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सोमवार, मार्च 01, 2021

'मौसम ने ली है अँगड़ाई' (चर्चा अंक-3992)

 सादर अभिवादन। 

सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 


बदलते मौसम से 

बेख़बर न रहिए,

हालात के तूफ़ान से 

बेअसर न रहिए। 

#रवीन्द्र_सिंह-यादव  


आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ रचनाएँ-

--

गीत

 "मौसम ने ली है अँगड़ाई"

 (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

पवन बसन्ती लुप्त हो गई,
मौसम ने ली है अँगड़ाई।
गेहूँ की बालियाँ सुखाने,
पछुआ पश्चिम से है आई।।
--
बेटी हूँ पत्नी हूँ माँ हूँ
यह मेरी पहचान नहीं है
जीवन भर छाया बन रहना
यह मेरा अरमान नहीं है
--

सारी सोचें बेमानी सी है

लफ्ज़ों में बयां होती कहाँ हैं

की बहुत कहने की कोशिश

ढंग कोई जँचता नहीं

--

दिल वाला साबुन ..

देखो ,दिल वाला साबुन 
महकता -सा ......
जैसे ही चेहरे पर लगाया 
एक बडा़ -सा बुलबुला बना 
उसमें तेरा अक्स दिखा 
प्यारा -सा ....
फिर खेलने लगी मैं
--
हर बात के 
न जाने मतलब कितने 
हर शख़्स की 
न जाने कितनी कहानियाँ ,
हर कहानी का 
एक अलग किरदार 
हर किरदार को
निबाहते हुए
करता है इंसान 
अलग अलग 
व्यवहार ,
--
आँखें बंद कर लेता हूँ मैं,
विनती करता हूँ पटरियों से,
संभाले रखना ट्रेन को,
प्रार्थना करता हूँ ट्रेन से,
रुकना नहीं, सर्र से निकल जाना.
--
अब घिस गयी समाज की तमाम नीतियां,
अब घिस गयी मनुष्य  की अतीत रीतियाँ,
है   दे   रहीं   चुनौतियाँ   तुम्हें    कुरीतियाँ,
निज  राष्ट्र  के  शरीर  के  सिंगार  के  लिए --
तुम  कल्पना  करो, नवीन  कल्पना करो !
                                तुम  कल्पना  करो 
--
मोम की तू बनी लेे के कोमल हिया
मत जला मुझको री तू पिघल जाएगी
प्रेम दर्पण में तेरे है अटका जिया
कंकरी मार सौ - सौ तू बन जाएगी
--
हूँ एक प्रवासी पक्षी  
समूह से बिछुड़ा हुआ
दूर देश से आया  हूँ
पर्यटन के लिए |
--
नहीं मिटाया जा सकता सब कुछ,
कुछ रंगों के कणों में रहते हैं,
भीतर तक अदृश्य, छुपे
हुए जज़्बात के
अति सूक्ष्म
रेशे,
--
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के मुताबिक उनके देश ने गरीबी का पूरी तरह खात्मा कर दिया है। इस बयान को चाहे जैसे देखा जाए लेकिन यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। दुनिया के सबसे गरीब समाजों में से एक रहा और भारत के साथ दुनिया के अधिकांश गरीबों वाला चीन अब प्रति व्यक्ति आय के ऐसे स्तर पर (क्रय शक्ति समता के अनुसार) पहुंच गया है जो वैश्विक औसत के करीब है। चीन का दावा है कि उसने 85 करोड़ लोगों को गरीबी से उबारा।
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चाँदनी की देशव्यापी सफलता के उपरांत उसी वर्ष चालबाज़ प्रदर्शित हुई जो कि सीता और गीता (१९७२) नामक पुरानी हिन्दी फ़िल्म का रीमेक थी । नायिका-प्रधान मूल फ़िल्म में हेमा मालिनी ने दो पूर्णतः विपरीत प्रकृति वाली जुड़वां बहनों की दोहरी भूमिका निभाई थी । श्रीदेवी ने भी चालबाज़ में वही कमाल कर दिखाया जो हेमा मालिनी ने सीता और गीता में कर दिखाया था । उनके दो भिन्न-भिन्न रूपों ने दर्शकों के दिल जीत लिए । 

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Poem 12 संकल्पना स्पष्ट करणे



आभाळाचे छ्त्र - आभाळ हा निसर्गाचा एक घटक आहे माणसाने किती ही दौलत कमवली तरी मनाची शांती व समाधान त्याला निसर्गाच्या सानिध्यात, खुल्या आकाशाखालीच मिळते. आभाळाचे छ्त्र म्हणजे आभाळाची सावली, निसर्गाची माया.

आदरणीया मीना जी के मराठी भाषा ब्लॉग की दो रचनाओं का हिंदी भाषा की देवनागरी लिपि और रोमन लिपि में गूगल अनुवाद पढ़िए-  
कविता 12 अवधारणा को समझाते हुए

1 - आकाश का छाता- आकाश प्रकृति का एक तत्व है, कोई व्यक्ति चाहे कितना भी धन कमाता हो, उसे खुले आसमान के नीचे प्रकृति की उपस्थिति में मन की शांति और संतोष मिलता है। आकाश की छतरी आकाश की छाया है, प्रकृति का प्रेम है।

- गर्भगृहम्मी शेषला - मनुष्य के मन में कई कोमल भावनाएँ हैं, जो प्रकृति की उपस्थिति में पनपती हैं। मन में इस रेशम कोर की तरह नाजुक, कोमल और खुश भावनाओं के आंदोलन को भ्रूण का स्पंदन कहा जाता है।

kavita 12 avadhaarana ko samajhaate hue

1 - aakaash ka chhaata - aakaash prakrti ka ek tatv hai, koee vyakti chaahe kitana bhee dhan kamaata ho, use khule aasamaan ke neeche prakrti kee upasthiti mein man kee shaanti aur santosh milata hai. aakaash kee chhataree aakaash kee chhaaya hai, prakrti ka prem hai.

2 - garbhagrhammee sheshala - manushy ke man mein kaee komal bhaavanaen hain, jo prakrti kee upasthiti mein panapatee hain. man mein is resham kor kee tarah naajuk, komal aur khush bhaavanaon ke aandolan ko bhroon ka spandan kaha jaata hai.

*****


आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले सोमवार। 


15 टिप्‍पणियां:

  1. अत्यन्त सराहनीय संकलन किया है रवीन्द्र जी आपने । सभी रचनाएं न केवल उत्तम गुणवत्ता की हैं, वरन उनमें वैविध्य भी हैं । मेरी रचना को स्थान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद आपको ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर संकलन. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!बहुत खूबसूरत संकलन । मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदय से आभार अनुज रविन्द्र जी ।

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद रवीन्द्र जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए |उम्दा संकलन आज का |

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खूबसूरत संकलन । सभी सूत्र बेहतरीन । चर्चा में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  7. उपयोगी और पठनीय लिंको की सुन्दर प्रस्तुति।
    आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत खूब रहे आज के सभी ल‍िंंक्स, साथ में एक अद्भुत प्रयोग भी क‍ि मराठी से अब ह‍िंंदी में अनूद‍ित रचनायें भी हम पढ़ सकेंगे...चर्चामंच की इस प्रयोग को साधुवाद... बहुत खूब रवींद्र जी

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत श्रम से भरा कलश सुन्दर एक से बढ़ एक संकलन, सभी काव्य मनीषियों को बधाई , रविन्द्र भाई आप ने मेरी रचना तिरछे नैनों से संधान मत कर प्रि ये को स्थान दिया खुशी हुई आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. गज़ब का चयन... संकलन !
    कितने श्रमपूर्वक आपने यह चर्चा संजोयी है आदरणीय यादव जी, नमन आपको 🙏

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन चर्चा अंक,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमन

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  12. आदरणीय रवींद्रजी,
    सबसे पहले तो आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि आप मेरे मराठी ब्लॉग पर पहुँचे और वहाँ की पोस्ट को चर्चामंच में शामिल किया। मैं दसवीं कक्षा को हिंदी और मराठी विषय पढ़ाती हूँ अतः यह ब्लॉग मैंने कोरोनाकाल में घर से ही ऑनलाइन पढ़ रहे मेरे स्कूल के दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों की मदद के लिए बनाया था। इस ब्लॉग से आपने जो लिया है वह दसवीं कक्षा की मराठी पाठ्यपुस्तक की एक कविता की दो पंक्तियों, बल्कि दो पदबंधों का सरल भाषा में मेरे द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण है,हालांकि गूगल ट्रांसलेशन कविताओं के अनुवाद के साथ पूरा न्याय नहीं कर पाता है, फिर भी इस अनुवाद से अमराठी भाषिकों को समझने में कुछ मदद तो मिली होगी कि मैंने क्या लिखा है। शुरूआत में मैं इस ब्लॉग पर निबंध आदि डालती रही, कुछ व्याकरण संबंधी नोट्स भी डाले हैं। बाद में बढ़ती व्यस्तता के कारण ब्लॉग पर डालना कम हो गया। नोट्स लिखकर उनके फोटो लेकर या अपनी आवाज में रेकॉर्ड करके अपने विद्यार्थियों के क्लास ग्रुप में भेजना आसान लगने लगा।
    इस ब्लॉग के चर्चामंच में आने से बहुत खुशी हुई है, साथ ही दिमाग में एक बात भी आई है कि यदि इस ब्लॉग पर मराठी की सुंदर सुंदर कविताएँ उनके हिंदी अनुवाद के साथ डालूँ । हिंदी ब्लॉग जगत के रचनाकारों को मराठी साहित्य सुधा की मिठास, प्रखरता, सौंदर्य और विविधता का आस्वादन करके निश्चित ही प्रसन्नता होगी।
    आज मंच पर शामिल रचनाओं का अवलोकन नहीं कर पाई हूँ, अब रात में या कल ही यह हो पाएगा। चर्चामंच का पुनः पुनः आभार !!!

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  13. हार्दिक आभार, बेहतरीन प्रस्तुति, एक से बढ़कर एक रचनाएँ, इन्हें सांझा करने के लिए आपका धन्यबाद , बधाई हो शुभ प्रभात

    जवाब देंहटाएं

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