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Saturday, January 23, 2021

'टीस'(चर्चा अंक- 3955)

शीर्षक पंक्ति: पी.सी.गोदियाल "परचेत" जी की रचना से। 


सादर अभिवादन। 

शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है


विपिन चौधरी जी ने टीस पर कहा है-


उखडती है टीस

तो दर्द देती है

दबी रहती है

तो कहीं ज्यादा दुख देती है-


टीस अर्थात कसक, हृदय की चुभन, मलाल आदि।
जीवन में अनेक बार हमें अपने अतीत के कृत्य के चलते यह एहसास होता है कि 
उस वक़्त ऐसा किया होता तो शायद ऐसा ख़राब परिणाम नहीं आता
 या उसका हृदय श्यामल भयावह वेदना से नहीं भरता।ऐसी अनुभूति हमें टीस के अनुभव से 
भरती है और 
आत्मग्लानि के लंबे दौर में उर में अनेकानेक मनोविकार स्थान पा जाते हैं।
टीस से उबरने में रचनात्मक विचार अहम भूमिका निभाते हैं।
पवित्र विचारों की मख़मली बयार मन हल्का करती हैऔर टीस को उसका मार्ग बताती है।


आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ- 
--

गीत ''मकर का सूरज''

हाथ ठिठुरे-पाँव ठिठुरेकाँपता आँगन-सदन,

कोट,चस्टर और कम्बल से ढके सबके बदन,

आग का गोला शरद में पस्त सा  पड़ने लगा।

चल रहीं शीतल हवाएँधुँधलका बढ़ने लगा।।

--

टीस..

बीच तुम्हारे-हमारे ये रिश्ते, 

यूं न इसतरह नासाज़ होते, 

फक़त,इसकदर दूरियों मे 

सिमटे हुए न हम आज़ होते,

--

दिल ❤️ ♥️ 💜💓💕💗💘❣️🥰💟💘💏 

इतनी धौंस जमाती है

कि किसी से बात करूँ 

तो रूठ जाती है 


झट से बुरा मान जाती है

बात-बात पे चिढ़ाती है

--

रात का सौंदर्य

झांझर है झनकी 

मन भी बहका 

बागों में कैसा 

सौरभ महका 

चहुं दिशा पसरे 

उर्मि भरे घट।।

--

"सागर की व्यथा"

सोने की थाली सा सूरज ।

तल की ओर सरकता है ।।

कुंकुम तेरे अंचल में घोल ।

देखो तो फिर दिन ढलता है ।।

--

प्रेम की पाती
माझे कोर से बाँधे–
संक्रांति काल
--

मन में घाव उकेरे |

डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत संग्रह | आंसू बूंद चुए

नागफनी-सा
दर्द उभर कर

मन में घाव उकेरे
भरी दुपहरी
घिर-घिर आए
पलकों तले अंधेरे

--

निशा का एक पहर अभी बाकी है...

गतिमान पथिक
हम दोनों
और प्रभाकर का 
तेज... प्रबल 
शिकन धुले 
कुछ थकान लिए
अविरल,अविचल,अथक,सबल ।
--

जीवन की अनजान डगर, क्या सफ़र इसी को कहते हैं !

बोझिल सांसें, थके पांव से चलना है ठहराव नहीं 


दुनिया अलग बसाने वालो, दुनिया का मतलब समझो !

दुनिया ऐसी हो, जिसमें हो भेदभाव, अलगाव नहीं 

--

वो कली मासूम सी

छूटता घर आँगना अब
नयन से नदियाँ बहीं फिर
हाथ में गुड़िया लिए वह
बंधनों से अब गई घिर
आज नन्हें पग दिखाएँ
घाव सा छिपता महावर।।
--
तुम जरूर आये हो कलकत्ता
देखा है इस शहर को रात के जीर्ण आलोक में
पहने हुए सिर्फ नीली चादर
लाल दीवारों और हरी खिड़कियों के पीछे का असीम अबोला पाट    
दादूरों का हठ
और तुम्हारे सफ़ेद कुरते पर बारिश का कशीदा
--
खालीपन क्या होता हैं?
ये किसी बूढ़ी मां से पूछो जो अपने बच्चों से मिलने की
आस लगाए दरवाज़े पर बैठे रास्ता निहारती रहती हैं
सोचती है क्या ये वही बच्चे हैं ?
जो हर वक्त मेरा पल्लू पकड़े
 मेरे आगे पीछे मां मां बोले घूमते रहते थे 
मैं एक एक निवाला लेकर उन्ही के
 आगे पीछे दौड़ा करती थी
--
शब्दों में पिरोए गए महत्वपूर्ण तथ्यों के अतिरिक्त जो बात इस पुस्तक को विशिष्ट एवम् संग्रहणीय बनाती हैवह है उस बीत चुके स्वर्णिम युग की दुर्लभ तसवीरें । जो श्वेत-श्याम चित्र लेखक ने अपने अनथक परिश्रम से जुटाए हैं, उन्होंने इस किताब को केवल ओ.पी. नैय्यर की संगीत-यात्रा के ही नहींवरन हिंदी फ़िल्मों के इतिहास के एक अहम दस्तावेज़ में बदल डाला है । ओ.पी. नैय्यर के साथ-साथ विभिन्न गायक-गायिकाओंगीतकारोंसंगीतकारों और फ़िल्म-जगत के स्वनामधन्य लोगों की छवियां दर्शाते ये चित्र सच्चे संगीत-प्रेमियों के लिए उस युग का झरोखा हैं जब गीत-संगीत केवल एक व्यवसाय-मात्र न होकर एक साधना हुआ करता था 
--
आज का सफ़र यहीं तक 
फिर फिलेंगे 
आगामी अंक में 


-अनीता सैनी 'दीप्ति' 

12 comments:

  1. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद
    उम्दा प्रस्तुति

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति अनीता जी सभी रचनाकारों को बहुत बधाई।
    चर्चा मंच में मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार आदरणीया

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  3. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी 🌹 सादर

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  4. बेहतरीन रचनाओं से सजा सुन्दर संकलन । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।श्रमसाध्य सुन्दर संकलन में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदयतल से आभार ।

    ReplyDelete
  5. उत्तम लिंकों के साथ चर्चा की बेहतरीन प्रस्तुति।
    आपका आभार अनीता सैनी दीप्ति जी।

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  6. अनिता आपकी श्रमसाध्य खोज ने शानदार लिकों का सुंदर गुलदस्ता सजाया है जो मोहक है आनंदित करने वाला है उस में मेरी रचना को लेने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
    सस्नेह।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

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  7. अनीता सैनी जी,
    मेरे नवगीत को आपने चर्चा मंच में स्थान दिया है, यह मेरे लिए अत्यंत सुखद है।
    आपका हार्दिक आभार एवं हार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
    - डॉ शरद सिंह

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  8. बेहतरीन लिंक्स संजो कर मंच पर उपलब्ध कराने के लिए आपको हार्दिक साधुवाद 🙏🌹🙏

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  9. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

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  10. बेहतरीन प्रस्तुति । सभी को बधाई

    ReplyDelete
  11. प्रिय अनीता सैनी जी,
    बहुत अच्छी प्रस्तुति है हमेशा की तरह... मेरी पोस्ट को आपने इसमें शामिल किया यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है।
    हार्दिक आभार
    एवं
    अनंत शुभकामनाओं सहित
    सस्नेह,
    डॉ. वर्षा सिंह

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