मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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आज की चर्चा में देखिए-
कुछ अद्यतन लिंक!
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वर दे ध्यान तेरा
कमलासनी
सिंह वाहनी
ऊंचा भवन तेरा
कैसे पहुँचू
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नसीहत कचोटती है
”अब किसी को कुछ कहो तो लगता है नसीहत से कचोटती है, भाई साहब की छवि है वीर में, इसे आर्मी ज्वाइन क्यों नहीं करवाते? अब कहोगे वीर ही क्यों...?”
इस तंज़ से उत्पन्न बिखराव के एहसास से परे प्रमिला निवाला मुँह में लेते हुए कहती है।
" आती हूँ मैं...।”
अवदत् अनीता "अनीता सैनी"
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चटख मौसम,किताबें,फूल,कुछ किस्सा,कहानी है
मोहब्बत भी किसी बहते हुए दरिया का पानी है
नहीं सुनती ,नहीं कुछ बोलती ये चाँदनी गूँगी
मगर जूड़े में बैठी गूँथकर ये रात रानी है
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मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम की रचना हैं यही नववर्ष की शुभकामनायें
सब सुखी हों स्वस्थ हों उत्कर्ष पायें हैं यही नववर्ष की शुभकामनायें
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कदम-कदम पर जब हम अपने चारों ओर एक-दूसरे को लूटने-खसोटने की प्रवृत्ति देख रहे हैं, तो ऐसे में इस तरह के दृष्टान्त गर्मी की कड़ी धूप में आकाश में अचानक छा गये घनेरे बादल से मिलने वाले सुकून का अहसास कराते हैं। मैं चाहूँगा कि पाठक मेरा मंतव्य समझने के लिए सन्दर्भ के रूप में अख़बार से मेरे द्वारा लिए संलग्न चित्र में उपलब्ध तथ्य का अवलोकन करें Gajendra Bhatt--
Watch: पाकिस्तान में जो डेमोक्रेसी की बात करे उसे...
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इतिहास तो अंततः सभी का एक ही है
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ओमिक्रॉन की पहेली, कितना खतरनाक?
कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का असर अब अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, एशिया और यूरोप समेत करीब 100 देशों पर दिखाई पड़ रहा है। अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर हैल्थ मीट्रिक्स एंड इवैल्युएशन (आईएचएमई) का अनुमान है कि अगले दो महीने में इससे संक्रमित लोगों की संख्या तीन अरब के ऊपर पहुँच जाएगी। यानी कि दुनिया की आधी आबादी से कुछ कम। यह संख्या पिछले दो साल में संक्रमित लोगों की संख्या से कई गुना ज्यादा होगी। जिज्ञासा
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कितने ही किस्म के होते हैं रंग
कुछ मिलते हैं बाजारों में
कुछ समाये हैं हमारे किरदारों में
बाजारों के रंग खुलेआम दिखते हैं
किरदारों के रंग आवरण में छुपतें हैं
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सारा दिन वह अपने-आप को किसी न किसी बात में व्यस्त रखता था; पुराने टूटे हुए खिलौनों में, पेंसिल के छोटे से टुकड़े में, एक मैले से आधे कंचे में या एक फटी हुई फुटबाल में. लेकिन शाम होते वह अधीर हो जाता था.
लगभग हर दिन सूर्यास्त के बाद वह छत पार आ जाता था और घर से थोड़ी दूर आती-जाती रेलगाड़ियों को देखता रहता था.
“क्या पापा वो गाड़ी चला रहे हैं?”
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समीक्षा - कविता संग्रह - यूँ ही अचानक कुछ नहीं घटता
कविता रावत का कविता संग्रह -
यूँ ही अचानक कुछ नहीं घटता -
कई मामलों में विशिष्ट कही जा सकती है. संग्रह की कविताएँ वैसे तो बिना किसी भाषाई जादूगरी और उच्चकोटि की साहित्यिक कलाबाजी रहित, बेहद आसान, रोजमर्रा की बोलचाल वाली शैली में लिखी गई हैं जो ठेठ साहित्यिक दृष्टि वालों की आलोचनात्मक दृष्टि को कुछ खटक सकती हैं, मगर इनमें नित्य जीवन का सत्य-कथ्य इतना अधिक अंतर्निर्मित है कि आप बहुत सी कविताओं में अपनी स्वयं की जी हुई बातें बिंधी हुई पाते हैं, और इन कविताओं से अपने आप को अनायास ही जोड़ पाते हैं.
एक उदाहरण -
मैं और मेरा कंप्यूटर
कभी कभी
मेरे कंप्यूटर की
सांसें भी हो जाती हैं मद्धम
और वह भी बोझिल कदमों को
आगे बढ़ाने में असमर्थ हो जाता है
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हर भाव तुझे अर्पित मेरा
हर सुख-दुःख भी तुझसे संभव,
यह ज्ञान और अज्ञान सभी
तुझ एक से प्रकटा है यह भव !
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"ज़िन्दगी तो बेवफा है, एक दिन ठुकराएगी
मौत महबूबा है अपने साथ लेकर जाएगी"
जी हाँ, मौत महबूबा ही तो है वो कभी आप का पीछा नहीं छोड़ती और महबूबा के साथ जाने में कैसा डर कैसी घबड़ाहट.... मगर,क्या इतना आसान होता है "मौत"को महबूबा समझना?
"मौत" एक शाश्वत सत्य..जो एक ना एक दिन सबको अपने गले से लगा ही लेती है। "मौत" शरीर की होती है आत्मा की नहीं...आत्मा तो अजर अमर अविनाशी है।"मौत"जो अंत नहीं एक नव जीवन का आरंभ है.....
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कविता "खिल जायेंगे नव सुमन, उपवन मुस्कायेगा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आज के लिए बस इतना ही...!
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बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आपका बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा आज की |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
आदरणीय शास्त्री जी, प्रणाम👏👏
जवाब देंहटाएंवैविध्यपूर्ण, सुंदर मोहक अंक सजाने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन । मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद । सादर शुभाकामनाएं 💐💐🙏🙏
नव वर्ष के लिए शुभकामनाएँ, विविध विषयों से सजा सुंदर चर्चा मंच, आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसार्थक व जानकारीपरक अंक! मेरी रचना को इस अंक में स्थान देने के लिए आ. मयंक जी का आभार!
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनववर्ष मंगलमय हो
श्रमसाध्य प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री सर जी, मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार
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