स्नेहिल अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से )
"चिड़िया का तो छोटा तन है,
छोटे तन में छोटा मन है,
विष को नहीं पचा पाती है,
इसीलिए तो मर जाती है,"
पंक्षियों का आस्तित्व खतरे में है या ये हमें सचेत कर रही है
कि-संभल जाओं मनुष्य जाति एक दिन तुम्हारा भी यही हाल होगा
अब भी हम सचेत ना हुए तो कब होंगे ?
परमात्मा हमें सद्बुद्धि दे
इसी प्रार्थना के साथ चलते हैं, आज की रचनाओं की ओर....
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गीत-प्रीत का व्याकरण "कैसे बचे यहाँ गौरय्या"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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खेतों में विष भरा हुआ है,
ज़हरीले हैं ताल-तलय्या।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या?
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हिन्दी
आज विश्व हिंदी दिवस है ......हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता हमे खुश कर देती है...सच में...दिल से खुश। पर एक बात कहूँ.....हमारे देश में ऐसे बहुतेरे नमुने अब भी है जो अंग्रेजी को इंटैलीजेंसी से तोलते है 🤦🤦🤦
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पर याद रहे...
बस एक दिन के लिए न...
माँ के चरणों में स्थान पाएँगे
बल्कि...
हर दिन
हिंदी दिवस मनाएँगे....
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कोशिश और मैं
किसे पुकारूँ, किससे कहूँ मन कि बात ?
सुनते नहीं,समझते भी नहीं वो,
मिलते भी नहीं मेरे उनके ख़यालात ।।
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वो खत
वो चंद पंक्तियाँ नहीं, जीवन था सारा,
मूक मनोभावों की, बही थी धारा,
संकोची मन को, कहीं, मिला था किनारा!
यूँ, कहीं भँवर न उठते,
किताबों में रख देने से पहले,
वो खत तो पढ़ लेते!
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एक ताज़ा ग़ज़ल- डूबने वालों ने छोड़ा नहीं पानी कोई
एक ताज़ा ग़ज़ल-डूबने वालों ने छोड़ा नहीं पानी कोई
अब न दरिया में भँवर है न रवानी कोई
डूबने वालों ने छोड़ा कहाँ पानी कोई
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'कुत्ते की पूँछ' (हास्य-व्यंग्य)
“क्यों नहीं हो सकती? मैं एक नया कुत्ता लाऊँगा और फिर कोशिश करूँगा।
फिर भी सफल नहीं हुआ तो उसके कोई इंजेक्शन-विन्जेक्शन लगवाउँगा।
कहते हैं न, ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’।”
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हिन्दी अपनी शान
हिन्दी भाषा देश की, सब भाषा सिरमोर।
शब्दों के भण्डार हैं, भावों के नहिं छोर।
भावों के नहिं छोर, सहज सी इसकी बोली।
उच्चारण आसान, रही संस्कृत हमजोली।
कहे सुधा ये बात, चमकती माथे बिन्दी।
भारत का सम्मान, देश की भाषा हिन्दी
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आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें
कामिनी सिन्हा
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बहुत सुंदर और सराहनीय सूत्रों से सजी सराहनीय प्रस्तुति प्रिय कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंसारी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी
मेरी रचना अंक में शामिल करने के लिए बहुत आभार आपका।
सस्नेह शुक्रिया।
सर्वप्रथम आदरणीया कामिनी जी को बधाई। इस अंक की प्रस्तुति व रूपरेखा / रेखांकन इतनी अच्छी है कि लगा जैसे कोई लुभावनी पत्रिका सामने रखी है । मन पढने को स्वतः प्रेरित होता गया।
जवाब देंहटाएंदूसरी, इस प्रस्तुति मे रचनाओं की विविधता भी श्रेयस्कर थी। एक से बढकर एक ।।
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। ....
बहुत सुन्दर और उपयोगी लिंकों का संकलन।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं से सजी प्रस्तुति । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी जी, नमस्कार ! रोचक एवं लाजवाब रचनाओं के संयोजन एवं प्रस्तुतीकरण के लिए आपको हृदय से बधाई देती हूँ..मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका आभार व्यक्त करती हूँ..सादर..
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंआप सभी का हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी!.. सभी को विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर संकलन- सारगर्भित भी और मनोरंजक भी! बस यही कहूंगा-'अद्भुत'! मेरी नन्ही रचना 'कुत्ते की पूँछ' को इस चर्चा-अंक में स्थान देने के लिए आदरणीया कामिनी जी को धन्यवाद कहना चाहूँगा! सभी रचनाकारों को भी हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और उपयोगी लिंकों का संकलन।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई। मेरी रचना को लिंक में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीया कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंसादर।