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रविवार, जनवरी 24, 2021

"नेता जी का राज़" (चर्चा अंक-3956)

 मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती 23 जनवरी को मनाई जाती है। केंद्र सरकार ने इसे पूरे देश में पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। नेताजी की जीवनी और कठोर त्याग आज के युवाओं के लिए बेहद ही प्रेरणादायक है।
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दोहे  

"अब भी वीर सुभाष के, गूँज रहे सन्देश" 

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दुनिया के इतिहास में, दिवस आज का खास।
अपने भारत देश में, जन्मा वीर सुभास।।
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अर्पित श्रद्धा के सुमन, तुमको करता देश।
अब भी वीर सुभाष के, गूँज रहे सन्देश।। 
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अवधी लोकगीतों में सुभाष बाबू 
मेरी चाचीदादी द्वारा रचित लोकगीत, महान देशभक्त आदरणीय नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर पेश कर रही हूँ..एक गाँव की भोली भाली महिला की सच्ची श्रद्धांजलि..
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उलझनों का दौर है |  ग़ज़ल |  डॉ. वर्षा सिंह |  संग्रह - सच तो ये है 

प्रचार, पक्षपात और अनबनों का दौर है 

फूल-फल रहा है झूठ, उलझनों का दौर है 

न ठौर "वर्षा" पा सकी, न ठौर मेघ पा सके

वक़्त रच रहा है खेल, अड़चनों का दौर है

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  • पहाड़ और विकास 
  • उस शहर के पश्चिमी छोर पर 
    एक पहाड़ को काटकर 
    रेल पटरी निकाली गई 
    नाम नैरो-गेज़ 
    धुआँ छोड़ती 
    छुकछुक करती 
    रूकती-चलती छोटी रेल 
    सस्ते में सफ़र कराती 
    अविकसित इलाक़ों में जाती  

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बसंत

पीली चुनर
ओढ़ ली सरसों ने
पहली दस्तक है
ये बसंत की
मुस्कराएँगे फूल
संभाल लेना दिल । 
दिलबागसिंह विर्क, Sahitya Surbhi  
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चन्द माहिए 
:1:
सजदे में इधर हैं हम
और उधर दिल है
दर पर तेरे जानम

;2;
जब से है तुम्हें देखा
दिल ने कब मानी
कोई लछ्मन  रेखा
आनन्द पाठक, आपका ब्लॉग 
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ये तेरा घर ये मेरा घर... 

देखो. इतने समय बाद चल रही हो. कुछ कहें तो चुप रहना,

उसने घूर कर पति की ओर देखा-  यह बात उन्हें क्यों नहीं कहते. तुम जानते तो हो. एक दो बार में तो मैं किसी को कुछ कहती ही नहीं. 

वाणी गीत, ज्ञानवाणी 
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घर की सेहत 

बदबू भर गई है इसमें,

अब खोल भी दो खिड़कियाँ,

रोशनदान और दरवाज़े,

निकाल भी दो अन्दर की गर्द,

गुस्सा, मनमुटाव , घृणा,  

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नागेंद्र सकलानीः टिहरी रजवाड़ा-विरोधी विद्रोह के हीरो 
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आखिर और कितने किसानों की बलि  दिल्ली की सीमाओं पर 26/27 नवंबर 2020 से लाखों किसान डटे हुए हैं। केंद्र सरकार का अहंकार उसे किसानों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है। सरकार को डर सता रहा है कि किसानों की बात मान ली गयी तो उसकी इज्जत चली जाएगी और एक सर्वशक्तिमान नेता की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जिस छवि को बनाने की लगातार कोशिश की जाती रही है, वह सारी कोशिश अकारथ हो जाएगी।सरकार के इस अहंकारपूर्ण रवैये के कारण इस भयानक सर्दी में इतने लंबे समय से खुले आसमान के नीचे बैठे किसानों में से अनेक की मृत्यु भी हो चुकी है कुछ किसान 24/25 नवंबर को दिल्ली की तरफ बढ़ते हुए रास्ते में ही दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण मर चुके हैं। इतनी बड़ी संख्या में किसानों के शहीद हो जानेके बाद भी अहंकारग्रस्त सरकार का दिल नहीं पसीजा, बल्कि किसानों के खिलाफ और अधिक अत्याचार करने के मंसूबे से काम कर रही है। दिल्ली  की  सीमाओं  पर  26/27  नवंबर  से  चल  रहे  इसआंदेलन के सिलसिले में 24 नवंबर के बाद से अब तक सड़कदुर्घटनाओं, हृदयघात और सर्दी के कारण शहीद होने वाले किसानों की सूची यहां दी जा रही है।इनमें वे किसान भी शामिल हैं जो बॉर्डर पर अधिक बीमार होने पर वापस भेज दिए गए थे और घर जाकर  जिनकी  मृत्यु  हो  गयी।  इनमें  वे  किसान  शामिल  नहीं  हैं जिन्होंने किसानों के प्रति मोदी सरकार के गलत रवैये के खिलाफ आक्रोश में आत्महत्या की है।किसान शहीदों को शत-शत नमन! 
Randhir Singh Suman, लो क सं घ र्ष !  

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संदर्भ जीवन का 
इस मिथ्या जगत में 
एक सच्ची अनुभूति की
आस है मुझे, इसलिए 
हर करवट में दुनिया की
दिलचस्पी है मेरी 
नूपुरं नमस्ते namaste  
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शैक्षिक संस्थाओं में  डिजिटल शिक्षा का प्रवेश 
जैसे जैसे मानव जाति में सांस्कृतिक विकास हुआ वैसे वैसे शिक्षा पद्धति में भी विकास हुआ। शिक्षा ही वह अभूतपूर्व विधा है जो मानव को पशुओं से अलग करती है अन्यथा पशु एवं मनुष्य में कोई अंतर ही नहीं होता। मानव सभ्यता को क्रमशः आगे बढ़ाने में शिक्षा को ही श्रेय दिया जा सकता है। प्रारम्भ में शिक्षा मौखिक थी। ऋषियों और मुनियों के आश्रमों में शिक्षा मौखिक ही दी जाती थी। कालांतर में ज्ञान भोजपत्रों एवं शिलालेखों के रूप में सामने आया। जब कागज का आविष्कार हुआ तो मौखिक ज्ञान पांडुलिपियों के रूप में आया। जब छपाई का विकास हुआ तो  
Asharfi Lal Mishra, परिवर्तन  
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नज्म चांद छत पर टहलता रहा रातभर 
रात भी रफ्ता रफ्ता गुजरने को है, 
रौशनी आसमां से उतरने को है,
बैठने फिर लगीं तितलियां फूल पर, 
खुशबू—ए—गुल फजां में बिखरने को है
जैसे मौसम बदलने को हलचल हुई, 
था अजब सा नजारा कोई जादुई
देखकर दिल मचलता रहा रातभर, 
चांद छत पर टहलता रहा रातभर।। 
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कुण्डलिनी छंद- एक परिचय कुण्डलिनी छंद : शिल्प विधान- इस छंद का जनक आचार्य ओम नीरव जी को माना जाता है जो कि कविता लोक समूह के संचालक और संस्थापक है

1) एक दोहा और अर्धरोला के योग से चार चरणों वाला कुण्डलिनी छंद बनता है ।
2) इसके पहले दो चरणों में प्रत्येक का मात्रा भार 13, 11 होता है और बाद के दो चरणों में प्रत्येक का मात्राभार 11, 13 होता है ।
3) दोहा का अंतिम पद ही अर्धरोला का प्रारम्भिक पद होता है । यह 'पुनरावृत्ति' सार्थक भी होनी चाहिए ।
4) इसके प्रारंभिक शब्द/शब्दों का अंत में 'पुनरागमन' करने से विशेष सौन्दर्य उत्पन्न होता है, यह 'पुनरागमन' अनिवार्य है ।
5) दोहा और रोला की दो-दो पंक्तियों के अलग अलग तुकांत होते हैं।
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Six Facts Of Life जीवन के 6 तथ्य जीवन के 6 ऐसे तथ्य जो बना दें जीवन को आसान और खुशियों से भरपूर। 1. 45 वर्ष की अवस्था में "उच्च शिक्षित" और "अल्प शिक्षित" एक जैसे ही होते हैं। Pic Credit- Google2. 55 वर्ष की अवस्था में "रूप" और "कुरूप" एक जैसे ही होते हैं। (आप कितने ही सुन्दर क्यों न हों झुर्रियां, आँखों के नीचे के डार्क सर्कल छुपाये नहीं छुपते)3. 60 वर्ष की अवस्था में "उच्च पद" और "निम्न पद" एक जैसे ही होते हैं। 
Rishabh Sachan,  
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शारीरिक शक्ति दौड़ में विजयी बनाती है,  पर अनुभव सिखाता है कि किधर,  कैसे और कितना दौड़ना है आज समय की मांग है कि जब तक इंसान सक्षम है, उसे कुछ ना कुछ उद्यम करते ही रहना चाहिए ! इससे कई लाभ हैं, एक तो आदमी अपने को लाचार और उपेक्षित नहीं समझेगा ! दूसरे कुछ ना कुछ आर्थिक सहयोग दे सकेगा परिवार को ! तीसरे शारीरिक और मानसिक रूप से भी स्वस्थ व सक्षम रहेगा !इसके अलावा युवाओं के जोश और बुजुर्गों के अनुभव में सामंजस्य की आवश्यकता है। दोनों को ही एक दूसरे की जरुरत है। शारीरिक शक्ति दौड़ में विजयी जरूर बनाती है पर अनुभव ही सिखाता है कि किधर, कैसे और कितना दौड़ना है !  
गगन शर्मा, कुछ अलग सा  
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आज का उद्धरण 
विकास नैनवाल 'अंजान', एक बुक जर्नल  
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आज के लिए बस इतना ही...।
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10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात !
    विविधतापूर्ण सारगर्भित प्रस्तुति । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।

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  2. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स आज की |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  3. सुप्रभात !
    आदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार ! रोचक, ज्ञानवर्धक तथा विविधतापूर्ण रचनाओं के मध्य आपने मेरे एक लोकगीत को शामिल किया जिसके लिए आपका जितना नमन करूँ कम है आपकी प्रेरणा से गीतों को स्थान मिलेगा..शुभकामनाओं सहित आपका नमन और वंदन..सादर..

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  4. मंगल सुप्रभात ।
    आज का अंक बहुत अच्छा और दिलचस्प लगा ।
    रोचक सामग्री से भरपूर पत्रिका ।
    रविवार का इंतेज़ाम तो हो गया ।
    इतनी अच्छी रचनाओं के बीच स्थान देने के लिए धन्यवाद,शास्त्री जी ।
    नेताजी को स्मरण करते हुए प्रार्थना है कि पराक्रम दिवस हम सबके ह्रदय में अपने कर्तव्य का पालन करने का साहस जगाए ।

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  5. शास्त्री जी,
    नमस्कार!
    चर्चा मंच में सभी लिंक उत्तम हैं।इस मंच में हमारे ब्लॉग को सम्मिलित करने के लिए आप का हृदय से आभार।

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  6. रोचकता से भरपूर अंक में सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार

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  7. वाह बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

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  8. सुंदर प्रस्तुति.मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार

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  9. आदरणीय शास्त्री जी,
    बहुत अच्छा संयोजन है हमेशा की तरह... मेरी पोस्ट को आपने इसमें शामिल किया यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है।
    बहुत-बहुत आभार एवं अनंत शुभकामनाओं सहित
    सादर,
    डॉ. वर्षा सिंह

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  10. बेहतरीन प्रस्तुति, मेरी रचना को चर्चा मंच का हिस्सा बनाने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

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