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Friday, May 28, 2021

"शब्दों की पतवार थाम लहरों से लड़ता जाऊँगा" ( चर्चा - 4079)

सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

(शीर्षक और भूमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से )

भावों की अविरल धारा में,
मैं डुबकी खूब लगाऊँगा।
शब्दों की पतवार थाम,
लहरों से लड़ता जाऊँगा।

शास्त्री सर जी जंग जीत चुकें है और बहुत जल्द पूर्ण स्वस्थ होकर 
हम सब के बीच उपस्थित होंगे,तब तक....  
मन में आशा और विश्वास की ऊर्जा का संचार करने वाली 
 उनकी इस सुंदर रचना का आनंद उठाए.... 

"शब्दों की पतवार थाम लहरों से लड़ता जाऊँगा" 



जो मेरे मन को भायेगा,
उस पर मैं कलम चलाऊँगा।
दुर्गम-पथरीले पथ पर मैं,
आगे को बढ़ता जाऊँगा।।

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काश, मनमोहन कोई धुन बजा दे...और जीवन से ये दर्द मिटा दे खैर,
जिज्ञासा जी की कलम से निकली ये मधुर धुन थोड़ी देर के लिए 
आपके मन को शीतलता जरूर प्रदान करेगी  

मधुर धुन



ऐसी कौन मधुर धुन गाए
सुन सुन मोरा जिय हुलसाए

कभी लगे बाँसुरिया बाजे
कभी पखावज की धुन साजे
लगे कन्हैया नाचत आए

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"यह नीड़ नहीं, दिल मेरा है
आंगन में तेरे उकेरा है"
 आज हर आँगन में ऐसे ही एक नीड़ की जरूरत है 
जहां सिर्फ प्यार का बसेरा हो,और कुछ नही.....


नीड़

बस पल थोड़ा बीत जाने दे,
खुशियों के गीत चंद गाने दे।
क्षणभंगुर ही सही, हमें बस!
बन बसंत तू छा जाने दे।
फिर कालग्रास बन जाएंगे,
आँगन छोड़ यह जाएंगे।
आज बसंत, फिर कल पतझड़,
यही! यहाँ का फेरा है।


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कही प्रेम दूर है, कही दुरी में भी प्रेम है.......

५७१. कोरोना, प्रेम और दूरी



ठीक करती हो तुम 

कि दूर रहती हो मुझसे,

हो सकता है बच जाओ,

पर संभलकर रहना,

मैंने सुना है,

आजकल कोरोना हवाओं में है. 


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काश,कान पकडने के बाद भी बच्चों को सबक मिल जाए.....

 धरती माँ ने पकड़े कान | हिन्दी कविता | योगेश मित्तल




धरती माँ ने पकडे कान,
काहे पैदा किया इंसान! 

भाई से भाई लड़ता है,
बेटा बाप पे अकड़ता है!
धन-दौलत की खातिर इन्सां,
अपनों के सीने चढ़ता है! 


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रेत का शहर - -



सत्य एक दिन, भुरभुरी ज़मीन
पर, सैलाब का पानी नहीं
होता है गहरा, निष्प्राण
आईना तलाशता है
इक अदद
चेहरा।


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भोर को रूठा हुआ-सा

चैनलिया घालमेल




देश में पहला प्राइवेट टीवी न्यूज चैनल ला खबरों को रोचक बनाने का श्रेय पूरी तौर से जाता है प्रणय रॉय को ! यही वो शख्स है जिसने भारत में होने वाले चुनावों और उनके परिणामों को टीवी पर सबसे पहले लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई। अपार सफलता पाने के बाद इन्होंने 1988 में जिस NDTV नाम के अपने प्रोडक्शन हाउस की स्थापना की थी, वह अब एक बड़े मीडिया घराने में बदल गया है 

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दुनिया ने सिखाया कैसे
सब कुछ हासिल करना
पर किसी ने ना सिखाया
ना मिले तो आगे बढ़ें कैसे ?

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मन की बात



मन में रावण पलता सबके,

ऊपर से बनते हैं राम।

सदियाँ कितनी बीत गई हैं,

कब पूरे होते हैं काम।


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चलते-चलते ज्योति जी की मजेदार रेसिपी का आनंद उठाये...

आलू साबूदाना पापड़ (Aloo sabudana papad)



आलू साबूदाना पापड़ आप बिना धुप के भी बना सकते है। ये पापड़ पंखे की हवा में भी अच्छे से सूख जाते है और इन्हें आप उपवास में भी खा सकते है। ये बहुत ज्यादा करारे, पतले और स्वादिष्ट बनते है। तो आइए, बनाते है आलू साबूदाना पापड़ (Aloo sabudana papad) 


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12 comments:

  1. सुप्रभात !
    कामिनीजी आपको मेरा हार्दिक नमस्कार,
    आदरणीय शास्त्रीजी की मनोबल बढ़ाती सुंदर कविता से आगाज होता आज का अंक विविधतापूर्ण और सुंदर शब्दावलियों से सुशोभित रचनायें मन मोह गई ।
    आपके श्रमसाध्य कार्य तथा मेरी रचना के चयन के लिए आपका बहुत शुक्रिया,सभी रचनाकार स्वस्थ रहें और अपनी लेखनी की दीप्ति जगमगाते रहें, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ जिज्ञासा सिंह ।

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  2. अत्यंत सार्थक, सुंदर और सायास संकलन!!! बधाई और आभार!!!

    ReplyDelete
  3. आदरणीय शास्त्री जी, स्वस्थ्य जो रहे है यह जानकर बहुत खुशी हुई। ईश्वर उनको और जल्दी स्वस्थ्य करे यही ईश्वर से प्रार्थना है।

    उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।

    ReplyDelete
  4. सुंदर प्रस्तुति.मेरी रचना के चयन के लिए शुक्रिया.

    ReplyDelete
  5. विविधता भरे पठनीय सूत्र

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
    आदरणीय शास्त्रीय के स्वास्थ्य लाभ का पढ़ कर बहुत खुशी हुई।
    वे शीघ्र पूर्ण स्वस्थ होकर सक्रिय हों ऐसी शुभकामना हैं
    सादर।

    ReplyDelete
  7. आदरणीय शास्त्रीजी के स्वास्थ्य लाभ का समाचार पढ़कर संतोष हुआ एवं प्रसन्नता भी।

    भावों की अविरल धारा में,
    मैं डुबकी खूब लगाऊँगा।
    शब्दों की पतवार थाम,
    लहरों से लड़ता जाऊँगा।
    सकारात्मक प्रेरणादायी पंक्तियों से अंक का प्रारंभ, सुंदर रचनाओं का चयन एवं बेहतरीन प्रस्तुति। बहुत अच्छा चर्चा अंक।

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  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी।

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  9. बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति

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  10. आप सभी गुणीजनों का मंच पर उपस्थित होना सुखद है,आज के परिवेश में एक पठन-पाठन ही सबसे बड़ा सहारा है और इसी माध्यम से हम सब आपस में जुड़ें भी है और इस जुड़ाव ने हमें अनदेखे बंधन में बाँध रखा है जहाँ हम एक दूसरे के लिए फिक्रमंद हो जाते हैं।
    आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया एवं सादर नमन

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  11. बहुत ही खुशी की बात है कि आदरणीय शास्त्री जी स्वस्थ हो रहे हैं आपने यह सुखद समाचार हम लोगों के बीच दिया बहुत-बहुत धन्यवाद

    शानदार प्रस्तुति के लिए आपका आभार

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