सादर अभिवादन !
शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी विज्ञजनों का चर्चा मंच पर हार्दिक स्वागत !
15 जनवरी 1949 को के. एम .करियप्पा भारतीय थल सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ बने। तब से 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सेना दिवस के अवसर पर सेना में कार्यरत समस्त सैन्यकर्मियों को सैल्यूट करते हुए आज की चर्चा
का आरम्भ मेरी एक रचना से -
हिम किरीट के रक्षक तुम,तुम में है शक्ति अपार
तुम से रक्षित गौरव राष्ट्र का, तुम्हें वन्दन बारम्बार
हे मातृभूमि के रक्षक तुम्हें प्रणाम !
उतंग गिरि ,बर्फीली राहें, तुम सरहद के पहरेदार
नीरव मरुथल,निर्जन कानन,तुम नैया खेवनहार
हे भारतवर्ष के रक्षक तुम्हें प्रणाम !
"मीना भारद्वाज"
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आइए अब बढ़ते हैं आज के चयनित सूत्र की ओर -
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दोहे- उल्लास का उत्तरायणी पर्व (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सूर्य रश्मियाँ आ गयीं, खिली गुनगुनी धूप।
शस्य-श्यामला भूमि का, निखरेगा अब रूप।।
भुवनभास्कर भी नहीं, लेगा अब अवकाश।
कुहरा सारा छँट गया, चमका भानुप्रकाश।।
आयेंगे अच्छे दिवस, जाड़े का बस अन्त।
धीरे-धीरे चमन में, सजने लगा बसन्त।।
***
सूरज की पहली किरण
चुपके से घुसती है
खिड़की के रास्ते कमरे में,
देखती है, सोई हुई है वह,
मासूमियत छाई है उसके चेहरे पर.
***
झर-झर बरस रहा है बादल
भर ले कोई खोले आँचल,
सिक्त हुआ आलम जब सारा
क्यों प्यासा है मन यह पागल !
सर-सर बहता पवन सुहाना
जैसे गाये मधुर तराना,
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आटे के ठोस
और तिली के मुलायम लड्डू
मीठी नीम के तड़के से
लाल मिर्च
और शक्कर भुरका नमकीन
हींग,मैथी,राई से बघरा मठा
और नये चांवल की खिचड़ी
***
देख रहा है सारा आलम
खेतों में सरसों फूली है
वो देखो ओस से भीगे शजर की शाख़ पर
नन्ही चिड़िया झूली है
न परेड की चिंता न समिति की फ़िक्र
असहमत हो गई सत्ता से आज गाजर-मूली है
***
मृत नदी के दोनों तट पर खड़े हैं
निशाचर, सुदूर बांस वन में
अग्नि रेखा सुलगती सी,
कोई नहीं रखता
यहाँ दीवार
पार की
ख़बर,
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एक ताज़ा ग़ज़ल- नया शेर सुनाता हूँ कहाँ
अपने बच्चों से कभी सच को बताता हूँ कहाँ
इसलिए ख़्वाब में परियाँ हैं मैं आता हूँ कहाँ
हर किसी दौर में,तू मीर के दीवान में है
तुझको पढ़ता हूँ नया शेर सुनाता हूँ कहाँ
मेरी आँखें हैं मेरी नींद भी सपना भी मेरा
मैं सियासत की तरह ख़्वाब दिखाता हूँ कहाँ
***
बर्ड फ्लू : मुसीबत में हैं हमारे नन्हें साथी
कोरोना वैक्सीन की ख़ुशख़बरी ने तनिक राहत दी थी कि बर्ड फ्लू की आपदा ने दस्तक दे दी। राज्य-दर-राज्य इसकी चपेट में आते जा रहे हैं। यद्यपि सावधानी रखने पर यह मनुष्यों के लिए प्रत्यक्षतः संकट उत्पन्न करने वाली आपदा नहीं है लेकिन आर्थिक और पर्यावरण के लिए यह ज़रूर मुसीबतें खड़ी कर रही है। आखिर पक्षी मात्र पक्षी नहीं, हमारे नन्हें साथी हैं और आज उन्हें बर्ड फ्लू के संकट ने आ घेरा है।
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जिधर देखो यही कहा जाता
कुछ भी तो आता नहीं
कैसे घर चला पाएगी
किस किसके मुंह पर ताला लगाती |
पर वह हारी नहीं
धीरे से कब कुशल गृहणी में बदली
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छीन हाथों से किताबें
आज भी करते विदाई।
पीर बेटी जब सुनाती
रीति की देते दुहाई ।
चीखकर कहती कलम यह
पीर कब समझे जमाना।
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होने लगे बड़े दिन लगने लगी सुहानी धूप,
कर सोलह श्रृंगार ओस से खिला धरा का रूप,
सूर्यनरायण हुए मुग्ध, लख कर वसुधा का मुखड़ा,
सात अश्व के रथ को लेकर उतरे नभ से भूप !
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आज का सफर यहीं तक…
फिर मिलेंगें 🙏🙏
"मीना भारद्वाज"
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उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंआदरणीया मीना जी आपका हृदय से शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
सभी पाठकों को मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बेहतरीन लिंक्स, बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति।मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार मीना जी।
जवाब देंहटाएंमीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंमेरे लेख को चर्चामंच में शामिल के लिए हार्दिक धन्यवाद !
यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है।
आपका बहुत-बहुत आभार!!!
- डॉ. शरद सिंह
सभी लिंक्स उम्दा हैं... बेहतरीन हैं 👌🙏🌹
जवाब देंहटाएंप्रभावी भूमिका औऱ बहुत अच्छी रचना के साथ
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सूत्र संयोजन
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर
भारत के वीर सैनिकों के लिए लिखी सुंदर रचना की भूमिका से सजा चर्चा मंच का आज का अंक पठनीय विविधतापूर्ण रचनाओं के सूत्र समेटे है, आभार !
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंसादर।
Thanks for the post here
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों का चयन आज की चर्चा में ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी ! सप्रेम वन्दे ! सभी पाठकों को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ''गोष्ठी'' रही ! आभार
जवाब देंहटाएंभारत के वीर सपूतों के सम्मान में बहुत ही सुंदर सृजन मीना जी,देश के वीर सपूतों को सत सत नमन,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा अंक, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
बहुत सुन्दर चर्चा.मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद.
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