शीर्षक पंक्ति: पी.सी.गोदियाल "परचेत" जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है
विपिन चौधरी जी ने टीस पर कहा है-
उखडती है टीस
तो दर्द देती है
दबी रहती है
तो कहीं ज्यादा दुख देती है-
टीस अर्थात कसक, हृदय की चुभन, मलाल आदि।
जीवन में अनेक बार हमें अपने अतीत के कृत्य के चलते यह एहसास होता है कि
उस वक़्त ऐसा किया होता तो शायद ऐसा ख़राब परिणाम नहीं आता
या उसका हृदय श्यामल भयावह वेदना से नहीं भरता।ऐसी अनुभूति हमें टीस के अनुभव से
भरती है और
आत्मग्लानि के लंबे दौर में उर में अनेकानेक मनोविकार स्थान पा जाते हैं।
टीस से उबरने में रचनात्मक विचार अहम भूमिका निभाते हैं।
पवित्र विचारों की मख़मली बयार मन हल्का करती हैऔर टीस को उसका मार्ग बताती है।
असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद
उम्दा प्रस्तुति
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति अनीता जी सभी रचनाकारों को बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच में मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार आदरणीया
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी 🌹 सादर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं से सजा सुन्दर संकलन । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।श्रमसाध्य सुन्दर संकलन में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदयतल से आभार ।
जवाब देंहटाएंउत्तम लिंकों के साथ चर्चा की बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी दीप्ति जी।
अनिता आपकी श्रमसाध्य खोज ने शानदार लिकों का सुंदर गुलदस्ता सजाया है जो मोहक है आनंदित करने वाला है उस में मेरी रचना को लेने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंसस्नेह।
सभी रचनाकारों को बधाई।
अनीता सैनी जी,
जवाब देंहटाएंमेरे नवगीत को आपने चर्चा मंच में स्थान दिया है, यह मेरे लिए अत्यंत सुखद है।
आपका हार्दिक आभार एवं हार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
बेहतरीन लिंक्स संजो कर मंच पर उपलब्ध कराने के लिए आपको हार्दिक साधुवाद 🙏🌹🙏
जवाब देंहटाएंआभार आपका 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति । सभी को बधाई
जवाब देंहटाएंप्रिय अनीता सैनी जी,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति है हमेशा की तरह... मेरी पोस्ट को आपने इसमें शामिल किया यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है।
हार्दिक आभार
एवं
अनंत शुभकामनाओं सहित
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह