सादर अभिवादन !
रविवार की प्रस्तुति में आप सभी प्रबुद्धजनों का पटल पर हार्दिक अभिनन्दन !
आज चर्चा की शीर्षक पंक्ति - "माँ के आँचल में सदा, होती सुख की छाँव।।" आ. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'जी के दोहे से ली गई है ।
मातृ दिवस के उपलक्ष्य में आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ । समस्त मातृशक्ति को सादर नमन । माँ की ममता सिक्त सुधियों को समर्पित हृदयोद्गारों के साथ आज की चर्चा का शुभारंभ करती हूँ -
सुन मेरी माँ~
नैसर्गिक आनंद
तेरा आंचल ।
माँ मेरे लिए~
बरगद की छांव
था तेरा अंक ।
"मीना भारद्वाज"
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आइए अब बढ़ते हैं आज के चयनित सूत्रों की ओर-
दोहे -मातृ-दिवस -डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
लालन-पालन में दिया, ममता और दुलार।
बोली-भाषा को सिखा, करती माँ उपकार।।
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जगदम्बा के रूप में, रहती है हर ठाँव।
माँ के आँचल में सदा, होती सुख की छाँव।।
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सुख-दुख दोनों में रहे, कोमल और उदार।
कैसी भी सन्तान हो, माँ देती है प्यार।।
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सज्दे में झुका शीश,
दुआ बन जाती है माँ
ज़िंदगी के तमाम ग़म,
सीने से लगा भुला देती माँ
चोट का मरहम, दर्द की दवा,
सुबह की गुनगुनी धूप है माँ
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कैसे समझाऊँ उन सभी भटकें बच्चों को कि -माँ का गुणगान छोडो और जा कर एक बार अपनी माँ के कलेजे से लग जाओ ,उनकी आत्मा को सुकून देदो ,एक बार प्यार से "माँ" बोल दो, हो गई उनकी सारी पूजा, सारा गुणगान ,ढेरों दुआओं से तुम्हारा दमन भर देगी माँ "
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अनंत है सृष्टि का विस्तार
अरबों-खरबों आकाशगंगाएं हैं अपार
जिनमें अनगिनत तारा मण्डल
और न जाने कितनी पृथ्वियाँ होंगी
कितने सौर मण्डल
जानते हैं इस ब्रह्मांड के बारे में कितना कम
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ऐसी ‘हिम्मत’ सिर्फ़ एक ‘माँ’ ही कर सकती है!!
यह मेरी आप बीती है। 'मदर्स डे' (9 मई को है) पर मेरी मम्मी के 'हिम्मत' की कहानी मैं सभी को बताना चाहती हूं...यदि मेरी मम्मी ने उस वक्त हिम्मत नहीं दिखाई होती तो आज मैं अपने पैरों से चल नहीं सकती थी! चलना तो दूर की बात है, शायद मैं जिंदा भी नहीं होती...!! सचमुच ऐसी हिम्मत सिर्फ़ एक माँ ही कर सकती है!!!
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मास्क
दो गज की दूरी
अपनों से दूर रहने की मजबूरी
कैद में किलकारी
मित्रों की यारी
ऐसे भी होंगे दिन
ये तो सोचा न था...!!
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फिर गुलाबी फूल ,कलियों से लदेंगी नग्न शाखें
ज्ञान और विज्ञान
का सब दम्भ
कैसे है पराजित ,
प्रकृति के
उपहास का यह
लग रहा परिणाम किंचित ,
अब घरों की
खिड़कियाँ हैं
जेल की जैसे सलाखें |
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कठपुतली होने की विवशता .........
जीवन को कुछ अलग हटकर देखने से यही लगता है कि यह आजीवन केवल सहन करने का ही काम है । जैसे बोझ ढोने वाले जानवरों पर उनसे पूछे बिना किसी भी तरह का और कितना भी वजन का बोझ डाल दिया जाता है । फिर पीछे से हुड़का कर, डरा कर या डंडा मार-मारकर बिना रूके हुए चलाया जाता है, ठीक ऐसा ही जीवन है ।
***
धरा पे सब जाने,
मानव से हुआ है पाप।
तभी हे मनमोहन,
रूठे तो नहीं प्रभु आप।१।
पुकारे धरती माँ,
चीखें गूँजती हर ओर।
अँधेरा यह कैसा,
दिखती अब नहीं शुभ भोर।२।
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पिता-पुत्री ने मिलकर साथ
कोरोना से पा लिया निजात
खुशी बहुत है हर्ष अगाध
स्वस्थ रहे बस यही है आश.
कौन श्रेष्ठ है कौन हीन है
कहर झेलती ये जमीन है
***
उसे कहो,
वापस घर जाए,
क्या उसे नहीं मालूम
कि कोरोना के हालात में
बहुत ज़रूरी न हो,
तो घर में ही रहना बेहतर है?
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घर पर रहें..सुरक्षित रहें..,
अपना व अपनों का ख्याल रखें,
आपका दिन मंगलमय हो…,
फिर मिलेंगे 🙏
"मीना भारद्वाज"
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, मीना दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी 🙏🌹 सादर
जवाब देंहटाएंमातृत्व दिवस के अवसर पर सुंदर भुमिका के साथ श्रमसाध्य प्रस्तुति आदरणीय मीना जी, मेरी पुरानी रचना को भी स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद, सभी मातृत्व सत्ता को सत-सत नमन
जवाब देंहटाएंमातृ दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें, सुंदर पठनीय रचनाओं का चयन, आभार !
जवाब देंहटाएंमातृदिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी जल्द स्वस्थ हो घर लौटें यही प्रभु से विनती है !
नैसर्गिक आनन्द भरी प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ । सबों के लिए मंगलकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंमातृदिवस पर बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भूमिका के साथ सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय मीना दी।मेरी पुरानी भूली बिसरी रचना को स्थना देने हेतु दिल से आभार ।
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर सूत्रों से सजा आज का अंक पठनीय तथा सराहनीय है,आपको बहुत शुभकामनाएं, आदरणीय मीना जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर एवं सार्थक रचनाओं की प्रस्तुति। मैंने प्रत्येक रचनाओं को पढा...इनके एक-एक शब्द बोल रहे हैं। सबने बेहतरीन विचार रखा है। सभी रचनाकारों को शुभकामना।
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