शीर्षक पंक्ति: आदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित चंद चुनिंदा रचनाएँ-
"डूबा नया जमाना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
कई बार
अनुभूत पलों का,
मुड़ा-तुड़ा कोई पन्ना ।
बाँचना चाहती हैं आँखें ,
मगर
इज़ाज़त कहाँ देता है ,
जटिल बुनावट वाला विवेक ।
समझदारी के फेर में
कस कर मूंद देता है ,
सुधियों भरा संदूक ।
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चलो इस कोरोना काल में अजनबी बन जाएं हमदोनों (कविता)
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अत्याचार बढ़ा है
बचालो उसे
8. असहज जन
अराजकता फैली
मथुरा जी में
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मैं जमीन कहता हूँ
तुम अपना कद
बताते हो।
मैं आंसुओं के
नमक पर कुछ कहता हूँ
तुम मानवीयता का
देने लगते हो हलफनामा।
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कोरोजीविता के दौर में हर समय शांत रहने वाले कुछ नवगीतकारों को छोड़ कर अधिकांश ने किसान की यथास्थिति पर पूरी निर्भीकता से अपनी अभिव्यक्ति दी| अनामिका सिंह ‘अना’ किसानों की सभी त्रासद स्थितियों का जिम्मेदार पूंजीवाद को मानती हैं-कृषक हितों की बात छलावा/ पूँजीवाद महान|” उनका प्रश्न है कि “उचित मूल्य फसलों का हलधर/ कब-कब हैं लाये” जब भी वह आगे आए हैं, षड्यंत्रों की बलि बेदी पर चढ़ा दिए गए हैं| उचित मूल्य की क्या कहें, सरकार और पूँजीवाद की मिलीभगत में ‘कम’ के लिए भी लाइन में लगे रहते हैं| यदि अनामिका की दृष्टि में “कृषि प्रधान है देश हमारा/ भूखा मगर किसान” तो किसी भी देश और समाज के लिए इससे बड़ी त्रासद स्थिति और क्या होगी कि, जो दूसरों का पेट भर रहा है स्वयं भूखा है|
*****
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
जी आभार आपका आदरणीय रवींद्र जी। मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभारी हूं। सभी रचनाकार साथियों को भी खूब बधाई।
ReplyDeleteसुंदर रचनाओं से सुसज्जित चर्चा । मेरी रचना को भी शामिल करने हेतु सादर आभार । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteआदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी,नमस्कार !
ReplyDeleteआज की सुंदर चर्चा प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई,मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन,सभी रचनाकारों को बधाई,सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
सुप्रभात, कोरोना काल पर समसामयिक रचनाओं के साथ कई अन्य पठनीय रचनाओं की खबर देती सुंदर चर्चा ! आभार !
ReplyDeleteआ. डा. वर्षा जी के निधन की खबर पाकर स्तब्ध हूँ। कई बार उनकी प्रतिकियाओं ने मुझे प्रेरित किया है। उनकी असामयिक मृत्यु ब्लॉग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
ReplyDeleteईश्वर से उनकी दिवंगत आत्मा हेतु शांति की प्रार्थना करता हूँ।
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यह चर्चा मंच बहुत सार्थक है। ब्लॉग पढ़ने और ब्लॉग लेखन की ओर प्रेरित करने वाला आयोजन! साधुवाद!--ब्रजेंद्रनाथ
ReplyDeleteआ डॉ वर्षा जी के निधन पर मर्माहत हूँ। ब्लॉग जगत की एक मजबूत कड़ी टूट गयी। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। ॐ शांति!💐!--ब्रजेंद्रनाथ
उम्दा चर्चा। वर्षा दीदी के निधन का समाचार अविश्वनीय है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
ReplyDeleteउम्दा चर्चा |वर्षा जी आज हमारे बीच नहीं हैं |ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति है...
ReplyDeleteबुधवार की पोस्ट पर वर्षा जी के बारे में पढ़ा उसके बाद कुछ भी लिख पाना असंभव।
ReplyDeleteसाधुवाद ।
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