सादर अभिवादन।
शुक्रवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है
शीर्षक व काव्यांश आ.अमृता तन्मय जी की रचना 'शब्द ब्रह्म को मेरा प्रणाम !' से-
शब्दों को मेरा प्रणाम !
उनके अर्थों को मेरा प्रणाम !
उनके भावों को मेरा प्रणाम !
उनके प्रभावों को मेरा प्रणाम !
उनके कथ्य को मेरा प्रणाम !
उनके शिल्प को मेरा प्रणाम !
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
--
गीत " रौशनी के वास्ते, जल रहा च़िराग है"
बाट जोहती रहीं, डोलियाँ सजी हुई,
हाथ की हथेलियों में, मेंहदी रची हुई,
हैं सिंगार साथ में, पर नहीं सुहाग है।
राख में ढकी हुई, हमारे दिल की आग है।।
उनके गुणों को मेरा प्रणाम !
उनके रसों को मेरा प्रणाम !
उनके अलंकार को मेरा प्रणाम !
उनकी शोभा को मेरा प्रणाम !
कूप कूप में भाँग पड़ी है
मानव का पानी उतर गया
बूँद-बूँद है गरल भरी सी
अंतस चूकी सब भाव दया
देखो चाल बचाना भइया
घाट-घाट पर फैली काई।।
--
जन - अरण्य की थी अपनी अलग ख़ूबसूरती,
हज़ार बार ख़ुद को गुमशुदा पाया, हज़ार
बार ज़िन्दगी से मुलाक़ात हुई, कहाँ
मिलते हैं मनचाहे रास्ते, कहाँ
कोई खड़ा होता है मुंतज़िर
किसी के वास्ते,
हज़ार बार ख़ुद को गुमशुदा पाया, हज़ार
बार ज़िन्दगी से मुलाक़ात हुई, कहाँ
मिलते हैं मनचाहे रास्ते, कहाँ
कोई खड़ा होता है मुंतज़िर
किसी के वास्ते,
--
केतने शहीद भए केतने हेराने
केतने बिछुड़ गए हमहूँ न जाने
घरा वाले रहिया अगोरें सखी री
यहि देसवा पे मिट गए रे ।
मन सूरजमुखी सा होता है
जिधर कहीं
स्नेह प्यार मोहब्बत
और अपनेपन की उष्मा मिलती है
विभोर होकर उस राह चल देता है
बेख़बर बेख़्याल सा
समर्पण में प्यार ढूंढ रही थी....
पर यहाँ तो सिर्फ दिखावा चलता है....
आप अगर समर्पित हो तो ,
आपको मूर्ख घोषित किया जाता है......
आप रिश्तो में झुकते है ,
तो आपको कमजोर समझा जाता है....
पगलां माही कांकर चुभया
जूती बांध्य बैर पीया।
छागल पाणी छलके आपे
थकया सांध्य पैर पीया।।
कुआँ जोहड़ा ताल-तलैया
बावड़ थारी जोव बाट
बाड़ करेला पीला पड़ ग्यो
सून डागल ढ़ाळी खाट
निती अभी कक्षा आठ में पढ़ती, है अपनी माँ करुणा की तरह समाजसेवी बनने का और वृद्धाश्रम खोलने का सपना है।आज उसका मूड बहुत ही ऑफ है स्कूल से आते ही उसने एकतरफ बैग पटक कर कपड़े चेंज करके, बिना कुछ कहे झन में छत पर चली गई और बालकनी में पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी।हर रोज की तरह आज उसने मम्मी को भी नही पूछा और न ही किचन में खाने की तलाश में गयी।गुमसुम सी बैठी सामने आ जा रहे लोगों को देख रहीं थी।
आप दही में एक चुटकी नमक मिला लें तो एक मिनट में सारे बैक्टीरिया मर जाएंगे और उनके मृत शरीर हमारे भीतर जाएंगे जो हमारे किसी काम नहीं आएंगे। यदि आप 100 किलो दही में एक चुटकी नमक भी डालेंगे तो दही के सारे बैक्टीरियल गुण खत्म हो जाएंगे क्योंकि नमक में जो केमिकल्स है वह जीवाणुओं के दुश्मन है।
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी 'दीप्ति' जी|
सुप्रभात👏🌹
जवाब देंहटाएंविविधता से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक ।कई रचनाओं पर गई । पठनीय और सराहनीय चयन। उसी के मध्य एक लोकगीत मेरा भी ।
बहुत बहुत आभार अनीता जी । आपके श्रमसाध्य कार्य को नमन ।आपको और सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,अनिता दी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति मेरी लघुकथा को बेहतरीन चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से बहुत-बहुत आभार प्रिय मैम
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर एवं पठनीय सूत्रों का मनमोहक संयोजन के लिए हार्दिक बधाई। आप सभी शब्द ब्रह्म के साधक चर्चाकारों को भी मेरा प्रणाम एवं हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंBest Share Market Books in hindi
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार चर्चा, सभी लिंक्स बहुत सुंदर पठनीय, सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत आकर्षक।
मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
सस्नेह सादर।