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मंगलवार, मई 25, 2021

"अब दया करो प्रभु सृष्टि पर" (चर्चा अंक 4076)

 सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

(शीर्षक आदरणीया सुधा देवरानी जी की रचना से )

प्रकृति नाराज़ हुई पड़ी है....इतनी क्रोधित हुई है कि -

हर तरफ धमा-चौकड़ी मचा रखी है...ऐसे जैसे, एक छोटा बच्चा अपनी मांगो को बार-बार अनदेखा  करते देख परिवार को सताने की ठान लेता है...और उधम मचाता फिरता है, अपनी छोटी-छोटी हरकतों से सबकी नाक में दम कर रखा होता है.....

 (हाँ,ये प्रकृति का बस ट्रेलर है, धमका रही है कि -अब भी संभल जाओं )

कोरोना के साथ-साथ अभी-अभी आये "ताऊ ते" जी ने जो हमारी हालत खराब की है उसे देखकर तो यही लगता है....खेल रही है प्रकृति माँ हमारे साथ....बच्चों की बदमाशी से तंग आकर कभी-कभी सबक सीखाने के लिए माँ को ऐसा करना ही पड़ता है। 

 (गुजरात और महाराष्ट्र समेत 7 राज्यों में आया तूफान "ताऊ ते" जी ने मुझे भी परेशान कर रखा था और बिजली -पानी,इंटरनेट सब ठप ,बस यही वजह है कि इतने दिनों से चर्चा मंच पर उपस्थित होने में असमर्थ थी।)

मगर माँ, हम बच्चें ही तो है...गलतियां करनी तो हमारी फितरत है....पर अब, तो क्षमा कर दो....देखो, हम कान पकड़ते है...अब तो सुधर जायेगे...जो अब भी ना सुधरे तो एक ही बार प्रलय ला देना.....

अब दया करो प्रभु सृष्टि पर 

भूलों को अबकी क्षमा कर दो!

कोविड व काले फंगस को

दुनिया से दूर फ़ना कर दो

बस, सुधा जी की प्रार्थना के स्वर में स्वर मिलाकर चलते हैं ....

 आज की कुछ रचनाओं का आनंद उठाने.....

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अब दया करो प्रभु सृष्टि पर





भगवान तेरी इस धरती में 

इंसान तो अब घबराता है

इक कोविड राक्षस आकर

मानव को निगला जाता है

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कोरोना की जंग में आपकी विजय की ढेरों शुभकामनायें शुभा जी 

परमात्मा से प्रार्थना है,कोरोना से  हर योद्धा जीत जाए 


कोरोना जंग






इस बंधनकाल नें
बहुत कुछ हमको सिखा दिया 
कैसे जीवन जीना है 
 पाठ यह पढा़ दिया 
 भूल चले थे 
 जिन बातों को 
 याद उन्हें दिला दिया ।
 मिलजुल कर कैसे 
 रहना है ...


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राग-विराग -12.



जीवन की लंबी यात्रा कर वे रामबोला से तुलसी(दास) और तुलसी से गोस्वामी तुलसीदास तक की दूरी तय कर चुके थे .अनेक ग्रंथों का प्रणयन कर लोक में प्रसिद्धि पा चुके थे. उनका व्यक्तित्व यों भी प्रभावशाली था ,गौरवर्ण ,सुगठित लंबी काया अनोखा पाण्डित्य और समर्थ अभिव्यक्ति वे मितभाषी थे ही, गहनता से पूर्ण-गंभीरवाणी प्रभावित करती थे.
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संबल



अनवरत, चला वक्त का रथ,
रूठ चले कितने, अपने, छूट चले कितने,
उनकी ही, मीठी यादों के पल,
उभर आए, बन कर संबल,
यूँ, मैं था,
ज्यूँ, संग मेरे मेरा रब था!

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आज बच्चों के प्रोजेक्ट पैरेंट्स के लिए खासकर माँ के लिए सरदर्द बनते जा रहे है। जितनी बड़ी स्कूल उतने ज्यादा प्रोजेक्ट! स्पर्धा बच्चों के बीच नहीं...पैरेंट्स के बीच होती है! बच्चों को ऐसे ऐसे प्रोजेक्ट दिये जाते है, जिनके लिए वे पूरी तरह माँ पर निर्भर रहते है। क्या ऐसे प्रोजेक्ट्स से बच्चों की रचनात्मकता बढ़ पायेगी? 

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सुनो कवि,

तुम्हें नहीं सुनती कोई कराह,

तुम्हें नहीं सुनता कोई क्रंदन,

पर कितना आश्चर्य है 

कि तुम्हें साफ़-साफ़ सुन जाती है 

कोयल की कूक. 


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वृक्ष की मौत एक सदी की मौत है



एक दिन

केवल थके हुए शरीर होंगे

झुलस चुके

मन

विचार और मानवीयता लेकर। 

बिलखते बच्चों को छांह 

नहीं दे पाएंगे


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पूँछता है मौन अम्बर झाँक धरती से बता।




रामायण में वर्णित एक गिलहरी की कहानी सब जानते हैं कि -रामसेतु पुल बनाने में कैसे उसने अपना छोटा सा ही सही योगदान दिया था। यदि हम वो गिलहरी भी बन जाए और अपने हिस्से का फर्ज निभा ले तो स्थिति बहुत हदतक सुधर सकती है।


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आज का सफर यही तक.....

आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें 
परमात्मा हम सभी पर अपनी कृपादृष्टि बनाये रखें 
कामिनी सिन्हा 

11 टिप्‍पणियां:

  1. प्रासंगिक मनोद्गार समेटे और हृदय पर अपनी छाप स्पष्ट उकेरती हुयी रचनायें।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह!प्रिय सखी कामिनी जी ,सुंदर चर्चा अंक ।मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार आपका कामिनी जी। मेरी रचना को चर्चा में शामिल कर सम्मान प्रदान के लिए। सभी रचनाएं अच्छी हैं।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर चर्चा।मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर,रोचक तथा पठनीय अंक,श्रमसाध्य कार्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं कामिनी जी ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. चर्चा मंच पर उपस्थित आप सभी स्नेहीजनों को तहेदिल से शुक्रिया, चर्चा मंच के सभी सदस्य थोड़ी बहुत स्वस्थ सम्बंधित समस्या से परेशान हैं, ऐसे समय में आप सभी का साथ हमारा उत्साहवर्धन करता रहता है। आदरणीय रविन्द्र सर के कर्मठता को तो सत सत नमन उन्होंने लागातार सात दिनों तक प्रस्तुति लगाई । शास्त्री सर अब स्वस्थ हो रहें हैं, परमात्मा ने चाहा तो वो बहुत जल्दी हम सभी के बीच उपस्थित होंगे । एक बार फिर से आप सभी का हृदयतल आभार एवं सादर नमस्कार

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  9. उत्कृष्ट रचनाओं से सजी लाजवाब एवं श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति... मेरे उद्वेलित मन से उपजी साधारण सी प्रार्थना के शीर्षक को चर्चा का शीर्षक बनाकर मेरी रचना को अपने अनमोल विचारों से विशेष बनाने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी!

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर अंक प्रिय कामिनी। आदरणीय शास्त्री सर एवं सभी चर्चाकार सकुशल एवं स्वस्थ रहें, यही शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं

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