सादर अभिवादन।
गुरुवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
शीर्षक व काव्यांश आ.कुसुम कोठारी जी की रचना 'लेखनी नि:सृत मुकुल सवेरे' से-
कोकिला कूजित मधुर स्वर
मधुकरी मकरंद मोले
प्रीत पुलकित है पपीहा
शंखपुष्पी शीश डोले
शीत के शीतल करों में
सूर्य के स्वर्णिम उजेरे।।
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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बालकविता "शीतल छाया, शीतल काया"
नया साल जबसे आया है।
साथ बहुत सरदी लाया है।।
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शीतल छाया, शीतल काया।
नभ में घना कुहासा छाया।।
कोकिला कूजित मधुर स्वर
मधुकरी मकरंद मोले
प्रीत पुलकित है पपीहा
शंखपुष्पी शीश डोले
शीत के शीतल करों में
सूर्य के स्वर्णिम उजेरे।।
अमन का गीत
मेरा खो गया है
देश का युवा चेहरा
पर कटे पंछी-सा
गर्दिश में खो गया है
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वो गिनाने लगे नीति की ख़ामियां,
दूध का दाँत भी जब निकलता नहीं।।
दुश्मनों की कुटिल चाल रहती सदा
भूल क्यों वो रहे स्वार्थ टिकता नहीं।।
जापानी गुड़िया लगे, बोली में बिंदास।
हाइकु या हो लघुकथा, मन में उतरे खास।।
हर कोई है जाने माँ ममता कि मुरत होवें,
पर कोई-कोई ही ध्यावें परब्रह्म कि वही सुरत होवें ।
कितनी ममता कितनी करूणा मन को भावें,
देख विपत्ति में गैरन को भी मनसुधा आपन पुत बतावें ।
सौदागरी बदल गयी देखने परखने के अंदाज़ l
काफ़िरना बन गया मैं काफिरों के साथ साथ ll
हर एक मोल में थी छुपी थी एक ही अरदास l
कहीं दिल ना बिक जाये जिस्म के साथ साथ ll
मैं और मेरा कंप्यूटर
कभी कभी
मेरे कंप्यूटर की
सांसें भी हो जाती हैं मद्धम
और वह भी बोझिल कदमों को
आगे बढ़ाने में असमर्थ हो जाता है
मेरी तरह
क्या जिन बातों का खंडन-मंडन हम अपनी रचनाओं में करते रहते हैं, उन रुढियों से धीरे-धीरे ही सही बाहर आ पा रहे हैं? हम जो रच रहे हैं, उससे अगली पीढ़ी में साहित्य प्रेम बच पायेगा? या सिर्फ संपादक और लेखक ही पढ़कर ख़ुशी मनायेंगे? जितनी साहित्य में सुचिता होनी चाहिए क्या उसके रचियता में उस सुचिता की आवश्यकता नहीं ? इसी प्रकार के न जाने कितने ही प्रश्न हैं जो मुझे साहित्य की चौखट से मोह भंग की सीमा तक ले जाते हैं।
आज का सफर हमारे लिए तो आनंदित करने वाला रहा, हाँ आपके लिए काफी श्रमसाध्य रहा होगा, परिश्रम से ढूंढ कर नियोजित लिंक्स अपनी कहानी स्वयं कह रहे हैं।
जवाब देंहटाएंसाधुवाद शानदार प्रस्तुति के लिए।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
शीर्षक में मेरे सृजन का काव्यांश लगाया गया है , मैं अभिभूत हूं और शुक्रगुजार भी इस सम्मान के लिए।
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी 'दीप्ति जी।'
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, सारहनीय तथा पठनीय अंक ।
जवाब देंहटाएंवाह!खूबसूरत चर्चा अंक।
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