सादर अभिवादन।
बुधवारीय अंक में आपका स्वागत है।
करोना
का
क़हर
क्या
कम
था
जो तूफ़ान भी आ गया।
आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित चंद चुनिंदा रचनाएँ-
"जी हाँ मैं नारी हूँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
दुनिया ने मुझेमात्र अबला मान लिया है,और केवलभोग-विलास कीवस्तु जान लिया है!यही तो है मेरी कहानी,आँचल में है दूधऔर आँखों में पानी!*****कभी कहना मान कर देखोअंतर समझ में आ जाएगा
तुम चाहते हो क्या सब सेयह भी स्पष्ट हो जाएगा |
उधर इस संघर्ष के दौरान भारत में बहस है कि हम संयुक्त राष्ट्र में किसका साथ दे रहे हैं, इसराइल का या फलस्तीनियों का? भारतीय प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने रविवार को सुरक्षा परिषद में जो बयान दिया था, उसे ठीक से पढ़ें, तो वह फलस्तीनियों के पक्ष में है, जिससे इसराइल को दिक्कत होगी। साथ ही भारत ने हमस के रॉकेट हमले की भी भर्त्सना की है।*****
बहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसुंदर पठनीय अंक,श्रमसाध्य कार्य हेतु सादर शुभकामनाएं रवींद्र यादव जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और श्रमसाध्य प्रस्तुति । सादर नमन!
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
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