सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
करोना-काल की भयावहता से गुज़रते भारत में जिजीविषा का संघर्ष जारी है।
महत्त्वपूर्ण सूचना
आज चर्चामंच अपने नियमित सुधी पाठकों से एक निवेदन करना चाहता कि करोना महामारी के चलते हमारे चर्चाकार और उनके परिवार भी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ झेल रहे हैं। ऐसे माहौल में नियमित प्रस्तुति की निरंतरता में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। संभव है चर्चामंच पर किसी दिन या अगले कुछ दिन नवीन प्रस्तुति आपको पढ़ने को न मिल सके। आपके सहयोग और समर्थन के लिए विशेष आभार।
-चर्चामंच परिवार
आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित चंद चुनिंदा रचनाएँ-
"कर दूँगा रौशन जग सारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
मैं नित्य-नियम से चलता हूँ,
प्रतिदिन उगता और ढलता हूँ,
निद्रा से तुम्हें जगाने को,
पूरब से रोज निकलता हूँ,
नित नई ऊर्जा भर दूँगा,
चमकेगा किस्मत का तारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।
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क्या बेवफाई क्या रुसवाई क्या समझ क्या सोच लिखना जरूरी है इससे पहले कोई बताये दरवाजे पर खड़ी है मौत आई है
पढ़ा लिखा अनपढ़
फर्क आदमी आदमी का
आदमी ने बात बनाई है
कौन क्या कर रहा होता है किसे पता
लिखना लिखाना रस्म अदाई है
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आंकड़ें कभी सांस नहीं लेते | कविता | डॉ शरद सिंह
और कुछ नहीं बदलेगा
कहीं भी
सिवा इसके कि
अनेक जीवित इंसान
बदल चुके होंगे
मृतकों के आंकड़ों में
न नाम, न पता, सिर्फ़ आंकड़ें
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मानियेगा कि
प्रेम
को चेहरा पा जाने में
एक पूरी सदी लगती है
उम्रदराज होने पर ही
प्रेम नजर आता है
थके हुए शरीरों में
पूर्णता पाता है।
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दूसरी लहर से आगे का परिदृश्य
महामारी ने सबसे ज्यादा गरीब को मारा है। भारत में इसपर काबू पा भी लें, पर गरीब देशों में इसके प्रसार को रोकने की चुनौती दुनिया के सामने है। फिलहाल एकमात्र तरीका है वैक्सीन। वैक्सीन के कारण ही अमीर और गरीब के बीच फर्क पैदा हो रहा है। अमेरिका में हालात बेकाबू थे, पर अब वहाँ स्थितियाँ नियंत्रण में हैं। वहाँ 12 साल या उससे ऊपर के नागरिकों के लिए भी वैक्सीन खोल दी गई है। अमीर-गरीब सभी को सरकार की ओर से मुफ्त वैक्सीन लगाई जा रही है। गरीब देश यह सुविधा अपने नागरिकों को देने की स्थिति में नहीं हैं।
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विरां वक़्त मग़र हैं बिचरते माज़ी के कारवां
मुद्दतों बाद भी महसूसूं आज भी वही समां
अतीत के सुरंगों में संजो रखा जो असबाब
मेरी तन्हाईयां उन्हीं से गुलजार औ आबाद ।
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तट पर
उत्सव -तीरथ
आरती ,शिवाले हैं ,
कटे -फटे
कूल कहीं
पंछी ,मृगछाले हैं ,
ज्ञानी
अज्ञानी को
मंत्र यह सिखाती है |
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रेत के सागर से रखी
मीठे जल सी चाह।
दुनिया में मुझसा नासमझ
कोई दूसरा कहाँ था ।।
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वक्त (ग़ज़ल )
वक़्त के हाथों की हम हैं कठपुतलियां,
वक्त की डोर में खेल ये मुखर जाएगा।
वक्त के संग कदम हम मिलाकर चलें,
रंग जीवन का सारा निखर जाएगा।
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कोशिशों का ही नाम है चलना
ज़िन्दगी से कदम मिलाये गये हैं
चन्द गुलाबों की खातिर ही
कितना हम काँटों पे चलाये गये हैं
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जब भी पुरानी यादें मुखर होती हैं, तो बहुत से ऐसे वाकये भी याद आते हैं जब आप मुझसे नाराज हुए ! पर सही मायनों में बताऊँ तो आज तक समझ नहीं पाया कि जिस बात को मैं सोच भी नहीं सकता वैसा कैसे और क्यूँ हुआ ! सब गैर-इरादतन होता चला गया ! किसी दुष्ट ग्रह की वक्र दृष्टि और कुछ विघ्नसंतोषी लोगों का षड्यंत्र, कुछ का कुछ करवाता चला गया ! याद आता है तो बहुत दुःख और अजीब सा लगता है, अपने को सही साबित ना कर पाना और दूसरों के कुचक्र को ना तोड़ सकना ! पर जब कुछ-कुछ कोहरा छंटने लगा था तभी आप भी मुझे छोड़ गए!
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सुंदर चर्चा.... आदरणीय रविंद्र सिंह जी हम सबकी प्रथम प्राथमिकता हमारा अपना स्वास्थ्य और परिवार के स्वास्थ्य हैं इसीलिए सबसे पहले इस पर ध्यान देना चाहिए इस बार करोना महामारी पिछली बार की अपेक्षा और ज्यादा खतरनाक है हम सबको सुरक्षित रहना चाहिए सावधानी हर वक्त बरतनी चाहिए मेरे परिवार में भी करोना से परेशानियां चल रहा है इसलिए मुझे मालूम है कि बीमारी बहुत ही खतरनाक है पर सावधानी और सुरक्षित रहने से सारी परेशानियों का हल जरूर होता है बाकी ऊपरवाला सब को स्वस्थ रखें ऐसी मंगल कामना..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका।हार्दिक शुभकामनाएं।सभी लिंक्स बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंbhut bdiya post likhi hai aapne Ankitbadigar ki traf se dhanyvaad
जवाब देंहटाएंजी बहुत आभार आपका रवींद्र जी...। सभी रचनाओं का अच्छा चयन है... लेकिन पहले सभी अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें...।
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल करने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल करने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल करने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल करने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल करने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक लिंक्स चयन । आज की प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने हेतु सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं की चर्चा प्रस्तुति। मेरी रचना को प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंखूबसूरत संकलन ! सम्मिलित करने हेतु हार्दिक और अनेकानेक धन्यवाद ! सभी जन सुरक्षित व स्वस्थ रहें, यही विनती है प्रभु से
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बेहतरीन है।
जवाब देंहटाएंखासतौर पर "कांपते हाथों का दोबारा मिलना" बहुत-बहुत-बहुत ही बेहतरीन है।
मैं चाहूँगा कि यहाँ आने वाले सभी पाठक एक बार इसको जरूर पढ़ें।