सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं आज की चंद चुनिंदा रचनाएँ-
दोहे "शीतल हुई दुपहरी, शीतल ही है भोर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
राजनीति की नाव पर , चढ़ता जो असवार।
पिछड़े दलित शब्द सदा , राखै दो पतवार।।
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उदास विचार मन से असम्बद्ध-सा उसाँस लेकर क्षीणतर होने लगा है। अरे! ये क्या ? स्नेह-शिशु के पैरों का थाप चारों ओर तीव्र-से-तीव्रतर होता जा रहा है। मानो स्नेह-शिशु का इसतरह से ध्यानाकर्षण, सहसा स्मृति के बाढ़ को ही इस क्षण के बाँध से रोक दिया हो।*****जूतों का भारसुनीता मैडम का उनसे फोन पकड़ते हुए ध्यान गया कि इतनी ठंड में भी नेहा नंगे पांव स्कूल आई थी जबकि आज तो जुराब-जूतों में भी ठंड महसूस हो रही है । इसलिए फिर से गुस्से में नेहा से पूछा "इतनी ठंड में भी बिना जूते - चप्पल के घूम रही हो ... अक्ल नाम की चीज है या नहीं .....?"
"जी .... जूते हैं नहीं और कई दिन हुए चप्पलें टूट गई हैं ..." नेहा ने डरते हुए जवाब दिया ।
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कुदरत चेताती है हर पल
हम आदतों के ग़ुलाम बने,
गुरु के वचनों को सदा भुला
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बिसरी बातां किणे सुणावे
किरणा रा बिछता गोटा।
मन री मूडण बाला देवे
होवे है बादळ ओटा।
नैणा झरते खारे मणके
प्रीत पपोटा री कहरी।।
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ग़ज़ल - तेरी ही लगन अब लगी है फ़क़त
मुझें भूल जाती है अक्सर वो क्या
सभी संकलन सराहनीय।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात !
जवाब देंहटाएंरोचक और पठनीय सूत्रों का संकलन। मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय । सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 👏👏💐💐
बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार
आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी!
वाह!सराहनीय संकलन।
जवाब देंहटाएंमेरे सृजन को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
सभी को बधाई।
सादर
बहुत सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार
आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी!
एक से बढ़कर एक सराहनीय सूत्रों की खबर देता है आज का चर्चा मंच, आभार !
जवाब देंहटाएंऋतुराज की प्रतीक्षा करती हुई अति सुन्दर प्रस्तुति । हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा प्रस्तुति रवीन्द्र जी 👍
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