सादर अभिवादन।
गुरुवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
भारत
करोना से लड़ रहा है
इज़राइल
आत्मरक्षा का कवच ओढ़कर
फिलिस्तीन से लड़ रहा है
लड़ते-लड़ते
कभी न थकेगी दुनिया।
आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित चंद ताज़ा-तरीन रचनाएँ-
"सुखी जीवन का मन्त्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
अगर कुछ नही था
तो वह था
अपनों का निश्छल प्यार
सुख का जीवन भी
बन गया था भार
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कृष्ण के दीवाने हो गये...
द्रौपदी के चीर में
देवकी की पीर में
यसोदा के ममत्व में
कण-कण में व्यप्त कृष्ण....
भाव में विभोर.....
नयनअश्रु ढरक गए.....
कृष्ण कहते कहते कृष्णमय हो गये।।
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स्त्री बांधकर रखती है अपनी चुन्नी में
स्त्री के कारण ही
जीवित होता है
नया सृजन
कायम रहती है दुनिया
क्योंकि स्त्री
अपनी चुन्नी में
बांधकर रखती है हरदम
निःस्वार्थ प्रेम---
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५६८.आवाज़ें
हाहाकार मचा है चारों ओर,
क्रंदन गूँजता है हवाओं में,
कराहता है कोई आस-पास,
भागती है सायरन बजाती एम्बुलेंस.
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हम हारे तुम जीते गुसैयां (भजन)
आपहिं जनक आपहिं जननी,
आपहिं गुरुवर मेरे गुसैयां।
जग में है सब कुछ झूँठा ,
आपहिं एक सत्य गुसैयां।
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पुनर्यात्रा - -
*****लालबहादुर वर्मा: आखिरी पड़ाव और भविष्य में छलांग: विनोद शाही
मैंने गांधी के हिंद स्वराज को इससे पहले भी कई बार पढ़ा था, पर आपकी इस किताब को पढ़ने के बाद मुझे लगा के उस पर और गहराई से विचार करने की जरूरत है. आपने अनेक नए संदर्भ और प्रश्न उठा दिए हैं. खास तौर पर उसमें 'हिंद स्वराज' पर जो अध्याय हैं, उसे तो हम अलग से एक पुस्तिका के रूप में छाप सकते हैं. इतिहास-बोध निकालते हुए हमने अनेक ऐसी पुस्तिकाएं प्रकाशित की थी और फिर उन्हें बेहद कम मूल्य पर या मुफ्त में भी छात्रों और पाठकों के बीच वितरित किया था. *****उन उम्रदराज शरीरों का मुस्कुरानाआज सूख चुकी उम्र को
मिली है वायु
और
जो
अभी अभी कहीं बारिश में
सावन में
नहाकर आई थी।
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ठहरना जरूरी है
असल मसला उस सवाल का है जो भीतर है और अरसे से अनुत्तरित है. हम जिन्दगी से क्या चाहते हैं? अगर इस सवाल का जवाब ठीक ठीक पता होता है तो वह मिलते ही हम संतुष्ट हो जाते हैं, खुश हो जाते हैं. लेकिन उस सवाल के उत्तर में अगर घालमेल है तो गडबड होती रहेगी.*****
कम्पल्सरी लाइसेंस से जल्द ही आसानी से मिलेगी वैक्सीन
पेटेंट लॉ 1970 के तहत यदि कोई कम्पनी किसी नए प्रोडक्ट की खोज खुद की है तो आपको 20 साल के लिए पेटेंट दिया जाएगा! इस लॉ के तहत ऐसा कोई भी कार्य भारत सरकार आपको करने की इजाज़त देती है जिसके तहत आप अपने प्रोडक्ट और प्रोपर्टी को सिर्फ आप ही बेच सकते हैं! लेकिन पेटेंट ऐक्ट 2005 के तहत यदि आप किसी पूराने प्रोडक्ट के फॉर्मूले में कुछ बदलाव ला कर फिर से 20 साल के लिए पेटेंट चाहते हैं तो आपको पेटेंट नहीं दिया जाएगा! *****
विपदा
ये कैसी विपदा आई
हर ओर अकेलापन
हर घर में ख़ामोशी है
जो छोड़ गए इस जग को
अंतिम विदाई में उनके
गिनती के लोग खड़े हैं
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कविता : इस कड़कते मौसम में
नदियाँ और झरनों को फिर से पुनर्जीवित कराओ,
उन खेतों को फिर से हरित बनाओ।
उन खेतों में फिर से फसल उगवावो,
हे वर्षा एक बूँद जल तो बरसा।
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगली प्रस्तुति में।
रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचनाओं की एकसाथ प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइनमें सबसे बेहतरीन रचना मुझे लगी वो है:"उन उम्रदराज शरीरों का मुस्कुराना"
आभार प्रकाश जी..। ध्यान रखें अपना और परिवार का...।
हटाएंजी बहुत आभार रवींद्र जी...। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए...।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को चर्चा मंच में सामिल करने के लिए आपको तहेदिल से धन्यवाद🙏
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर लिकों का चयन,सादर धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा.आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और अच्छे लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर