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Saturday, May 15, 2021

'मंजिल सभी को है चलने से मिलती' (चर्चा अंक-4066)

 सादर अभिवादन। 

शनिवारीय चर्चा अंक में आपका स्वागत है। 

आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित चंद चुनिंदा रचनाएँ-

ग़ज़ल "राह में चलते-चलते" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

मंजिल सभी को है चलने से मिलती

ठहरना नहींराह में चलते-चलते

 रखना नजर प्यार की मुख़्तसर सी

भड़कना नहींराह में चलते-चलते

--

हासिल ...

देखती हूँ खुद को मैं, औ   

सोचती  हूँ   मूंद  पलकें 
क्या तुझे  हासिल हुआ ,औ 
क्या   मुझे  हासिल   हुआ ।।

--

तुम्हारे बिना ईद | कविता | डॉ शरद सिंह

देर तक माथापच्ची करतीं कि
क्या ले चलें उपहार
ये ठीक रहेगा
या वो ठीक रहेगा
दीदी, सच कहूं आंखें भर आती थीं
तुम्हारा आपा से बहनापा देख कर

--

जीवन की डगर

अब छोड़ दिया  उलझनों को  

परमपिता परमेश्वर के हाथों में

खुद को भी  समेट  लिया जीवन के प्रपंचों से दूर

  भक्ति का मार्ग चुना है  निर्भय कंटकों से दूर |

--

दिल या दिमाग ?

क्या कहना उस वक्त का 

उसे भी हराकर बात बढ़ी 

दोस्तों संग फिर कब होंगे 

आमने-सामने पता नहीं 

पर चैटिंग करते दिन पुराने 

कॉलेज के यादों में चला गया 

उम्मीद पर कायम है दुनिया 

--

सजा भाग-12

बन्नी माँ बाबुल की जान 

बन्ना जी उसका दिल न दुखाना

बन्नी अपने दादाजी की शान

बन्ना जी लेने घोड़ी पे आना

--

 Cytokine storme साइटोकाइन तूफान क्या होता है 

साइटोकाइन तूफान या cytokine storme चिकित्सा विज्ञान से संबंधित एक शारीरिक समस्या है जिसमें व्यक्ति का प्रतिरोधी तंत्र (Immune system) शरीर पर हमला करने वाले बाहरी आक्रांताओं (pathogens) जैसे वायरस और बेक्टेरिया के प्रति इतना अधिक सक्रिय हो जाता हैं कि यह शरीर में बहुत अधिक सूजन पैदा कर देता हैं और व्यक्ति का इम्यून सिस्टम pathogens से लड़ने के बजाय स्वयं के शरीर से लड़ने लगता हैं ।
साइटोकाइन तूफान cytokine storme को Cytokine Release Syndrome (C.R.S.) भी कहते हैं।
--

मन के किवाड़ों पर

अवसाद की कुंडी के सहारे 

जड़ा है साँकल से मौन!

शिथिल काया की विवशता 

सूनेपन को समीप बैठा  

लाड़ लड़ाती है कविता।।

--
उम्रदराज़

अकेलेपन में चीखते

चेहरों का समाज है।

सूखे और बेजान

शरीर

एक - दूसरे

को समझा रहे हैं

अपना-अपना समाजवाद।

--

एक और इतिहास ...

और फिर सबमें

एक चुपचाप

शब्दयुद्ध ठन जाएगा 

भूलाने लायक

बहुत सारी बातें

कहीं हाशिए में

नामोनिशान मिटा कर

दफन कर दिया जाएगा

--


आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे अगली प्रस्तुति में। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


10 comments:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति। कृपया एक बार अविनाश तिवारी जी के अविकाव्य ब्लॉग पर नजर डाले। एक से एक बेहतरीन कविताएं मिलेंगी।
    👇
    http://avikavya.blogspot.com/?m=1

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  2. सुप्रभात
    बहुत सुन्दर अंक आज का |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवादरवीन्द्र जी |

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  3. सुप्रभात रवींद्र जी...मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभारी हूं। सभी रचनाकारों को खूब बधाई।

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  4. चर्चा मंच में मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र सिंह यादव जी 🙏

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  5. आभार रविन्द्र जी । कुछ नए लिंक्स दिख रहे हैं। जाते हैं पढ़ने ।

    ReplyDelete
  6. सुंदर संकलन के लिए आभार रवीन्द्र जी

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  7. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

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  8. मधुर-तिक्त सूत्रों का सुन्दर संयोजन के लिए हार्दिक बधाई एवं धन्यवाद । सबों के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  9. बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

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  10. रविन्द्र जी, व्यक्तिगत व्यस्तता की वजह से आपकी टिप्पणी पढ़ने में देरी हुई इसके लिए क्षमा मुझे बहुत खुशी हुई कि आपने आपके मंच पर स्थान दिया। धन्यवाद।

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