सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
सर्दियों की धूप का आलम
लगता बहुत प्यारा हमें,
कुहाँसा चीर निकला भानु
लगता बहुत न्यारा हमें।
-रवीन्द्र सिंह यादव
आइए अब पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित चंद रचनाएँ-
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दो हजार छः से मिला, हिन्दी को उपहार।
आज विश्व हिन्दी दिवस, मना रहा संसार।।
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हिन्दी है सबसे सरल, मान गया संसार।
वैज्ञानिकता से भरा, हिन्दी का भण्डार।।
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बड़े दिनों बाद आवाज़ लगाई
सूखे पत्तों से सजे आँगन ने
बाहें फैलाए स्मृतियाँ
स्वागत में प्रीत दीप जलाए
वात्सल्य वीरानियों में
दहलीज़ पर सीलन अपनेपन की
दीवारों की दरारों से झाँकता स्नेह
मन की आवाज़ में मैं बह चली
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शब्दों के अर्थ
जब अनर्थ होने लगे
तो साफ है कि
बाजार ज्यादा से ज्यादा
घातक हथियारों की
आपूर्ति चाह रहा है .
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जीवन की हलचल में
उठती नित नई तरंगों में
कभी हाथ पकड़
जीने की राह
दिखला दे कोई...
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आजकल मेरी ग़ज़ल रूठी हुई है
जो बनी मरहम सदा सुखदा रही है
काश, कोई तो उठा लेता जतन से
धूप आंगन में पड़ी कुम्हला रही है
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आज की भोर फ़िर दिखीउठाए बादलों को अपनी गोद मेंआकाश होने को आतुरभोर ने छोड़ दिए कई दृश्य अनदेखेअटके थे जो जंगली घास परप्रेम की तलाश मेंपंछियों ने गाए गीत--
बहुत सुन्दर सूत्रों का संयोजन । चर्चा मंच पर मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार रवींद्र सिंह जी !
जवाब देंहटाएंसार्थक सूत्रों से सजा सुंदर अंक आदरणीय रवींद्र भाई. सभी रचनाकारों को सस्नेह शुभकामनाएं. दिवंगत प्रधान मंत्री आदरणीय लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्य स्मृति को सादर नमन🙏🙏 आपको हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस की शुभकामनाएं ! सुंदर प्रस्तुति आज के चर्चा मंच के अंक में, आभार !
जवाब देंहटाएंबहतु अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकाश लोगों के दिलो-दिमाग पर छाया कोहरा भी छंट सके
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी
जवाब देंहटाएंसम्मिलित कर सम्मान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद
बहुत सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा संकलन।सभी रचनाएँ अति सुंदर
जवाब देंहटाएंमुझे यहाँ स्थान देने के लिए आभार श्रीमान
सर्दियों की धूप सी ही गुनगुनी चर्चा के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई ।
जवाब देंहटाएंविश्व हिंदी दिवस की असंख्य शुभकामनाएं, विविध रंगों से सरोबार चर्चा मंच मुग्ध करता हुआ, मुझे जगह देने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय रवींद्र जी - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंसर्दियों की धूप का आलम
जवाब देंहटाएंलगता बहुत प्यारा हमें
आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी,
वाकई सर्दियों की धूप की गुनगुनाहट बहुत प्यारी लगती है। बहुत अच्छे लिंक्स संजोए हैं आपने।
मेरी पोस्ट को इस चर्चा में शामिल करने हेतु आपके प्रति हार्दिक आभार 🙏🌷🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत सुन्दर और संग्रणीय संकलन।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।