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गुरुवार, मई 27, 2021

अप्प दीपो भव ( चर्चा - 4078न)

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
आज बुद्ध पूर्णिमा के दिन यह चर्चा तैयार कर रहा हूँ| निराशा के इस दौर में बुद्ध को याद करना और उनकी शिक्षाओं को दोहराना बहुत महत्त्वपूर्ण है| बुद्ध ने जीवन को दुखों का घर कहा है और आज इसकी सत्यता स्वयंसिद्ध है| बुद्ध परमात्मा के विषय पर मौन हैं क्योंकि परमात्मा पर बहस व्यर्थ है, उनके अंतिम शब्द उनके दर्शन का सार हैं| अंतिम शब्द हैं -
अप्प दीपो भव 
अर्थात अपने दीपक ख़ुद बनो| अध्यात्म की राह पर कोई किसी को कुछ नहीं दे सकता, जो पाना है उसे स्वयं ही पाना है | सार्त्र ने इसे जीवन के सन्दर्भ में कहा है - The other is hell अर्थात दूसरा नर्क है| जीवन को सुख पूर्वक जीना हो या अध्यात्म की राह पर चलना हो, आप को एकांत चुनना ही होगा और एकांत के लिए घर-परिवार छोड़ना जरूरी नहीं| गीता में इसे अकर्ता होना कहा है| दुख के इस दौर में हमें ऐसी जीवन-शैली को अपनाना ही होगा कि हम सुख-दुख से पार हो सकें|
चलते हैं चर्चा की ओर   
धन्यवाद 
दिलबागसिंह विर्क  

13 टिप्‍पणियां:

  1. बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सार्थक भूमिका के साथ पठनीय रचनाओं के सूत्रों से सजा चर्चा मंच ! आभार !

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  2. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

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  3. धन्यवाद महोदय! मेरे ब्लॉग का यहाँ समावेश देख कर अच्छा लगा| सभी को प्रणाम|

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  4. बहुत ही सार्थक चर्चा...। रचनाओं का अच्छा चयन।

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  5. बहुत ही अच्छे सूत्रों का चयन आज के चर्चामंच में ! मेरी आपबीती को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !

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  6. सुंदर सराहनीय अंक,आपको सादर शुभकामनाएं आदरणीय ।

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  7. "दुख के इस दौर में हमें ऐसी जीवन-शैली को अपनाना ही होगा कि हम सुख-दुख से पार हो सकें|"
    समयानुकूल सकारात्मक सोच का संचार करती सार्थक भूमिका के साथ उन्दा लिंकों का चयन आदरणीय सर,
    सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें एवं नमन

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  8. बेहद सुंदर चर्चा संकलन

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  9. गौतम बुद्ध को आधार में रखकर बहुत शानदार भूमिका।
    सभी रचनाकारों को बधाई
    आज की प्रस्तुति बहुत शानदार है।
    सादर
    सभी रचनाकारों को बधाई।

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  10. शानदार चर्चा के लिए नमन .... आपने मिसफिट का लिंक देकर मुझे कृतार्थ कर दिया विर्क सर आभार मंच आभार सुधि पाठक गण

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