सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आज चर्चा की शीर्षक पंक्ति - 'फ़िक्र से भरी बेटियां माँ जैसी हो जाती हैं' आ. प्रतिभा कटियार 'जी के सृजन से ली गई है ।
मातृ दिवस के उपलक्ष्य में आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
आइए पढ़ते हैं आज की कुछ चुनिंदा रचनाएँ -
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तुम्हें जो बात बतानी थी वो ये कि जब मेरी नींद टूटती है तब बेटी की नींद भी टूटती है. वो सिरहाने चिंता में बैठी रहती है कि माँ क्यों बेचैन है. मैं चाहकर भी सोने का नाटक देर तक नहीं कर पाती. और फिर हम दोनों जागती रहती हैं. वो मेरी नींद की रखवाली करती है बरसों से. उसे ऐसा करते देखना दुःख से भरता है. जब उसे बेफिक्र होना चाहिए था तब वो फ़िक्र से भरी हुई है. फ़िक से भरी बेटियां माँ जैसी हो जाती हैं.
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माँ
जब भी कोई दुविधा आती
याद मुझे माँ की आये।
प्रथम पाठशाला जीवन की
नैतिकता का पाठ दिया।
सुसंस्कार भरकर जीवन में
सुंदरता से गाठ लिया।
कंक्रीट राह पर चल पाएं
दुख में कभी न घबराये।।
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रचना हूँ मैं तेरी माँ
मिट्टी से हूँ गढ़ी हुई
चौखट में हूँ जड़ी हुई
छाया हूँ मैं तेरी माँ !
रचना हूँ मैं तेरी माँ !
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माँ
तेरे लिए
कुछ लिखने चलूँ
तो शब्द कम पड़ जाते हैं
माँ इस
छोटे अल्फाज़ में
सारे सुख
सिमट जाते है
माँ तू खुद में पूर्ण है
धूप में
शीतल छाँव है
कष्ट में
मखमली अहसास है
माँ
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आँधी-तूफ़ाँ या बरसात
सब उससे घबराते थे!
कड़ी धूप में साया देती -
माँ! आँचल में भर लेती थी!
कितनी भी हो कठिन समस्या –
माँ! सब हल कर देती थी!
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हे !जन्म दात्री हे!संस्कार दात्री ....
तेरा स्पर्श,मीठी बोली मन को साहस देता
आज भी जीने की ऊर्जा तुझसे मिलती है।
नही है तूँ ...फिर भी आसपास लगती है।।
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पर कहाँ होती है
क्षीण , मन्थर..
उसकी सींचने की प्रवृत्ति
धरती को नम बनाए रखने का लक्ष्य
नही भूलती नदी भी
अपने सूखने तक .
माँ की ही तरह.....।
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माँ
इस शब्द में ही
वो ताकत है जो
जीवन तो देती है
मगर उसे सींचकर
मजबूत बनाती है
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वो चेहरा जो
शक्ति था मेरी ,
वो आवाज़ जो
थी भरती ऊर्जा मुझमें ,
वो ऊँगली जो
बढ़ी थी थाम आगे मैं ,
वो कदम जो
साथ रहते थे हरदम,
वो आँखें जो
दिखाती रोशनी मुझको ,
वो चेहरा
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माँ तो गांव से आई हैं उन्हें नहीं मालुम कि अब शहरों में नदी-तालाब नहीं होते जहां इफरात पानी विद्यमान रहता था कभी। अब तो उसे तरह-तरह से इकट्ठा कर, तरह-तरह का रूप दे तरह-तरह से लोगों से पैसे वसूलने का जरिया बना लिया गया है। माँ को कहां मालुम कि कुदरत की इस अनोखी देन का मनुष्यों ने बेरहमी से दोहन कर इसे अब देशों की आपसी रंजिश तक का वायस बना दिया है। उसे क्या मालुम कि संसार के वैज्ञानिकों को अब नागरिकों की भूख की नहीं प्यास की चिंता बेचैन किए दे रही है। मां तो गांव से आई है उसे नहीं पता कि लोग अब इसे ताले-चाबी में महफूज रखने को विवश हो गये हैं।
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आज का सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे
आगामी अंक में
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंमैंने एक-एक रचना को पढा...सभी रचनाएँ माँ की ही तरह है.....ऐसा प्रतीत हुआ जैसे संस्कार का मेला लगा हुआ है...बस जिसे जितना चाहिए वो उतना समेट ले।
जवाब देंहटाएंइस संस्कार के मेला में मेरी रचना को स्थान देना यह मेरे लिए और मेरी रचना के लिए सम्मान की बात है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार।
बेहद गहरा और ममत्व से भरा हुआ अंक...। सभी को खूब बधाई
जवाब देंहटाएंआज बहुत समय बाद इतनी जल्दी मंच पर आईं नहीं तो काफी देर हो जाती है।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक शीर्षक, बहुत ही शानदार लिंक सभी लिंक पढ़ कर एक भीगा सा अहसास है कहीं सुखद कहीं संवेदनशील।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
सभी को मातृ दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
सभी रचनाएं एक जगह इकट्ठा करना अथक परिश्रम का कार्य जिसे अनिता जी आपने बखुबी निभाया।
बहुत बहुत बधाई, साधुवाद।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
इतनी भावविभोर करने वाली रचनायें...वाह अनीता जी..आप लोगों की मेहनत से हम इतनी सुंदर रचनायें पढ़ पा रहे हैं, इसके लिए जितना आभार प्रगट करें कम ही होगा...अद्भुत हैं सभी रचनायें.. मां के प्रेम में भीगी हुई
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति,मां की कोमल स्पर्श की तरह
जवाब देंहटाएंअति मनभावन एवं हृदय स्पर्शी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंमां को समर्पित सभी रचनाएं माँ की स्नेहिल ममता से भीगी मर्मस्परसी मधुर है। हमारी रचना में शामिल करने के लिए ह्रदय से आभारी हूँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआज के सुंदर संकलन और शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बधाई अनीता जी,मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार,सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
जवाब देंहटाएंअनीता सैनी जी, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो अपने मेरी रचना को अपने संकलन में शामिल किया, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंउम्मीद है आप भी सकुशल स्वस्थ हैं !
आभार!
माँ को समर्पित बेहतरीन रचनाएं, बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका आभार सखी।
जवाब देंहटाएंआज का यह विशिष्ट संकलन हर प्रकार से संग्रहणीय ! हर रचना एक से बढ़ कर एक ! इतनी सुन्दर रचनाओं में मेरी रचना को भी स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रिय सखी अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
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