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मंगलवार, जनवरी 19, 2021

"जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि"(चर्चा अंक-3951)

सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 


(शीर्षक आदरणीया अनीता जी की रचना से )

"जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि"बहुत ही सुंदर बात कही है आ. अनीता जी ने 
"हमारा मन जैसा होगा हमारी दृष्टि वैसी ही होगी 
और हमारी दृष्टि जैसी होगी हमारी सृष्टि भी वैसी ही होगी 
"सृष्टि "यानि हमारे आस-पास का वातावरण 
अर्थात हमारा परिवार ,हमारा समाज,हमारा देश,
हमारी प्रकृति और हम "
एक बार खुद की "दृष्टि" का मंथन करते हुए चलते हैं आज की रचनाओं की ओर.....
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"नया गीत आया है, माथा चकराया है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक)

छाँव वही धूप वही,
दुल्हिन का रूप वही,
उपवन मुस्काया है। 
नया-गीत आया है।। 
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 जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि

जिस सृष्टि का निर्माण हमने ही किया है, हम उसे ही न जानें

 और उससे ही प्रभावित हो जाएं, यह आश्चर्य की बात नहीं तो और क्या है !

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चिन्तन

जो सदैव

नीम का दातुन

उपयोग करते हैं

उनपर विष का

असर नहीं होता है

–फिर क्यों स्वभाव विषैला हो गया

अक्सर सोचती गुम रहती हूँ..

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दास नहीं हो सकता उदास ...
दुर्योधन ने श्री कृष्ण की 

पूरी नारायणी सेना मांग ली

और अर्जुन ने  

केवल श्री कृष्ण को मांगा ।

उस समय...

भगवान श्री कृष्ण ने 

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सिफ़ारिश
माना बंदिशे हज़ारों हैं दिल की राहों में l
 कुछ और नहीं तो खाब्बों में आ जाया करो ll 
ख्यालों की गुलाबी घटाओं में रंग जाओ ऐसे l
 संदेशों में मचल रहा हो कोई नादान समंदर जैसे ll 
शहद सी मिठास घुली धुन बन उतर आओ ऐसे l
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धड़के सिर्फ मेरी रूह की आरज़ू बन जायअंदर का मिठास - -
धूप का उत्तरीय उतरने में,
ज़रा भी समय नहीं
लगता, जो
आँधियों
में

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ज़िन्दगी भी रेत सी फिसल गई ...

पीठ तेरी नज्र से जो जल गई.

ज़िन्दगी तब से ही हमको छल गई.

 

रौशनी आई सुबह ने कह दिया,

कुफ्र की जो रात थी वो ढल गई.


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बोती हूँ नित रातों को

कोमल तन है निश्छल मन है

सहती जग की बातों को

पग-पग पर दी अग्निपरीक्षा

झेल झेल आघातों को।

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“बक अप ! स्वीटू ! पिक द बॉल”
हिरन से भी तेज़ दौड़ने वाला हमारा प्यारा पपी
 स्वीटू आज निढाल पड़ा था ! कल सड़क पर एक लापरवाह स्कूटी वाले ने उसे ज़ोर से टक्कर मार दी और उसके पिछले पैर पर गाड़ी चढ़ा दी ! 

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प्यार का दीपदान | ग़ज़ल | डॉ. वर्षा सिंह | संग्रह - सच तो ये है

आंच दिन की न रात को ठहरी 

मुट्ठियों में बंधी न दोपहरी 


प्यार का दीपदान कर आए 

हो गई और भी नदी गहरी 

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आज का सफर यही तक

आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें 

कामिनी सिन्हा 

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17 टिप्‍पणियां:

  1. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. विविधतापूर्ण विषयों पर सुंदर रचनाओं के लिंक्स से सजा है आज का चर्चा मंच, बहुत बहुत आभार कामिनी जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहद खूबसूरत विविधताओं से परिपूर्ण पुष्पगुच्छ सी प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  4. अरे वाह ! बहुत ही सुन्दर सूत्रों से सजी आज की चर्चा ! मेरी लघुकथा को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह अनुपम चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार आद. कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रिय कामिनी सिन्हा जी,
    बेहद सार्थक और पठनीयता से भरपूर लिंक्स का सुंदर, श्रमसाध्य संयोजन कार्य किया है आपने... साधुवाद 🙏
    मुझे प्रसन्नता है कि मेरी पोस्ट को भी आपने इस चर्चा में शामिल किया है। इस हेतु हार्दिक आभार 🙏
    शुभकामनाओं सहित,
    डॉ. वर्षा सिंह

    जवाब देंहटाएं
  8. मंत्रमुग्ध करता हुआ चर्च मंच यथावत अपना अलग छाप छोड़ता है, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीया कामिनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी 🌹 सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह, सुंदर प्रस्तुति!
    बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई सखी!
    🌹🌹🌹🌹💐💐💐💐💐

    जवाब देंहटाएं
  11. चर्चा मंच पर उपस्थित होने के लिए आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर अभिवादन

    जवाब देंहटाएं
  12. रोचक प्रस्तुति। धन्यवाद ।
    www.svnlibrary.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  13. रोचक सूत्र ...
    आभार मेरी गज़ल को शामिल करने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं

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