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बुधवार, दिसंबर 04, 2019

"आप अच्छा-बुरा कर्म तो जान लो" (चर्चा अंक-3539)

मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक। 
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 
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अब हिन्दी-आभा*भारत पर  
Ravindra Singh Yadav जी की यह पोस्ट देखिए- 
इश्क़ की दुनिया में .... 
मेरी फ़ोटो
आँख हो जाती है जुबां हाल-ए-दिल सुनाने को
क़ुर्बान होती है शमा जलकर रौशनी फैलाने को
चराग़ जलते हैं आंधी में 
आग लग जाती है पानी में... 
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गूँगी गुड़िया पर अनीता सैनी  जी की 
साहित्यिक शब्दों के साथ निम्न लिखित रचना 
आप सबके अवलोकनार्थ- 

कादम्बिनी कद कविता का
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मंथन पर Meena Bhardwaj जी  
संयोग और वियोग को  
नियति का खेल बताते हुए लिखती हैं- 

"नियति"
... जब उससे …  नजरें मिलती है , मेरी भी.. तुम्हारी भी ।  तो , तार जुड़ते हैं , मन के ..मन से.. आ जाती है । कुशल-क्षेम .. मिलना ना मिलना , तो बस… नियति की बात है । --
sapne(सपने) पर shashi purwar जी ने  
जोगिनी गन्ध के हाइकु पोस्ट किये हैं- 

"जोगिनी गंध" के हाइकु
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Rohitas Ghorela जी ने  
इतिहास की विसंगतियों की ओर  
ध्यान आकर्षित किया है-  
इतिहास किसी का पुख़्ता नहीं है
चंद दिनांकों व नामों के अलावा
सारे आंकड़े बेबुनियाद है
अलग- अलग किताबों में... 
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तिरछी नज़र पर गोपेश मोहन जैसवाल जी ने  
दुर्दान्त घटना पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा है- 
सिर्फ़ रोएँ और कोसें कि कुछ करें भी?
हैदराबाद में प्रियंका रेड्डी के साथ जो हुआ, वह किसी और लड़की के साथ न हो, इसके लिए सरकार की, पुलिस की, प्रशासन की और समाज की क्या रण-नीति है? ब्लेम-गेम तो अब तक बहुत खेला जा चुका है पर इस क्षेत्र में ठोस क़दम, क्या-क्या उठाए गए हैं? किसी भी क्षेत्र के आवारा और बदनाम लोगों की गतिविधियों पर नज़र बनाए रखने के लिए स्थानीय पुलिस क्या-क्या उपाय करती है? सचल-पुलिस दल अँधेरा होने पर कहाँ-कहाँ और कब-कब गश्त लगाते हैं? किसी लड़की के लापता होने की सूचना मिलने पर या उसके साथ किसी हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस कितने समय में कार्रवाही करती है? अपेक्षाकृत सुनसान इलाक़ों में सुरक्षा के क्या-क्या प्रबंध किए गए हैं? सी. सी. टीवी की कहाँ-कहाँ व्यवस्था है और वो कहाँ-कहाँ चालू हालत में हैंइन सवालों के संतोष-जनक जवाब कोई नहीं दे सकता क्योंकि इस दिशा में कोई सार्थक और ठोस क़दम कभी उठाया ही नहीं गया है... 
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नन्ही कोपल पर कोपल कोकास जी को हार्दिक बधाई- 
हमारा घर बारह साल का हो गया 
आज हमारे घर की बारहवीं सालगिरह है देखते देखते इतना वक़्त बीत गया । एक इमारत बनने से लेकर यहां इस घर में रमने जमने में । ऐसा लगता है जैसे यह कल की बात है हम इस घर में रहने आये हैं । याद आते हैं वे सभी दिन जब यह मकान बन रहा है इसमें लगी सभी लोगों की मेहनत , समय रोज देखने की इच्छा अब यह हो गया यह बाकी है । धीरे धीरे 2 साल में यह मकान बनकर तैयार हो गया और 2 दिसम्बर 2007 को हमने इस घर में प्रवेश किया । उसके बाद से यही रहने लगे... 
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Akanksha  पर  
Asha Lata Saxena जी की पोस्ट देखिए- 
सत्य अनुरागी 
मिलते हज़ारों में 
दो चार अनुयायी सत्य के 
सत्यप्रेमी यदा कदा ही मिल पाते 
वे पीछे मुड़ कर नहीं देखते !
सदाचरण में होते लिप्त 
सद्गुणियों से शिक्षा ले 
उनका ही अनुसरण करते 
होते प्रशंसा के पात्र... 
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ठहराव पर लोकेश नदीश जी 
ख्वाब के बारे में लिखते हैं- 
परिन्दे ख़्वाब के 
न जाने हाथ में कैसे हसीं खज़ाने लगे
खिज़ां के रोजो-शब भी आजकल सुहाने लगे
तेरी यादों की दुल्हन सज गई है यूँ दिल में
किसी बारात में खुशियों के शामियाने लगे... 
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अनकहे किस्से पर Amit Mishra 'मौन' जी  
स्वप्न की हकीकत को उजागर करते हुए कहते हैं- 
स्वप्न या हकीकत 
नींद एक दैनिक क्रिया है और स्वप्न उसका परिणाम। अगर हमने कोई स्वप्न देखा है तो इसका सीधा अर्थ ये है कि हम निद्रा लोक में अवश्य गए थे। स्वप्न हमारी सोच से जन्म लेते हैं। जो हम दिन भर में सोचते हैं स्वप्न उन्हें दृश्य के रूप में हमारे सामने प्रस्तुत कर देते हैं। हम अक्सर कई सपने देखते हैं पर उनका मतलब नही समझ पाते। बीते दिनों मैंने भी कई स्वप्न देखे जिनका मतलब मुझे समझ नही आया पर जब मैंने उनको अपने मस्तिष्क में चलती दिन भर की उथल पुथल और सोच से जोड़ कर देखा तो मुझे कुछ सपनों की सच्चाई समझ में आई। उनमें से कुछ स्वप्न या यूँ कहें दृश्य इस प्रकार थे:- 
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मेरी नज़र से पर Kamini Sinha  जी को 
चर्चा मंच परिवार की ओर से 
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ- 
ब्लॉग का एक साल - 
" एक यादगार सफर " 
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मन पाए विश्राम जहाँ पर Anita  जी की 
यह पोस्ट भी विचारणीय है- 

मन से अमन तक 

हर श्वास वर्तमान में घटती है 
हर वचन वर्तमान में बोला जाता है 
हर भाव वर्तमान में जगता है 
हर फूल वर्तमान में खिलता है 
हर भूख वर्तमान में लगती है 
हर गलती वर्तमान में ही हो रही होती है 
सब कुछ घटा है और घट रहा है वर्तमान में 
तो मन क्यों नहीं रहता वर्तमान में...  
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देश में हुई शर्मनाक घटना पर भारतीय नारी पर  
Shalini kaushik जी लिखती हैं- 
क्या वाकई निर्भया?
जो दिखाई देता है, हम सभी जानते हैं कि वह हमेशा सत्य नहीं होता है किन्तु फिर भी हम कुछ ऐसी मिट्टी के बने हुए हैं  कि तथ्यों की जांच परख किए बगैर दिखाए जा रहे परिदृश्य पर ही यकीन करते हैं और इसका फायदा भले ही कोई भी उठाता हो लेकिन हम अपनी भावुकतावश नुकसान में ही रहते हैं. 
अभी दो दिन पहले ही तेलंगाना में एक पशु चिकित्सक डॉ प्रियंका रेड्डी की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गयी और हत्या भी ऐसे कि लाश को इस बुरी तरह जला दिया गया कि उसकी पहचान का आधार बना एक अधजला स्कार्फ और गले में पड़ा हुआ गोल्ड पैंडैंट और मच गया चारों ओर कोहराम महिला के साथ निर्दयता का, सोशल मीडिया पर भरमार छा गई #kabtaknirbhaya की, सही भी है नारी क्या यही सब कुछ सहने को बनी हुई है, क्या वास्तव में उसका इस दुनिया में कुछ भी करना इतना मुश्किल है कि वह अगर घर से बाहर कहीं किसी मुश्किल में पड़ गई तो अपनी इज्ज़त, जिंदगी सब गंवाकर ही रहेगी, आज की परिस्थितियों में तो यही कहा जा सकता है किन्तु अगर बाद में सच कुछ और निकलता है तब हम सोशल मीडिया पर क्या लिखेंगे? सोचिए.
          स्टार भारत पर प्रसारित किए जा रहे सावधान इंडिया में दिखाए गए एक सच ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया और उनकी दिखाई गई एक सत्य घटना के बारे में सर्च की और थोड़ी मशक्कत के बाद मुझे वह घटना इस तरह प्राप्त भी हो गई, जिसे आप सब भी पढ़ सकते हैं - 
--
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी जी  

इतने दिन भी
नहीं हुऐ हैं

कि
याद ना आयें
खरोंचें
लगी हुई
सोच पर... 
नहीं हुऐ हैं
कियाद ना आयेंखरोंचेंलगी हुईसोच पर... 

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लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम जी की क्षणिकाओं में  
 ये प्रश्न देखिए- 
640.  
कुछ सवाल
1.   
कुछ सवाल ठहर जाते हैं मन में 
माकूल जवाब मालूम है 
मगर कहने की हिमाकत नहीं होती 
कुछ सवालों को 
सवाल ही रहने देना उचित है 
जवाब आँधियाँ बन सकती हैं... 
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अन्त में देखिए Science Bloggers' Association पर  
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11 टिप्‍पणियां:


  1. मीत बेशक बनाओ बहुत से मगर,
    मित्रता में शराफत की आदत रहे।
    स्वार्थ आये नहीं रास्ते में कहीं,
    नेक-नीयत हमेशा सलामत रहे।।

    बहुत सुंदर ज्ञानोपदेश ...

    सच्ची मित्रता में निश्छलता एवं निःस्वार्थता होनी चाहिए। यह मित्र ही होता है जिसे हम वह भेद भी बता देते हैं, जो अन्य किसी से नहीं कह पाते हैं।
    सच्ची मित्रता में वैद्य की सी निपुणता और परख होनी चाहिए , ताकि दुःख में वह हमारे दुर्बल हृदय का उपचार करे, न कि तिरस्कार कर पलायन कर जाए।
    और एक बात मित्र होने के लिए स्वभाव, जीवन लक्ष्य और व्यवहार में समानता भी आवश्यक है।
    जब कभी प्रकाश स्तंभ ( वैभव से उत्पन्न उन्माद ) का प्रकाश हमारे कर्मपथ पर न पड़ कर हमारी आँखों पर पड़ने लगे,तो उस प्रकाश को जो बुझा दे,वही हमारा सबसे हितैषी मित्र है।
    ऐसी मित्रता में स्वार्थ नहीं सदैव सच्चाई एवं ईमानदारी होती है।
    यह भी सदैव स्मरण रहे कि मित्र ही सबसे बड़ा शत्रु भी बन सकता है।

    सदैव की तरह विविध विषयों से हृदय को लुभाने वाली रचनाओं से सजा मंच और ज्ञानवर्धक आपके ये दोहे...
    आपसभी को नमन..।

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  2. ज्ञानवर्धक दोहों के साथ खूबसूरत सूत्रों से सजा मंच । दिन भर पढ़ने के लिए बेहतरीन ब्लॉगस् के लिंक्स । मंच पर मुझे स्थान देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय ।

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  3. .. सुप्रभात आज वाकई में बहुत अच्छे अच्छे लिंक्स पढ़ने को मिल रहे हैं, शालिनी कौशिक जी की #क्या वाकई मेनिर्भया पढ़कर मन बहुत विचलित हो गया इस घटना के प्रति जो एक-एक पंक्तियां हम महसूस कर रहे हैं उन्हीं सबको उन्होंने अपने इस लेख में लिखा है वाकई में यह दर्दनाक घटना जेहन से शायद ही कभी जा पाएगी आपके द्वारा प्रस्तुत किए गए दोहे भी लाजवाब है,
    अनीता मिश्रा जी की #स्वप्न या हकीकत यह भी बहुत अच्छी है,..
    सारे लिंक्स रोचक हैं अभी तो पढ़ना शुरू किया है इतने अच्छे लिंक्स का संयोजन तैयार करने के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई

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  4. आज के लाजवाब अंक में जगह देने के लिये आभार आदरणीय।

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  5. सुप्रभात
    उम्दा पठनीय लिंक्स से सजा आज का चर्चा मंच |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  6. संग्रहणीय अंक, सुंदर प्रस्तुति, मेरी भावनाओं को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर प्रस्तुति, आज के लाजवाब अंक में जगह देने के लिये हार्दिक आभार आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर चर्चा , चर्चा मंच मेरा पसंदीदा मंच है , हमारी लिंक जो स्थान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद

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  9. बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय सर. आपका रचनाओं को चुनने का कौशल सबको प्रभावित करता है.
    आज की प्रस्तुति में बहुत बेहतरीन सूत्रों का संकलन है. सभी रचनाकारों को बधाई.
    मेरी रचना को मान देने के लिये बहुत-बहुत आभार आदरणीय सर.

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  10. आदरणीय सर ,सादर नमन ,सबसे पहले आप को हृदयतल से धन्यवाद जो आपने मेरी खुशियों को सभी आदरणीय रचनाकारों के साथ साझाकर मेरी ख़ुशी को सम्मान दिया। मैं आप सभी की दिल से आभारी हूँ। आपने आज की सभी रचनाएँ दिल से संजोया हैं ,और आपकी सीख देती रचना तो लाजबाब हैं ,सभी रचनाकारों को ढेरों शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार

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  11. बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री जी द्वारा।

    आज की प्रस्तुति में विभिन्न विषयों को समाहित करते हुए अनेक प्रकार की सुंदर रचनाएँ चर्चा में सम्मिलित हुईं हैं।

    सभी चयनित रचनाकारों को

    बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    मेरी रचना को चर्चा मंच जैसे प्रतिष्ठित पटल पर स्थान देने के लिये सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी।

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