शीर्षक पंक्ति: आदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित ताज़ा रचनाएँ-
गीत "उड़ जायें जाने कब तोते" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
नहीं गगन का आदि-अन्त है।
जब सुख की बहती पुरवाई,
तब समझो आया बसन्त है।
नेह-नीर से सिंचित कर लो.
आयेगी बहार गुलशन में।
जो होते आजाद परिन्दे,
वो उड़ते उन्मुक्त गगन में।।
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जिन्हें नाज़ है हिन्द पर, वो कहाँ हैं?
कमसिन दुख्तर सिसक रही थी, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनकी इज्ज़त-अस्मत बिकती, फूला-फला देह-व्यापार.
सरे आम नीलाम छापते, संस्कृति-रक्षक, लाज-उतार,
'रूप-हाट फिर सजी हुई है, मत चूको मौक़ा इस बार !’
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कोई बीज धरा की गहराई में जैसे
बोया हुआ सा लगता है
प्रीत का जल, ऊष्मा उर की
जब जब बहती है
उस पल कोई मीत
आया हुआ सा लगता है
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नए साल में | ग़ज़ल | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
सभी के दिलों में ये जज़्बात हो।
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पीड़ा सहने
और आँसुओं में डूबे रहने से
किसी को रत्ती भर फ़र्क नहीं पड़ता है
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कभी दूसरी तितली का नहीं करती
प्रतिकार
क्योंकि
जानती है
ये बागान
उनकी उड़ान
और
रंगों से उत्साह पाता है
जीवन पाता है।
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रात में जब पहुंची तो भाभी बोली कि हम तो गले मिलेंगे एक मुद्दत गुजर गयी गले मिले हुए।
ये बोले सोच लीजिए - 'कोरोना फिर से पैर पसार रहा है। '
हम लोगों ने कहा -
' ऐसे की तैसी कोरोना की , हम तो गले ही मिलेंगे।'
एक मुद्दत बाद हम गले मिले शायद दो साल बाद।
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प्यार दो---प्यार लो...नव वर्ष पोस्ट
जीवन झंझावात में, धीरज अटल प्रबुद्ध ।
ढल जाते हैं श्लोक में, जाने कितने बुद्ध।।
गढ़ते हैं सबके लिए, सदा नए आयाम।
दो पंक्ति में बँधे नहीं, उनके अनगिन काम ।।
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नवगीत : मुस्कुराते गीत मेरे : संजय कौशिक 'विज्ञात'
सप्त वारों ने सुनाए कष्ट नव रस के उमड़ते
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मोह-माया सब त्याग के
हम शंकर सम डमरू बजायें,
धन्य-धन्य बड़ भाग मनुज के
देवगण पछताए,
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
सादर नमस्कार आदरणीय रविंद्र जी सर।
जवाब देंहटाएंचर्चा के लिंको का एक बार अवलोकन करे।
सादर
बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
शानदार चर्चा 💐💐💐
जवाब देंहटाएंसर लिंक के जरिए रचनाओं तक नहीं पहुचा जा पा रहा है शायद कोई समस्या है कृपया एक बार अवलोकन करने का कष्ट करें🙏🙏
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंWhat is the Hashemite stone?
जवाब देंहटाएंHashemite stone is one of the best types of natural stone for facades and is extracted from the mountains of Egypt from different places.
Hashemi Hesam stone, which is the best raw material of the Hashemite stone and its quality.
Hashemite stone, which is the favorite stone of many customers because of its distinctive color.
White Hashemite stone, which is the most wonderful stone for finishing the facades of modern homes in the best color. The price of white Hashemite stone is a very average price and suits all customers
There are types of Hashemite stone, such as the Hashemite stone at the head, the Hashemite stone, and St. Catherine, and they are known as rare and expensive facade stones in the finishing of external facades, and in most cases they are used as decorative stones for facades in simple matters.
How to determine the price of the Hashemite stone
The prices of the Hashemite stone are determined according to the applicable work rules on the basis of
type of hashimi stone
The required stone is first or second sorting
Workplace
सुंदर सराहनीय लिंकों का चयन, बहुत-बहुत शुभकामनाएं आदरणीय सिंह यादव जी ।
जवाब देंहटाएंखूब आभार आपका रवीन्द्र जी....। साधुवाद। सभी रचनाएं अच्छी हैं...।
जवाब देंहटाएंविविध विषयों पर सुंदर रचनाओं से सजा सुंदर अंक, आभार!
जवाब देंहटाएंसभी साथियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी को छोड़कर कोई लिंक नहीं कूल रहा मेरे,पता नहीं क्या समस्या है, कुछ प्रबुद्ध साथी तो लिंक्स पर घूम आयें हैं ,तो शायद मेरे साथ ही ये रूकावट की समस्या है।
खैर
आवरण से अवलोकन करते हुए सभी रचनाएं अच्छी लग रही है सभी रचनाकारों को बधाई।
सादर सस्नेह।
कूल को खुल पढ़ें कृपया।
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