आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
गणतन्त्र दिवस पर दिल्ली में जो हुआ वह बेहद दुखद है| किसान आन्दोलन के लिए यह चौरी-चौरा की घटना जैसा हो गया है| चौरी-चौरा की हिंसा के बाद असहयोग आन्दोलन वापस लिया गया| लाल किले की घटना के बाद भले किसान आन्दोलन वापस न हो, मगर यह कमजोर अवश्य पड़ जाएगा| बात-बात में भगतसिंह का जिक्र करनेवाले और गांधी को आज़ादी का श्रेय न देने वाले पंजाब के लोग जिस तरह गांधीवाद को अपनाए हुए थे, वह काबिले-तारीफ था, लेकिन एक गुट की बगावत ( जिसे पहले भी कभी स्टेज पर नहीं चढने दिया गया था ) ने इसको जबरदस्त झटका दिया| यहाँ यह दुखद है, वहीं एक चिंताजनक पहलू यह भी सामने आया कि देश का लाल किला सुरक्षित नहीं| यदि आज कुछ हजार लोग ( लाखों की भीड़ इस गुट के साथ नहीं थी ) लाल किले पर झंडा लहरा सकते हैं, तो कल को कोई और भी यह दुस्साहस कर सकता है| लाल किले की सुरक्षा, वो भी गणतन्त्र दिवस और एक आन्दोलन के दौरान, अगर नहीं की जा सकती तो इसके पीछे दोष किसका है?
चलते हैं चर्चा की ओर
टिप्पणी और पसन्द
भीड़ को तो बस इशारा चाहिए
सार्थक भूमिका के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार दिलबाग सर जी।
आदरणीय दिलबागसिंह विर्क जी,
जवाब देंहटाएंजिस तरह बेहतरीन लिंक्स का बेहतरीन संयोजन किया है आपने, वह प्रशंसनीय है।
मुझे प्रसन्नता है कि आपने मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल किया है।
हार्दिक आभार
एवं
अनंत शुभकामनाएं 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका और उम्दा लिंक्स का चयन, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय भूमिका के साथ बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
सुप्रभात उम्दा सजा अंक आज का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
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