सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक आदरणीया सुधा देवरानी जी की रचना से )
प्रकृति नाराज़ हुई पड़ी है....इतनी क्रोधित हुई है कि -
हर तरफ धमा-चौकड़ी मचा रखी है...ऐसे जैसे, एक छोटा बच्चा अपनी मांगो को बार-बार अनदेखा करते देख परिवार को सताने की ठान लेता है...और उधम मचाता फिरता है, अपनी छोटी-छोटी हरकतों से सबकी नाक में दम कर रखा होता है.....
(हाँ,ये प्रकृति का बस ट्रेलर है, धमका रही है कि -अब भी संभल जाओं )
कोरोना के साथ-साथ अभी-अभी आये "ताऊ ते" जी ने जो हमारी हालत खराब की है उसे देखकर तो यही लगता है....खेल रही है प्रकृति माँ हमारे साथ....बच्चों की बदमाशी से तंग आकर कभी-कभी सबक सीखाने के लिए माँ को ऐसा करना ही पड़ता है।
(गुजरात और महाराष्ट्र समेत 7 राज्यों में आया तूफान "ताऊ ते" जी ने मुझे भी परेशान कर रखा था और बिजली -पानी,इंटरनेट सब ठप ,बस यही वजह है कि इतने दिनों से चर्चा मंच पर उपस्थित होने में असमर्थ थी।)
मगर माँ, हम बच्चें ही तो है...गलतियां करनी तो हमारी फितरत है....पर अब, तो क्षमा कर दो....देखो, हम कान पकड़ते है...अब तो सुधर जायेगे...जो अब भी ना सुधरे तो एक ही बार प्रलय ला देना.....
अब दया करो प्रभु सृष्टि पर
भूलों को अबकी क्षमा कर दो!
कोविड व काले फंगस को
दुनिया से दूर फ़ना कर दो
बस, सुधा जी की प्रार्थना के स्वर में स्वर मिलाकर चलते हैं ....
आज की कुछ रचनाओं का आनंद उठाने.....
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अब दया करो प्रभु सृष्टि पर
भगवान तेरी इस धरती में
इंसान तो अब घबराता है
इक कोविड राक्षस आकर
मानव को निगला जाता है
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कोरोना की जंग में आपकी विजय की ढेरों शुभकामनायें शुभा जी
परमात्मा से प्रार्थना है,कोरोना से हर योद्धा जीत जाए
सुनो कवि,
तुम्हें नहीं सुनती कोई कराह,
तुम्हें नहीं सुनता कोई क्रंदन,
पर कितना आश्चर्य है
कि तुम्हें साफ़-साफ़ सुन जाती है
कोयल की कूक.
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एक दिन
केवल थके हुए शरीर होंगे
झुलस चुके
मन
विचार और मानवीयता लेकर।
बिलखते बच्चों को छांह
नहीं दे पाएंगे
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पूँछता है मौन अम्बर झाँक धरती से बता।
प्रासंगिक मनोद्गार समेटे और हृदय पर अपनी छाप स्पष्ट उकेरती हुयी रचनायें।
ReplyDeleteवाह!प्रिय सखी कामिनी जी ,सुंदर चर्चा अंक ।मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।
ReplyDeleteउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
ReplyDeleteआभार आपका कामिनी जी। मेरी रचना को चर्चा में शामिल कर सम्मान प्रदान के लिए। सभी रचनाएं अच्छी हैं।
ReplyDeleteसुंदर चर्चा।मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार ।
ReplyDeleteसुंदर,रोचक तथा पठनीय अंक,श्रमसाध्य कार्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं कामिनी जी ।
ReplyDeleteमंच के सभी विद्वानों को श्रीराम राय का प्रणाम। आप रचनाकारों में उत्साह और उमंग भरते हैं। आपकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
ReplyDeleteचर्चा मंच पर उपस्थित आप सभी स्नेहीजनों को तहेदिल से शुक्रिया, चर्चा मंच के सभी सदस्य थोड़ी बहुत स्वस्थ सम्बंधित समस्या से परेशान हैं, ऐसे समय में आप सभी का साथ हमारा उत्साहवर्धन करता रहता है। आदरणीय रविन्द्र सर के कर्मठता को तो सत सत नमन उन्होंने लागातार सात दिनों तक प्रस्तुति लगाई । शास्त्री सर अब स्वस्थ हो रहें हैं, परमात्मा ने चाहा तो वो बहुत जल्दी हम सभी के बीच उपस्थित होंगे । एक बार फिर से आप सभी का हृदयतल आभार एवं सादर नमस्कार
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचनाओं से सजी लाजवाब एवं श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति... मेरे उद्वेलित मन से उपजी साधारण सी प्रार्थना के शीर्षक को चर्चा का शीर्षक बनाकर मेरी रचना को अपने अनमोल विचारों से विशेष बनाने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी!
ReplyDeleteबहुत सुंदर अंक प्रिय कामिनी। आदरणीय शास्त्री सर एवं सभी चर्चाकार सकुशल एवं स्वस्थ रहें, यही शुभकामनाएँ।
ReplyDeletebahut sunder aati sunder
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