मित्रों! शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए बिना किसी भूमिका के कुछ अद्यतन लिंक।
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हम 'जप, माला, छापा, तिलक आदि की महत्ता क्यों अस्वीकार कर दें?
मेरा एक प्रस्ताव है –
तीर्थ यात्रा, गंगा-स्नान, हज्ज, दरवेशों की दरगाहों की ज़ियारत, रविवार को नियमित रूप से चर्च जाना, गुरु पर्व पर गरीबों को भोजन कराने से और दरबार साहब में मत्था टेकने से, जैन धर्मावलम्बियों के लिए सम्मेद शिखर की परिक्रमा करने से यदि भगवान-ख़ुदा-गॉड-वाहेगुरु के दरबार में सारे पाप धुल जाते हैं तो ऐसी ही व्यवस्था अदालतों में भी कर दी जाने चाहिए.
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दोहे "मकर संक्रान्ति-विविधताओं में एकता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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”माइंड को लोड क्यों देने का साहेब?”
नर्स डॉ. रमेश के साथ
केबिन से बाहर निकलते हुए कहती है।
"बच्ची ने कुछ खाया?”
डॉ. रमेश निक्की की ओर संकेत करते हुए कहते हैं।
”नहीं साहेब! आजकल के बच्चे कहाँ कुछ सुनते हैं?
बार-बार एक ही नम्बर डायल कर रही है, अपने पापा का।"
नर्स दोनों हाथ जैकेट में डालते हुए
शब्दों की चतुराई दिखाने में व्यस्त हो जाती।
"साहेब मुझे लागता है बच्ची मराठी छै;
बार-बार बच्ची आई-बाबा बोलती।”
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मकर राशि में सूर्य जब, करें स्नान अरु दान।
उत्सव के इस देश में, संस्कृति बड़ी महान ।।
सुत की मङ्गल कामना, माता करे अपार।
तिल लड्डू को पूज कर,करे सकट त्यौहार।।
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मकर संक्रांति का त्यौहार-बीना सिंह- srisahitya *पूरब दिशा में अद्भुत* *लगता सूरज की लाली है* *चंदन रोली अक्षत संग* *तिलगुड़ की सजाई थाली है* श्रीसाहित्य
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लोहड़ी का पर्व और अतीत की कुछ यादें
लोहड़ी का पर्व देश के कई भागों में धूमधाम से मनाया जाता है. पर जिस रूप में यह त्यौहार कभी मेरे जन्म-स्थान जम्मू में मनाया जाता था वह रूप सबसे अलग और निराला था.
लोहड़ी से कई दिन पहले ही लड़कों की टोलियाँ बन जाती थी हर टोली मैं पाँच-सात लड़के होते थे . हर टोली एक सुंदर “छज्जा” (यह डोगरी भाषा का शब्द है और हो सकता है इसको लिखने में थोड़ी चूक हो गई हो) बनाती थी. पतले बांसों को बाँध कर एक लगभग गोलाकार फ्रेम बनाया जाता था जिसका व्यास साथ-आठ फुट होता था. फ्रेम पर गत्ते के टुकड़े बाँध दिए जाते थे, जिनपर रंग-बिरंगे कागज़ों से बने फूल या पत्ते या अन्य आकृतियों को चिपका दिया जाता था. सारे फ्रेम को रंगों से और कागज़ की बनी चीज़ों से इस तरह भर दिया जाता था कि एक आकर्षक, मनमोहक पैटर्न बन जाता था. फ्रेम के निचले हिस्से में एक मोर बनाया जाता. पूरा होने पर ऐसा आभास होता था कि जैसे एक मोर अपने पंख फैला कर नृत्य कर रहा हो.
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सूर्य सा जलकर सूर्य सा चमकना है
ये हवाएं जो इतरा रहीं हैंये सोच कर कि इक झोके सेमेरे हौसले उड़ा ले जाएगी|पर इन्हें कहाँ मालूम किये मुझे तूफानों से लड़ने के काबिल बना जाएगी|
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आया लोहड़ी का त्योहार.. (बाल कविता)
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एक ग़ज़ल- सर्द मौसम में खिली धूप
सर्द मौसम में खिली धूप गुलाबों की तरह
जाम खुशबू का लिए शाम शराबों की तरह
छोड़कर आसमां महताब चले आओ कभी
तुझको सिरहाने सजा दूँगा किताबों की तरह
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नकारात्मक माहौल के ससुराल में कैसे जीते सबका दिल?
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अब डाकघरों में भी होगा 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' और 'ई-श्रम' कार्ड पंजीकरण -पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव
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‘तलब की शायरी में है अदब की सच्ची विरासत’
‘तलब जौनपुरी के सौ शेर’ के विमोचन पर बोले इब्राहीम अश्क प्रयागराज। तलब जौनपुरी की शायरी में अदब की विरासत सही रूप में दिखाई देती है। तलब जौनपुरी बह्र, ज़बान और बयान, ख़्यालो-फिक्र, मजमूनबंदी और आफ़रीनी के हुनर से बखूबी वाकिफ़ ही नहीं बल्कि उनको बरतने का सलीक़ा भी जानते हैं। इनकी शायरी में देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब रच बस कर उजागर होती दिखाई देती है, जो उर्दू और हिन्दी भाषा और साहित्य को एक दूसरे के करीब लाती है, और देश की एकता और अखंडता को मजबूत बनाने का फ़र्ज़ अदा करने में अहम भूमिका अदा करती है। यह बात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि फिल्म गीतकार इब्राहीम अश्क ने 02 जनवरी 2021 को गुफ़्तगू की ओर से अदब घर में ‘तलब जौनपुरी के सौ शेर’ के विमोचन अवसर पर कही। गुफ्तगू--
वैश्विक हिन्दी चिंतन की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका विभोम-स्वर का वर्ष : 6, अंक : 24, त्रैमासिक : जनवरी-मार्च 20 इस अंक में शामिल है- संपादकीय, अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान / तेजेंद्र शर्मा, रणेंद्र, उमेश पंत, लक्ष्मी शर्मा, इरशाद ख़ान सिकंदर, मोतीलाल आलमचंद्र को सम्मान, मित्रनामा, विस्मृति के द्वार, हमारे समाज में विधवाएँ...- उषा प्रियम्वदा, कथा कहानी- डुबोया मुझको होने ने..., प्रमोद त्रिवेदी, गुनगुनी धूप- रमेश खत्री, ज़रूरतों के खंभे देह पर ही टिके दिखते हैं.... - मीता दास, नन्ही आस- सपना... सुबीर संवाद सेवा
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आज के लिए बस इतना ही...!
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मकर संक्रांति पर सभी चिट्ठाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।शास्त्री जी को सादर प्रणाम।सभी लिकन्स अच्छे।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं...
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति। मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस खूबसूरत मंच पर सुन्दर रचनाओं के साथ मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका तहेदिल आभार🙏
प्रणाम शास्त्री जी, सभी लिंक एक से बढ़कर एक हैं...इतना अच्छा संकलन हमें पढ़वाने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शानदार सूत्रों की चर्चा प्रस्तुति।मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी आपको मेरा सादर अभिवादन👏👏
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार सर... देरी से आने के लिए माफ़ी चाहती हूँ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका मंच पर सृजन को स्थान देने हेतु।
सादर
बहुत सुंदर रचनाओं का संग्रह...
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