बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक', उच्चारण --
विजया की दादी माँ ने अलाव में कुछ और कंडे डालते हुए कहा।
”अब भगीरथ की दोनों बहुओं को ही देख लो, छोटीवाली तो पूरे गाँव पर भारी है। शदी-विवाह में सबसे आगे रहती है। मजाल जो उसकी ज़बान से एक भी गीत छूट जाए।”
अनीता सैनी, अवदत् अनीता
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Jigyasa Singh, जिज्ञासा की जिज्ञासा
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यशवन्त माथुर जो मेरा मन कहे
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दूर तक है नीला समंदर,
खुला हुआ बंदरगाह,
उफ़क़ पोशीदा,
उड़ने की
नियत
लिए बैठा हूँ, कुछ अलग से - -
जीने की हसरत लिए
बैठा हूँ।
खुला हुआ बंदरगाह,
उफ़क़ पोशीदा,
उड़ने की
नियत
लिए बैठा हूँ, कुछ अलग से - -
जीने की हसरत लिए
बैठा हूँ।
शांतनु सान्याल, अग्निशिखा :
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पल्लवी गोयल, आपका ब्लॉग
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धन्य धरा,माँ नमन तुम्हें करती है
धन्य कोख,सैनिक जो जन्म करती है।
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शपथ लेते,
वर्दी देह पर धरते ही
साधारण से
असाधारण हो जाते
बेटा,भाई,दोस्त या
पति से पहले,
माटी के रंग में रंगकर
रक्त संबंध,रिश्ते सारे
एक ही नाम से
पहचाने जाते।
Sweta sinha, मन के पाखी
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ज्योति-कलश, ज्योति-कलश
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गोपेश मोहन जैसवाल, तिरछी नज़र
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Pramod Joshi, जिज्ञासा
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Sadhana Vaid, Sudhinama
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पी.सी.गोदियाल "परचेत", 'परचेत'
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नूपुरं noopuram, नमस्ते namaste
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विकास नैनवाल 'अंजान', एक बुक जर्नल
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आज के लिए बस इतना ही।
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उम्दा लिंक्स आज की
जवाब देंहटाएंमेरी रचना की लिंक शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
बहुत ही सुंदर सराहनीय चर्चाप्रस्तुति आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया आपका
बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी श्रमसाध्य प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ! पर अप्रूवल वालों से मन कुछ खिन्न हो जाता है !
जवाब देंहटाएंआदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी,
जवाब देंहटाएंसदैव की भांति आपके श्रम का आईना है आज की देशभक्ति से ओतप्रोत चर्चा .... पुनः हार्दिक बधाई देश के गणतंत्र के उत्सव को मिलजुलकर सेलीब्रेट करने की 🙏
यह आपकी सदाशयता है कि आपने मेरे गीत को चर्चा में शामिल किया है।
हार्दिक आभार 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
धन्यवाद शास्त्री जी । आज तो चर्चा में गंज रहा है देश राग ! शुभकामनाएं और बधाई!
जवाब देंहटाएंवाह गणतंत्र दिवस के गौरव व गरिमा को स्थापित करता बहुत ही सुन्दर एवं संग्रहणीय संकलन आज का ! मेरी प्रस्तुति को स्थान देने के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी गणतंत्र विषयक चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसराहनीय चर्चा ।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंकों से सुसज्जित , गणतंत्र पर शानदार सामग्री
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरे मुक्तक इस चर्चा में लेने के लिए हृदय तल से आभार।
सादर।
गणतंत्र दिवस के पावन पर्व में कृषक आंदोलन के बहाने राष्ट्र विरोधी तत्वों ने लाल किला को जिस तरह से क़ब्ज़ा किया, वो देश की आंतरिक सुरक्षा व एकता पर प्रश्न करता है, विशेषतः गृह मंत्रालय को इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए ताकि लोगों में असुरक्षा की भावना न उभरे, चर्चा मंच की पेशकश हमेशा की तरह शानदार है, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा का रंग केसरिया है. बड़ा मनभावन है.
जवाब देंहटाएंझंडा ऊँचा रहे हमारा ! विजयी विश्व तिरंगा प्यारा !
धन्यवाद,शास्त्रीजी.
देश की विविधता को प्रतिबिंबित करते इस अंक में मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए हार्दिक आभार.जय हिंद.
आदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार !
जवाब देंहटाएंआज की देशप्रेम से सुसज्जित चर्चा को जितने शानदार तरीके से आपने सजाया है, जितनी तारीफ़ की जाय कम है..मेरी रचना,जो गणतंत्र को ही समर्पित है, उसे आपने चर्चा में शामिल किया..जिसके लिए बहुत आभारी हूँ..इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपको असंख्य बधाई एवं धन्यवाद..सादर..जिज्ञासा सिंह..
बहुत-बहुत आभारी हूँ आदरणीय सर मेरी रचना अंक में शामिल करने के लिए।
जवाब देंहटाएंसादर🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद सर🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, सराहनीय प्रस्तुति, हार्दिक बधाई!जय हिन्द!
जवाब देंहटाएंमेरी भी रचना को स्थान देने के लिए आभार 🙏💐