आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
आज बुद्ध पूर्णिमा के दिन यह चर्चा तैयार कर रहा हूँ| निराशा के इस दौर में बुद्ध को याद करना और उनकी शिक्षाओं को दोहराना बहुत महत्त्वपूर्ण है| बुद्ध ने जीवन को दुखों का घर कहा है और आज इसकी सत्यता स्वयंसिद्ध है| बुद्ध परमात्मा के विषय पर मौन हैं क्योंकि परमात्मा पर बहस व्यर्थ है, उनके अंतिम शब्द उनके दर्शन का सार हैं| अंतिम शब्द हैं -
अप्प दीपो भव
अर्थात अपने दीपक ख़ुद बनो| अध्यात्म की राह पर कोई किसी को कुछ नहीं दे सकता, जो पाना है उसे स्वयं ही पाना है | सार्त्र ने इसे जीवन के सन्दर्भ में कहा है - The other is hell अर्थात दूसरा नर्क है| जीवन को सुख पूर्वक जीना हो या अध्यात्म की राह पर चलना हो, आप को एकांत चुनना ही होगा और एकांत के लिए घर-परिवार छोड़ना जरूरी नहीं| गीता में इसे अकर्ता होना कहा है| दुख के इस दौर में हमें ऐसी जीवन-शैली को अपनाना ही होगा कि हम सुख-दुख से पार हो सकें|
चलते हैं चर्चा की ओर
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
रोचक व पठनीय सूत्र, आभार।
ReplyDeleteबुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सार्थक भूमिका के साथ पठनीय रचनाओं के सूत्रों से सजा चर्चा मंच ! आभार !
ReplyDeleteबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद महोदय! मेरे ब्लॉग का यहाँ समावेश देख कर अच्छा लगा| सभी को प्रणाम|
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक चर्चा...। रचनाओं का अच्छा चयन।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे सूत्रों का चयन आज के चर्चामंच में ! मेरी आपबीती को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteसुंदर सराहनीय अंक,आपको सादर शुभकामनाएं आदरणीय ।
ReplyDeleteरोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा।
ReplyDelete"दुख के इस दौर में हमें ऐसी जीवन-शैली को अपनाना ही होगा कि हम सुख-दुख से पार हो सकें|"
ReplyDeleteसमयानुकूल सकारात्मक सोच का संचार करती सार्थक भूमिका के साथ उन्दा लिंकों का चयन आदरणीय सर,
सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें एवं नमन
बेहद सुंदर चर्चा संकलन
ReplyDeleteye nahi padha to kiya padha
ReplyDeleteगौतम बुद्ध को आधार में रखकर बहुत शानदार भूमिका।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई
आज की प्रस्तुति बहुत शानदार है।
सादर
सभी रचनाकारों को बधाई।
शानदार चर्चा के लिए नमन .... आपने मिसफिट का लिंक देकर मुझे कृतार्थ कर दिया विर्क सर आभार मंच आभार सुधि पाठक गण
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