानगढ दुर्ग) Jodhpur Fort, (Mehrangarh )
    संदीप पवाँर (Jatdevta)
    जाट देवता का सफर


    जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी .

    आप सुनिश्चित हैं आपकी कार वाकई खराब हुई थी .कई बार यह घटनाएं मानसी सृष्टि भी होती हैं .और फिर विश्वास भी अफवाह की तरह संक्रामक चीज़ है फैलता है कही सुनी के आधार पर

    जवाब देंहटाएं
  23. दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
    रोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,

    काबिले दाद है यारा तेरी गजल ,

    काबिले दाद लिखे हैं सबके सब अशआर तूने .

    बहुत बढ़िया गजल है भाई .

    कश्तियों का कातिल
    "अनंत" अरुन शर्मा
    दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की )
    कातिल क्या तिल तिल मरे, तमतमाय तुल जाय ।

    जवाब देंहटाएं
  24. दोस्त लगता है टिप्पणियाँ मंत्री मंडल के साथ कोंग्रेस पार्टी संवाद में पहुँच रहीं हैं सरकार की तरह टिप्पणियाँ भी फरीदाबाद कोंग्रेस विमर्श में पहुँच रही हैं .चेक करो यह घाल मेल ठीक नहीं है पार्टी और

    सरकार की तरह टिप्पणियों का .चर्चा मंच पे ही रहें टिप्पणियाँ .

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत अच्छी चर्चा पठनीय सूत्र बधाई आपको

    जवाब देंहटाएं
  26. बेहतरीन तंज बहु - रूपा भोगावती पर .

    इनक्रेडिबल और शाइनिंग इंडिया की कविता


    बेहतरीन तंज बहु - रूपा भोगावती पर .

    अब दिनकर की वह कामिनी कहाँ -


    सत्य ही रहता नहीं यह ध्यान ,

    तुम कविता कुसुम या कामिनी हो .

    अब तो शरीर का हर आयाम देता है ,

    खबर ,

    चुनिन्दा कृत्रिम अंगों को घूरता है कैमरा बे -धड़क .

    जवाब देंहटाएं
  27. एक किरण रौशनी की
    मेरी पलकों में समाई और
    चमकते हुए कह उठी मेरे रहते
    अंधकार कैसे संभव भला
    मैने झट से अपनी
    बंद पलको को खोला और
    उस चमकती हुई रौशनी का
    स्‍वागत किया
    जहां हर दृश्‍य मन के संशय का
    निराकरण करता नजर आया
    ......
    एक अनंत शक्ति हमारे मन में
    विश्‍वास के बीजों की
    पोटली रख छोड़ती है
    जिसे हम वक्‍त-बेवक्‍़त
    बो दते हैं संयम की धरा पर

    (पलकों को खोला , बो देते हैं )

    बहुत खूब रचना लिखी है सकारात्मक ऊर्जा संजोती हर पल .....हमें उन राहों पर चलना है जहां गिरना और संभलना है ,हम हैं वो दीये औरों के लिए जिन्हें तूफानों में पल ना है .

    एक कदम हौसले का ...!!!
    सदा
    SADA

    जवाब देंहटाएं

  28. बढ़िया है आज के हालात पर दोहे दोहे .

    सियासी दोहे
    निर्दोष दीक्षित
    मीठा भी गप्प,कड़वा भी गप्प

    जवाब देंहटाएं
  29. परहित सरस धर्म नहीं भाय ,बार बार कहे रविकर कवि राय

    करलो प्यारे पान, पिए रविकर विष खारा

    सकारात्मक पक्ष से, कभी नहीं हो पीर |
    नकारात्मक छोड़िये, रखिये मन में धीर |

    रखिये मन में धीर, जलधि-मन मंथन करके |
    देह नहीं जल जाय, मिले घट अमृत भरके |

    करलो प्यारे पान, पिए रविकर विष खारा |
    हो जग का कल्याण, सही सिद्धांत सकारा ||

    जवाब देंहटाएं
  30. नाम किरत करि नाम न होई । नाम धरन धरि नाम न सोई ।।
    भू भुवन भूरि भूति भलाई । करित करम करि जस तस पाई ।।

    " मनुष्य की ईश्वर से तुलना नाम से नहीं अपितु कर्म से की जाती हैं....."

    बहुत सुन्दर मनोहर अर्थ पूर्ण प्रस्तुति .

    जवाब देंहटाएं
  31. बहुत अच्‍छी चर्चा...मेरी कवि‍ता शामि‍ल करने के लि‍ए आपका आभार व धन्‍यवाद..

    जवाब देंहटाएं
  32. विद्यमान परिस्थिति में राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री से लेकर भृत, दैनिक वेतन भोगी तक
    सभी स्वयं के सदाचारी होने का दंभ भरते है, इसका आशय तो ये हुवा की भारत में
    भ्रष्टाचार है ही नहीं । अब इसे राष्ट्र प्रमुख या तो सार्वजनिक रूप से स्वीकार करे
    ( कि भारत भ्रष्टाचार मुक्त है ) अथवा आत्म समर्पण करें.....

    जवाब देंहटाएं

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