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शुक्रवार, मई 14, 2021

"आ चल के तुझे, मैं ले के चलूँ:"(चर्चा अंक-4065)

सादर अभिवादन ! 

शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी प्रबुद्धजनों का पटल पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !  

आज की चर्चा का शीर्षक "आ चल के तुझे, मैं ले के चलूँ:"

विकास नैनवाल 'अंजान' जी लेख से लिया गया है।

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आइए अब बढ़ते हैं आज के चर्चा सूत्रों की ओर-


"अनुभावों की छिपी धरोहर"

गीत और ग़ज़लों वाला जो सौम्य सरोवर है।

मन के अनुभावों की इसमें छिपी धरोहर है।।


शब्द हिलोरें लेते जब भी इस रीती गागर में,

देता हैं उडेल सब उनको, धारा बन सागर में,

उच्चारण में ठहर गया जीवन्त कलेवर है।

मन के अनुभावों की इसमें छिपी धरोहर है।।

***

फोटो-निबन्ध- आ चल के तुझे, मैं ले के चलूँ: राकेश शर्मा के साथ, देखें ये जल प्रपात

प्रकृति ने अपनी झोली से इतनी सुंदर चीजें बिखेरी हैं कि उन्हें देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है। ये रंग बिरंगे फूल, ये हरे भरे पहाड़, ये नदियाँ, और ये झरने आप देखो तो आपका मन मोह लेते हैं। झरनों के प्रति मेरा विशेष आकर्षण रहा है। ऊँचाई से गिरता पानी खूबसूरत तो लगता ही है लेकिन यह आपको प्रकृति की शक्ति के आगे नतमस्तक भी करता है।

***

"शुक्रिया"

कलम कहती गई 

साथी मिलते गए 

हौसला अफजाई होती गई

दोस्तों का संग मिला 

महफ़िल सजती गई

गुणीजनों का सहयोग मिला 

ज्ञान-गंगा बढ़ती गई 

***

निसर्ग का उलाहना

कैसी विपदा भू पर आई

चंहु ओर तांडव की छाया

पैसे वाले अर्थ चुकाकर

झेल रहे हैं अद्भुत माया

अरु निर्धन का हाल बुरा है

बनता रोज काल का दाना।।

***

बूढ़ी काकी

बहुत थोड़े समय में यह कहानी डेढ़ लाख views पार कर चुकी है. प्रेमचंद की कहानियों के साथ आज भी इतने लोग कनेक्ट करते हैं, इससे यह तो पता चलता ही है कि उनकी कहानियां कालजयी हैं,यह भी पता चलता है कि आज भी हमारे समाज में बूढ़ों की स्थिति ज़्यादा बदली नहीं है.

***

सोचा न था | कविता | डॉ शरद सिंह


कभी सुबह ऐसी भी होगी

सोचा न था

तुम बिन सांसें लेनी होंगी

सोचा न था

आज भी छत पर फूल खिला है

गेंदे का

***

काबिनी के तट पर

कर्नाटक का ग्रामीण जीवन इस यात्रा में बहुत निकट से देखने को मिला है. गांव साफ-सुथरे हैं और गाय-बकरियां आदि काफी स्वस्थ व ऊंची कद काठी के हैं. कल एक गाय के बछड़े को तेज गति से दौड़ते हुए देखा था, कितनी ऊर्जा थी उसमें. पिछली रात एक छोटा बालक भी इसी तरह स्टेज पर चढ़-उतर रहा था.

***

कैसे लिखूँँ चिट्ठी तुम्हें ....

आज फिर तुम्हें ख़त लिखने बैठी हूँ

आज फिर अतीत की वीथियों में भटक रही हूँ

पहले लिखते थे ख़त कलम से

स्याही पेन में भर के तैयार रखते थे

जो खत का मजमून लंबा होता !

***

मरती इंसानियत

मेडिकल स्टोर वाले ने उसकी तरफ तिरछी निगाहों से देखा और बोला "एक ही तो बचा है" और दूसरी साइड खड़े आदमी की ओर इशारा करके बोला "ये पन्द्रह हजार दे रहे हैं,, लेकिन तुम सोलह दे दो तो तुम ले जाओ"

***

का भरोसा बा तोहार | भोजपुरी कविता 

यह भोजपुरी कविता एक बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम, चिंता, ख्याल, एवं पुत्र जैसा व्यवहार का एक संवाद है। जो अपने छोटे भाई को बड़े ही दुलार से कुछ बाते समझा रहा है।

का भरोसा बा तोहार

तू   रख  बऽ   आपन   खयाल

अबहीं   के   समय  बा  बेकार

तू  रखीऽ  दू  हाथ  के  जहान

***

इससे तो बेहतर था धरातल में समा जाती नदी

क्या आखिरकार अब स्वीकार कर लिया जाना चाहिए कि हमारी मानवीयता की सामूहिक हार हो चुकी है, हम वैचारिक तौर पर हार चुके हैं, हम भयाक्रांत होकर विवश हो गए हैं और सबकुछ हमारे हाथों से फिसल रहा है, अगर ये सच नहीं है तो जीवन देने वाली नदी क्यों भोग रही है शवों का भार, क्या ये हमारे तंत्र की हार है ? आखिर ये अपराध किसका है कौन है जिसने नदी में शवों को प्रवाहित कर इस दौर में मानवीयता को गहरा आघात पहुंचाया ।

***

सजा भाग-11

देवराज मीटिंग खत्म करके दिवाकर को फोन लगाते हैं।हाँ बोलो दिवाकर..?

सर कल राज और आराध्या की सगाई होने जा रही है।आपके मन में क्या चल रहा है..? कैसे प्रदीप और..दिवाकर आगे कुछ बोलते उससे पहले देवराज ने उन्हें रोक दिया।

तुम इस समय कहाँ हो दिवाकर..?

सर घर पर हूँ..! क्यों सर..?

***

घर पर रहें..सुरक्षित रहें..,

अपना व अपनों का ख्याल रखें,

आपका दिन मंगलमय हो…,

फिर मिलेंगे 🙏

"मीना भारद्वाज"




       


14 टिप्‍पणियां:

  1. श्रीराम रॉय14 मई 2021 को 1:25 am बजे

    बहुत उत्कृष्ट लिंक का समायोजन। सभी एक से बढ़ कर एक।

    जवाब देंहटाएं
  2. मैं सभी रचनाएँ तो नहीं पढ सका पर जिन्हें मैंने पढ़ा बहुत ही बेहतरीन थीं। पर समयानुसार मैं अवश्य सबको पढूंगा।
    मेरी रचना को इतने बेहतरीन रचनाकारों के बीच में स्थान देने के लिए सहृदय आभार आपका। 🙏🙏 वाकई मेरी रचना को यह सम्मान मुझे प्रोत्साहित कर रही है।

    जवाब देंहटाएं
  3. आभार मीना जी...। बहुत अच्छा संग्रह है...। सभी रचनाकारों को खूब बधाई...।

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार मीना जी...। बहुत अच्छा संग्रह है...। सभी रचनाकारों को खूब बधाई...।

    जवाब देंहटाएं
  5. रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा... मेरी रचना को इस चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार मैम।

    जवाब देंहटाएं
  6. धन्यवाद मैम मेरी रचना को शामिल करने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह ! बहुत ही सुन्दर सूत्रों का संकलन आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को इसमें सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रिय सखी मीना जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बहुत आत्मीय आभार मीना जी चर्चा में मुझे स्थान देने के लिए।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति है ,सभी लिंक बहुत सुंदर।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    सुंदर शीर्षक।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी।

    जवाब देंहटाएं
  10. सबसे पहले तो देरी से आने के लिए क्षमा चाहती हूं मीना जी, बेहतरीन रचनाओं का संकलन है वैसे सभी लिंक पर जाना नहीं हो पाया है,कल जरुर जाऊंगी, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं, मैरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं मीना जी,सादर नमस्कार

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  11. सुंदर प्रस्तुति.मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार.

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  12. चर्चा मंच में मेरी कविता शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद मीना भारद्वाज जी 🙏

    जवाब देंहटाएं

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